Home Bihar मिथिला महोत्सव में मैथिली को शिक्षा और रोजी-रोटी की भाषा बनाने का संकल्प

मिथिला महोत्सव में मैथिली को शिक्षा और रोजी-रोटी की भाषा बनाने का संकल्प

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मिथिला महोत्सव में मैथिली को शिक्षा और रोजी-रोटी की भाषा बनाने का संकल्प

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पटना: राजधानी दिल्ली में मिथिला महोत्सव और ‘मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल’ आयोजित किया गया। इस आयोजन में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मैथिली को रोजी-रोटी की भाषा बनाने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। मिथिला महोत्सव और मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल के आयोजन की शुरुआत में मैथिली दो सत्रों में दो विषयों- ‘हवाई जहाज के दरभंगा पहुंचने से मिथिला के विकास में कितने पंख लगे’ और ‘प्रवासी मैथिल राजनीतिक रूप से समृद्ध क्यों नहीं’ पर चर्चा हुई।

कार्यक्रम में बिहार विधान परिषद सदस्य संजय मयूख और दिल्ली विधानसभा के विधायक संजीव झा के साथ ही कांग्रेस के सचिव प्रणव झा ने मैथिली को रोजी-रोटी की भाषा बनाने की बात रखी। लगभग सभी राजनीतिक दलों का कहना है कि मैथिली भारत की पुरातन भाषाओं में शामिल है। यह संविधान की आठवीं अनुसूची में भी शामिल है और इसे रोजी-रोटी की भाषा बनाने के लिए वह अपना योगदान देंगे।

संजय मयूख ने कहा कि वह इस मामले को लेकर बिहार विधान परिषद में अपनी बात रखेंगे। वहां पर भी इस तरह का आयोजन वृहद स्तर पर हो, इसके लिए हर प्रयास करेंगे। आम आदमी पार्टी के विधायक संजीव झा ने कहा कि दिल्ली नगर निगम के प्राथमिक विद्यालय से लेकर दिल्ली सरकार के उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में मैथिली भाषा की पढ़ाई एक विषय के रूप में हो, इसके लिए वह अपनी ओर से सभी प्रयास करेंगे।

संजीव झा के मुताबिक, अगर मैथिली के शिक्षक को तत्काल आधार पर नियुक्त करना होगा तो इसके लिए ‘मैथिली-भोजपुरी अकादमी’ की ओर से विद्यालयों में मैथिली के शिक्षक भी भेजे जाएंगे, लेकिन इस कार्य के लिए जनता की सहभागिता भी जरूरी है। मैथिली भाषा से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि मैथिली भाषा की पढ़ाई के लिए लोगों को भी अपनी आवाज उठानी होगी, जिससे सरकार और प्रशासन पर इसके लिए दबाव बनाया जा सके।

कांग्रेस के सचिव प्रणब झा ने कहा कि वह मिथिला, मैथिली और मिथिलांचल के विकास के लिए समस्त समर्थन और सहयोग देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि परिवर्तन और संघर्ष में हमेशा कलम के सिपाहियों का सहयोग मिलता रहा है। देश में नवचेतन की क्रांति के लिए जागरूकता सबसे अधिक जरूरी है।

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