Home Bihar बेगूसराय के सुजीत ने बैंक UPI में डिटेक्ट किया बग, साइबर फ्रॉड रोकने में होगा कारगर!

बेगूसराय के सुजीत ने बैंक UPI में डिटेक्ट किया बग, साइबर फ्रॉड रोकने में होगा कारगर!

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बेगूसराय के सुजीत ने बैंक UPI में डिटेक्ट किया बग, साइबर फ्रॉड रोकने में होगा कारगर!

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उधव कृष्ण

बेगूसराय/पटना. यह कहना गलत नहीं होगा कि बिहार में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. हाल ही में यहां के बेगूसराय जिले के इंजीनियरिंग के छात्र ऋतुराज ने गूगल सर्च में एक ऐसी गलती यानी बग खोज निकाली थी, जिससे पूरी साइट हैक हो सकती थी. उन्होंने इस बग के बारे में गूगल को सूचना भेजी थी, जिसे गूगल ने अपने रिसर्च में शामिल भी कर लिया. ऋतुराज के बाद अब बेगूसराय के ही सुजीत कुमार ने भी कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है.

सुजीत कुमार ने एसबीआई की यूपीआई बैंकिग ऐप में ऐसा बग ढूंढ निकाला है, जिससे एक खाते से दो अलग-अलग मोबाइल में एक साथ यूपीआई आईडी न सिर्फ काम कर सकती है, बल्कि बड़ी आसानी से दोनों मोबाइलों से ट्रांजेक्शन भी परफॉर्म किए जा सकते हैं. बता दें कि ऑनलाइन बैंकिंग के नियमों के अनुसार एक खाते से एक बार में एक ही मोबाइल में यूपीआई यानी यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए खाते से जुड़ी रजिस्टर्ड सिम कार्ड का वेरिफिकेशन करना अनिवार्य होता है.

आपके शहर से (पटना)

साइबर फ्रॉड से बचाने वाली रिसर्च

सुजीत कुमार बताते हैं कि जिस खास तरीके से उन्होंने यूपीआई का यह बग डिटेक्ट किया है, उससे साइबर फ्रॉड से भविष्य में बचाव होगा. वो दावा करते हैं कि समय रहते इस बग के संबंध में उन्होंने संबंधित बैंक अधिकारियों को 17 पन्नों का अपना शोधकार्य भेजकर सूचित कर दिया है जिस पर बैंक के साइबर एक्सपर्ट कार्य कर रहे हैं. इस संबंध में बैंक के लोग उनसे संपर्क कर अन्य जानकारी भी मांग चुके हैं.

कौन हैं सुजीत कुमार

बेगूसराय जिले के रहने वाले 29 वर्षीय सुजीत कुमार ने अकाउंटिंग और फाइनेंस में ग्रेजुएशन की डिग्री ली है. सुजीत वर्तमान में फिनटेक यानी फाइनेंस एंड टेक्नोलॉजी से संबंधित विषयों पर एक एंटरप्रेन्योर के रूप में शोध कार्य करते हैं. सुजीत कुमार अपने शोध के लिए प्रैक्टिकल एप्रोच अपनाने की बात कहते हैं. उनका मानना है कि अभी बहुत सी ऐसी चीजें हैं, जिस पर शोध कार्य करने की आवश्यकता है. जिससे आम लोगों की कई परेशानियां दूर की जा सकती है.

रिसर्च के लिए छोड़ दी सरकारी नौकरी

सुजीत बताते हैं कि ग्रेजुएशन के बाद उनकी खाद्य एवं उपभोगता संरक्षण विभाग में बतौर कार्यपालक सहायक की नौकरी लग गई थी, लेकिन उन्होंने चार साल सात महीने के बाद अपने रिसर्च वर्क को जारी रखने के लिए नौकरी छोड़ दी. सुजीत बताते हैं कि एसबीआई यूपीआई के इस बग पर शोध पूरा हो चुका है और अब वो रूपे कार्ड पर अपने शोध के अंतिम चरण में हैं. वो कहते हैं कि साइबर क्राइम को लेकर किए गए रूपे कार्ड पर उनके शोध के परिणाम चौंकाने वाले साबित होंगे.

इसके अलावा, सुजीत बिजली बिल भुगतान प्रणाली पर भी शोध कर रहे हैं. उनका दावा है कि अपने शोध से वो बिजली बिल को कम करने संबंधी तथ्य बहुत जल्द सामने लाने वाले हैं.

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