Home Bihar ये हैं कलयुग के श्रवण कुमार, छोड़ दी लाखों की नौकरी; अब स्कूटर से 73 साल की मां को करा रहे तीर्थयात्रा

ये हैं कलयुग के श्रवण कुमार, छोड़ दी लाखों की नौकरी; अब स्कूटर से 73 साल की मां को करा रहे तीर्थयात्रा

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ये हैं कलयुग के श्रवण कुमार, छोड़ दी लाखों की नौकरी; अब स्कूटर से 73 साल की मां को करा रहे तीर्थयात्रा

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गुलशन सिंह/बक्सर. भारत की भूमि पर अनेकों महापुरुषों ने जन्म लिया है. जिनके कर्तव्यों का आज भी उदाहरण दिया जाता है. त्रेतायुग के श्रवण कुमार के बारे में तो आपने सुना हीं होगा कि किस तरह से वो अपने माता-पिता को कांवड़ में बिठाकर तीर्थ स्थलों का भ्रमण कराया था. ठीक उसी तरह कर्नाटक के मैसूर निवासी डी. कृष्ण कुमार बाल ब्रह्मचारी होकर अपनी मां को तीर्थ कराकर कलयुग के श्रवण कुमार की भूमिका निभा रहे हैं. इसी कड़ी में डी. कृष्ण कुमार अपनी मां चूड़ा रत्ना को लेकर तीर्थ यात्रा पर बक्सर के श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर पहुंचे थे, जहां उन्होंने आश्रय लेकर प्रमुख मंदिरों व साधु संतों का दर्शन किया.

तीर्थयात्री डी. कृष्ण कुमार ने बताया कि अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए यह संकल्प उन्होंने आज से 5 साल पहले लिया था. जिसे पूरा करने के लिए 24 साल पुरानी स्कूटर से 73 वर्षीय मां चूड़ा रत्ना को भारत दर्शन कराने निकले हैं. उन्होंने बताया कि 16 जनवरी 2018 को मैसूर से यात्रा शुरू की जो लगातार जारी है. मां को स्कूटर पर बिठाकर भारत के तार्थस्थलों सहित दार्शनिक स्थलों का भ्रमण करा रहे हैं. बातचीत के क्रम में उन्होंने बताया कि मां हमेशा घर की चारदीवारी में कैद रहती थी. वर्ष 2015 में पिताजी की मृत्यु हो गई. जिसके बाद मां ने कहा कि कि पास के बेल्लूर मंदिर तक कभी न जा सकी. यह बात उनको चुभ गई और उन्होंने कहा कि मां को तीर्थदर्शन की लालसा है, यदि यह नहीं करा सका तो मुझे धिक्कार है.

मां की इच्छापूर्ति के लिए छोड़ी 65 हजार की नौकरी
डी. कृष्ण कुमार ने बताया कि इसके लिए 65 हजार की नौकरी छोड़कर मां की इच्छापूर्ति में लगे हुए हैं. स्कूटर उनके पिता ने गिफ्ट की थी. उसी से मां को भारत भ्रमण करा रहे हैं. डी कृष्णकुमार ने बताया कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक पुण्य क्षेत्र का भ्रमण किया है, यूपी और बिहार राज्य छूट गए थे. जिनका सफर तय कर रहे हैं. अभी तक 68 हजार 363 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली है. खास बात यह है कि इस यात्रा में वे किसी से धन की मदद नहीं ली बल्कि जमा पूंजी से मां को तीर्थदर्शन करा रहे हैं. डी कृष्ण कुमार ने बताया कि मां को केरल, तामिलनाडु, पांडिचेरी, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, महाराष्ट्र, बिहार के कुछ हिस्से पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड अरुणाचल प्रदेश सहित अन्य प्रदेश नेपाल, म्यामार आदि की यात्रा कर चुके हैं.

बक्सर से सीतामढ़ी के लिए हुए रवाना
डी. कृष्ण कुमार ने बताया किवह प्रतिदिन स्कूटर से 150 किलोमीटर की यात्रा तय करते हैं. खास बात यह है कि इस यात्रा के लिए कभी किसी से पैसे नहीं लिए बल्कि खुद की कमाई से अर्जित धन से मां को तीर्थ करा रहे हैं. बक्सर के बाद डी कृष्णकुमार सड़क मार्ग से पटना के लिए रवाना हो गए. उन्होंने बताया कि वहां से वो सीतामढ़ी जाएंगे.उसके बाद नेपाल के काठमांडू जाएंगे.

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