Home Bihar बिहार में शिक्षक खुद को जातिगत जनगणना में लगाए जाने का विरोध कर रहे थे, मगर शिक्षकों ने पढ़ाई बंद कर छात्रों को भी इस काम में लगा दिया है। प्रमाण है फॉर्म भरते छात्र

बिहार में शिक्षक खुद को जातिगत जनगणना में लगाए जाने का विरोध कर रहे थे, मगर शिक्षकों ने पढ़ाई बंद कर छात्रों को भी इस काम में लगा दिया है। प्रमाण है फॉर्म भरते छात्र

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बिहार में शिक्षक खुद को जातिगत जनगणना में लगाए जाने का विरोध कर रहे थे, मगर शिक्षकों ने पढ़ाई बंद कर छात्रों को भी इस काम में लगा दिया है। प्रमाण है फॉर्म भरते छात्र

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भागलपुर में स्कूली विद्यार्थी भरते मिले जनगणना का मकान गणना फॉर्म।

भागलपुर में स्कूली विद्यार्थी भरते मिले जनगणना का मकान गणना फॉर्म।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

बिहार में विद्यालयों के विद्यार्थी भी जातिगत जनगणना में जुट गए हैं। अंग्रेजों के जमाने के बाद अब पहली बार हो रही जातिगत गणना के पहले चरण में मकानों की गणना शुरू की गई है। मकानों की गणना के लिए शिक्षकों को स्थल भ्रमण करना है और फिर उस रिकॉर्ड को फॉर्म में भरना है ताकि अगले चरण में जनगणना के लिए ऑनलाइन फॉर्म तैयार रहे। सोमवार से स्कूल खुले और ‘अमर उजाला’ की टीम मंगलवार को भागलपुर के हसनगंज मध्य विद्यालय पहुंची तो सामने आया कि शिक्षकों ने विद्यार्थी को यह फॉर्म भरने का काम सौंप दिया है।

मीडिया में खबर पहुंचने की जानकारी पर भगाया

मीडिया में जानकारी पहुंचने के कारण आननफानन में बच्चों से फॉर्म ले लिया गया, फिर भी एक बच्चा फॉर्म भरता मिला। बाकी सारे बच्चे आननफानन में वहां से गायब हो गए। उन्हें किसने स्कूल अवधि में ही भगाया, यह किसी ने नहीं बताया। जो बच्चा फॉर्म भरता मिला, उसे फॉर्म की पूरी जानकारी थी। उससे जब पूछा गया तो उसने बताया कि आज स्कूल खुला तो पढ़ाई नहीं हुई तो उसने स्वीकार किया कि नहीं हुई। आज यही फॉर्म भरने दिया गया था। कुछ बच्चों ने स्कूल के बाहर बताया कि क्लास में जिसकी हैंडराइटिंग अच्छी है और पढ़ने में तेज है, ऐसे बच्चों को यह काम दिया गया था। सभी बच्चों को यह काम नहीं दिया गया था।

छात्र को फॉर्म भरता छोड़ शिक्षक गायब थे

जातिगत जनगणना के पहले चरण की पूरी जिम्मेवारी सरकारी शिक्षकों को दी गई है। भागलपुर में इससे पहले ‘अमर उजाला’ ने सामने लाया था कि कैसे गणना शुरू होने के दिन एक कमरे में प्रगणकों को गणना किट लेने में परेशानी हो रही है और सुपरवाइजर तक को क्षेत्र का पता नहीं कि किसे प्रगणक को वह कहां से कहां तक के मकान की गणना में लगाएंगे। मंगलवार की जो तस्वीर सामने आई, वह इसलिए भी ज्यादा चौंकाती है क्योंकि गणना फॉर्म भरते छात्र से मिलने के बाद शिक्षक को ढूंढ़ने का प्रयास किया गया तो वह विद्यालय में नहीं मिले। दोपहर करीब दो बजे वह शिक्षक स्कूल से गायब थे या मीडिया की नजरों से बचने के लिए निकल गए थे। उन्होंने खुद को मकान गणना के भौतिक सत्यापन को व्यस्त बताया, जबकि इस बारे में जानकारी देने के लिए विद्यालय के प्रधानाध्यापक भी मौजूद नहीं थे।

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