Home Bihar मास्टर ट्रेनर से जाने शाकाहारी मीट मशरूम की खेती का सही तरीका, आर्थिक रूप से होगा फायदे का सौदा

मास्टर ट्रेनर से जाने शाकाहारी मीट मशरूम की खेती का सही तरीका, आर्थिक रूप से होगा फायदे का सौदा

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मास्टर ट्रेनर से जाने शाकाहारी मीट मशरूम की खेती का सही तरीका, आर्थिक रूप से होगा फायदे का सौदा

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रिपोर्ट-आशीष कुमार
बेतिया.
वर्तमान समय में कृषि की परिभाषा बदल रही है. धीरे-धीरे लोग पारंपरिक कृषि छोड़कर आधुनिक और आर्थिक रूप से फायदेमंद कृषि को अपना रहे हैं. खास कर अगर बात चंपारण की करें, तो कुछ साल पहले तक जो फल, फूल, सब्जी तथा अनाज यहां के लिए सपना था, आज बड़े पैमाने पर उसकी खेती की जा रही है. उनमें मैजिक चावल, लाल भिंडी, बारहमासी कटहल तथा मशरूम शामिल है. बेतिया की बसवारिया निवासी सीमा कुमारी ने मशरूम की खेती में महारथ हासिल कर ली है. पूरे बेतिया प्रमंडल में अगर कोई शख्स मशरूम की सफल खेती कर उसे बाजार तक उपलब्ध करा रहा है तो वह सीमा ही हैं.

मशरूम की मास्टर ट्रेनर हैं सीमा
बता दें कि सीमा ऐस्ट्रो तथा बटन मशरूम की उत्पादक होने के साथ साथ मास्टर ट्रेनर भी हैं. वह मशरूम की खेती करने वाले किसानों को गाइड करती हैं. सीमा ने 2013 से मशरूम की खेती करनी शुरू की. गौरतलब है कि उस समय उनके साथ अन्य कई महिलाओं ने भी मशरूम की खेती शुरू की, लेकिन सिर्फ सीमा ही इसमें कामयाब हो पाई. अब सीमा को बिहार सरकार की बागवानी मिशन योजना के तहत मशरूम का फार्म शुरू करने का मौका मिला है.

बताया जा रहा है कि कुछ दिनों में उन्हे बागवानी मिशन के तहत मशरूम की खेती के लिए बिहार सरकार की तरफ से 20 लाख रुपए की राशि भी प्रदान की जाएगी. बाकायदा उन्होंने अपने फार्म में मशरूम की अच्छी उपज के लिए एयर कंडीशनर से लेकर जेनरेटर तक की सुविधा उपलब्ध करा ली है. सीमा के अनुसार मशरूम की खेती कर कोई भी किसान अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकता है.

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पश्चिमी चंपारण

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लागत की तुलना में होती है अच्छी कमाई
मशरूम की मास्टर ट्रेनर सीमा ने बताया कि मशरूम की खेती में लगने वाले खर्च की तुलना में उससे अच्छी कमाई हो जाती है. लेकिन समझने वाली बात ये है कि इसमें मेहनत के साथ पेशेंस की बेहद जरूरत होती है. दरअसल सीमा ने अपने फार्म में कुल 200 पैकेट मशरूम के लगाए हैं. हर एक पैकेट से तकरीबन 2 किलो मशरूम की उपज होती है, लेकिन उसे रोपने से लेकर तोड़ने तक लगभग 2 महीने का समय लग जाता है. जहां एक तरफ बटन मशरूम को 200 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचती है, तो वहीं ऐस्ट्रो मशरूम को 150 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से.

शाकाहारी मीट के नाम से फेमस है मशरूम
मशरूम उत्पादक तथा मास्टर ट्रेनर सीमा ने बताया कि मशरूम को शाकाहारी मीट कहा जाता है. इसकी तीन वेराइटी में बटन मशरूम का स्वाद मटन की तरह, ऐस्ट्रो मशरूम का स्वाद चिकन की तरह तथा मिल्की मशरूम का स्वाद अंडे की तरह होता है.बटन मशरूम के लिए 10 क्विंटल भूसे में 2 क्विंटल चोकर, 30 किलो यूरिया, 10 किलो पोटास, 50 किलो जिप्सम, 7 क्विंटल मुर्गी का बीट इत्यादि की जरूरत होती है. जिसे अच्छे से मिला कर कंपोस्ट तैयार किया जाता है.

फिर उसकी केसिंग की जाती है और फिर उसमे स्पॉम यानी बीज को नीचे तथा ऊपर तक डाला जाता है फिर उसे पैकेट में डाल कर अंधेरे कमरे में नमी के बीच छोड़ दिया जाता है. तब जाकर 20 दिनों बाद मशरूम उग कर बाहर आता है. गौरतलब है कि इन सभी प्रोसेस में लगभग 2 महीने का समय लग जाता है. समझने वाली बात ये है कि यहां 30 क्विंटल कंपोस्ट में 30 किलोग्राम बीज डालने की स्थिति को दर्शाया गया है. इस विधि से सिर्फ बटन मशरूम की ही खेती की जा सकती है. अन्य दो प्रजातियों के लिए विधि अलग है.

टैग: बिहार के समाचार, चंपारण न्यूज

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