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पीटीआई, पटना
द्वारा प्रकाशित: देव कश्यप
अपडेट किया गया मंगल, 22 फरवरी 2022 02:10 AM IST
सार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि हम कई सालों से भोजपुरी को राजभाषा का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। राज्य कैबिनेट ने इस संबंध में 2017 में केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा था। मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी सोमवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर आई।
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विस्तार
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पड़ोसी राज्य झारखंड की सरकार के धनबाद और बोकारो जिलों की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से भोजपुरी और मगही को हटाने के हालिया फैसले को गलत ठहराते हुए सोमवार को कहा कि उनकी सरकार भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की अपनी पुरानी मांग को फिर से उठाएगी ताकि इसे राजभाषा का दर्जा मिल सके।
उन्होंने कहा कि हम कई सालों से भोजपुरी को राजभाषा का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। राज्य कैबिनेट ने इस संबंध में 2017 में केंद्र को एक प्रस्ताव भेजा था। मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी सोमवार को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर आई।
जनता के दरबार में मुख्यमंत्री कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान नीतीश ने कहा कि भोजपुरी सिर्फ बिहार की ही नहीं है यह उत्तरप्रदेश और झारखंड में भी बोली जानेवाली भाषा है। उन्होंने कहा कि भोजपुरी का बड़ा क्षेत्र है, इसका अंतरराष्ट्रीय महत्व भी है और अभी झारखंड में जो हुआ वो बहुत गलत है। कुमार ने धनबाद और बोकारो जिलों की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से भोजपुरी और मगही को वापस लेने के अपने हालिया फैसले के लिए झारखंड सरकार की भी आलोचना की।
उन्होंने कहा, ‘‘हम बार बार कह रहे हैं कि भोजपुरी सिर्फ बिहार की ही भाषा नहीं है। बिहार और झारखंड विभाजन से पहले (2000 में) एक साथ थे। उन्होंने कहा कि भोजपुरी और मगही दोनों राज्यों की भाषाएं हैं और सीमावर्ती इलाकों में बोली जाती हैं। छत्तीसगढ़ में भी कई लोग यह भाषा बोलते हैं।’’ झारखंड सरकार ने व्यापक विरोध के बीच शुक्रवार को भोजपुरी और मगही को धनबाद और बोकारो जिलों की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से हटा लिया था।
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