Home Bihar बिहार में 1000 लोगों के लिए ‘मौत का जाम’ बनी जहरीली शराब, जानिए कैसे जानलेवा साबित हो रही शराबखोरी

बिहार में 1000 लोगों के लिए ‘मौत का जाम’ बनी जहरीली शराब, जानिए कैसे जानलेवा साबित हो रही शराबखोरी

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बिहार में 1000 लोगों के लिए ‘मौत का जाम’ बनी जहरीली शराब, जानिए कैसे जानलेवा साबित हो रही शराबखोरी

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पटना : बिहार में शराबबंदी के बाद से एक नया आर्थिक तंत्र खड़ा हो गया है। शराब तस्करी का एक बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है। शराबबंदी कानून को ठेंगे पर रखने वाले शराब माफिया कुछ पुलिसकर्मियों से मिलीभगत कर बिहार में समांनातर व्यवस्था चला रहे हैं। बिहार के राजस्व को नुकसान पहुंचाने के साथ पैसे की लालच में लोगों को जहर सेवन करने पर मजबूर कर रहे हैं। जी हां, ये हम नहीं कह रहे हैं। इन दिनों राजधानी पटना के किसी चाय दुकान पर बैठ जाइए। बस एक ही चर्चा चल रही है कि बिहार में शराबबंदी के बाद जहरीली शराब से लोग कैसे मर रहे हैं। यानी शराब मिल रही है। बहुतायत मात्रा में और जब चाहे, तब मिल रही है। बिहार के सारण जिले में महज दो दिनों के भीतर दो दर्जन से ज्यादा लोग काल के गाल में समा चुके हैं। इन लोगों ने देसी शराब का सेवन किया था।

मौत का ‘जाम’

जहरीली शराब से हुई इस मौत का असर बिहार विधानसभा के अंदर दिखने लगा है। मुख्यमंत्री गुस्से में हैं। विरोधी शराबबंदी कानून पर बहस की मांग कर रहे हैं। मौत के आंकड़ों को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं। सरकार अपने बचाव में है और कह रही है कि सबकी सहमति से शराबबंदी लागू की थी। सवाल सबसे बड़ा है कि इन मौतों के बाद जो जिंदगी उजड़ गई, जो परिवार उजड़ गए, उसका जिम्मेदार कौन है? देश के अन्य राज्यों में शराब से होने वाली मौतों की बात सामने आती है, लेकिन उसमें दोषी प्रत्यक्ष होता है, क्योंकि शराब छुपकर नहीं पी जाती। खुलेआम खरीदकर पी जाती है। बिहार में शराबबंदी कानून लागू है, इसलिए लोग इसका सेवन छुपकर करते हैं। शराब तस्करों से खरीदकर करते हैं। मौत की घटना के बाद शराब तस्कर फरार और प्रशासन कभी-कभार बीमारी से मौत का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ लेता है।

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बढ़ेगा मौत का आंकड़ा

जहरीली शराब पीने से अभी तक तीस लोगों की मौत हो चुकी है। लगातार पोस्टमार्टम की कार्रवाई चल रही है। 2022 की शुरुआत से लेकर अबतक छपरा में हुई घटनाओं में 50 लोग जाम छलकाने के दौरान अपनी जान गंवा चुके हैं। जनवरी 2022 में मकेर और अमनौरर में जहरीली शराब पीने से एक दर्जन लोग मारे गए थे। वहीं अगस्त 2022 में छपरा के पानापुर और मकेर-भेल्दी में जहरीली शराब पीने से 8 लोगों की मौत हो गई थी। आम लोगों का कहना है कि ऐसी घटनाओं के बाद सुस्त प्रशासन सक्रिय होता है। दो-चार गिरफ्तारी के बाद पूरे मामले की लीपापोती हो जाती है। शराब पीने वाले परिवार के लोग शराब माफिया के खिलाफ डर से बोलते नहीं। उसके बाद फिर से वहीं सिलसिला शुरू हो जाता है। जहरीली शराब को सस्ते केमिकल और नौशादर के अलावा यूरिया मिलाकर बनाया जाता है। जिसके जहरीली होने का चांस अस्सी फीसदी होता है। फिर भी माफिया मानते नहीं हैं और स्थानीय पुलिस से मिलीभगत करते मौत का घोल तैयार करते हैं।

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मौत पर सियासत जारी

छपरा में जहरीली शराब से हुई मौत पर सियासत जारी है। बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने घटना को लेकर सरकार को घेरा है। बात-बात पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आपा खोने को गलत बताया है और सदन में अमर्यादित भाषा का प्रयोग करने के लिए नीतीश कुमार से माफी मांगने की बात कही है। सुशील मोदी ने ये भी कहा है कि बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद 6 साल में 1000 से ज्यादा लोग जहरीली शराब पीने से मरे, 6 लाख लोग जेल भेजे गए और केवल शराब से जुड़े मामलों में हर माह 45 हजार से ज्यादा लोग गिरफ्तार किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में रोजाना 10 हजार लीटर और महीने में 3 लाख लीटर शराब जब्त की गई। जब इतनी बड़ी मात्रा में शराब आ रही है, तब सरकार शराबबंदी लागू करने में अपनी विफलता स्वीकार करे। सुशील मोदी ने ये भी कहा कि बीजेपी पूर्ण मद्यनिषेध के पक्ष में है। इसकी समीक्षा होनी चाहिए और समीक्षा का मतलब शराबबंदी समाप्त करना नहीं है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार शराबबंदी लागू करने में पूरी तरह विफल हैं, जबकि यह गुजरात में बेहतर तरीके से लागू है।

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