Home Bihar बिहार में रार: सीएए लागू करने के मुद्दे पर तेजस्वी ने नीतीश कुमार को घेरा, कहा- सीएम को इस पर सफाई देने की जरूरत

बिहार में रार: सीएए लागू करने के मुद्दे पर तेजस्वी ने नीतीश कुमार को घेरा, कहा- सीएम को इस पर सफाई देने की जरूरत

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बिहार में रार: सीएए लागू करने के मुद्दे पर तेजस्वी ने नीतीश कुमार को घेरा, कहा- सीएम को इस पर सफाई देने की जरूरत

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सार

राजद नेता ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू करने को लेकर नीतीश कुमार की पार्टी के समर्थन को लेकर भी उन्हें घेरा।  तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी ने संसद में सीएए के पक्ष में मतदान किया था जबकि मेरी पार्टी ने इसका विरोध किया था।

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राजद नेता तेजस्वी यादव ने सोमवार को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बिहार के 30 साल के विकास पर सवालों का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सीएम नीतीश कुमार को घेरा। उन्होंने कहा कि हमने इसका विरोध किया था, लेकिन सीएम नीतीश कुमार की पार्टी ने इसका समर्थन किया था। उन्हें इस पर सफाई देनी चाहिए।

दरअसल, राजद नेता से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान के बारे में भी पूछा गया था जिसमें कहा गया था कि नागरिक संशोधन अधिनियम (सीएए) कोरोना संकट खत्म होने के बाद लागू किया जाएगा। इस दौरान इस मुद्दे पर सीएम नीतीश कुमार के टाल-मटोल वाले रुख को लेकर भी उनसे राय मांगी गई थी।

राजद नेता ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू करने को लेकर नीतीश कुमार की पार्टी के समर्थन को लेकर भी उन्हें घेरा।  तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी ने संसद में सीएए के पक्ष में मतदान किया था जबकि मेरी पार्टी ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा कि  इसलिए हमें इस मुद्दे पर कोई स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं है। लेकिन, मुख्यमंत्री को निश्चित रूप से सफाई देने की जरूरत है। हमें नहीं लगता कि यह बिहार में आने वाले समय में लागू होगा। इस कानून के खिलाफ बिहार में हर तरफ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए थे।

दरअसल, नीतीश कुमार ने सीएए कानून को लागू करने पर कहा था कि यह नीतिगत मुद्दा है और राज्य सरकार अपने लोगों को फिलहाल कोरोना से सुरक्षित रखने में व्यस्त है। नीतीश का यह बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस दावे के बाद आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह कानून महामारी के खत्म होते ही पूरे देश में लागू होगा।

हालांकि, नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी का विरोध किया था। इतना ही नहीं उन्होंने एनआरसी के खिलाफ राज्य विधानसभा द्वारा एक प्रस्ताव भी पारित किया था। प्रशांत किशोर उस समय औपचारिक रूप से जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे और उन्होंने सीएए के खिलाफ मुखर होकर इसकी आलोचना की थी। उनके इस रुख के कारण उनका कुमार के साथ विवाद पैदा हो गया। जिसको लेकर आखिरकार उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।

इससे पहले बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल को लेकर प्रशांत किशोर के सवालों का जवाब देते हुए तेजस्वी ने कहा कि प्रशांत किशोर के बयानों का कोई आधार ही नहीं है।

पटना में पत्रकारों से बातचीत के दौरान तेजस्वी ने कहा, “यह सारे आरोप बेबुनियाद हैं। प्रशांत किशोर के बयान जवाब देने लायक भी नहीं हैं। मैं नहीं जानता कि वह कहां हैं और वे हैं कौन? उन्होंने अब तक कुछ भी नहीं किया है।”

बिहार में 2010 के प्रारूप में लागू होना चाहिए एनपीआर: नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को उसके 2010 प्रारूप में ही लागू किया जाना चाहिए। नीतीश कुमार ने पत्रकारों से कहा कि बिहार सरकार ने पहले ही केंद्र को एक पत्र लिखकर एनपीआर फॉर्म से विवादास्पद खंडों को हटाने की मांग की है। हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी को नए प्रारूप में माता-पिता के जन्मस्थान जैसी जानकारी देने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।

विस्तार

राजद नेता तेजस्वी यादव ने सोमवार को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बिहार के 30 साल के विकास पर सवालों का जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सीएम नीतीश कुमार को घेरा। उन्होंने कहा कि हमने इसका विरोध किया था, लेकिन सीएम नीतीश कुमार की पार्टी ने इसका समर्थन किया था। उन्हें इस पर सफाई देनी चाहिए।

दरअसल, राजद नेता से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान के बारे में भी पूछा गया था जिसमें कहा गया था कि नागरिक संशोधन अधिनियम (सीएए) कोरोना संकट खत्म होने के बाद लागू किया जाएगा। इस दौरान इस मुद्दे पर सीएम नीतीश कुमार के टाल-मटोल वाले रुख को लेकर भी उनसे राय मांगी गई थी।

राजद नेता ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू करने को लेकर नीतीश कुमार की पार्टी के समर्थन को लेकर भी उन्हें घेरा।  तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी ने संसद में सीएए के पक्ष में मतदान किया था जबकि मेरी पार्टी ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा कि  इसलिए हमें इस मुद्दे पर कोई स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं है। लेकिन, मुख्यमंत्री को निश्चित रूप से सफाई देने की जरूरत है। हमें नहीं लगता कि यह बिहार में आने वाले समय में लागू होगा। इस कानून के खिलाफ बिहार में हर तरफ लोगों ने विरोध प्रदर्शन किए थे।

दरअसल, नीतीश कुमार ने सीएए कानून को लागू करने पर कहा था कि यह नीतिगत मुद्दा है और राज्य सरकार अपने लोगों को फिलहाल कोरोना से सुरक्षित रखने में व्यस्त है। नीतीश का यह बयान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस दावे के बाद आया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि यह कानून महामारी के खत्म होते ही पूरे देश में लागू होगा।

हालांकि, नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी का विरोध किया था। इतना ही नहीं उन्होंने एनआरसी के खिलाफ राज्य विधानसभा द्वारा एक प्रस्ताव भी पारित किया था। प्रशांत किशोर उस समय औपचारिक रूप से जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे और उन्होंने सीएए के खिलाफ मुखर होकर इसकी आलोचना की थी। उनके इस रुख के कारण उनका कुमार के साथ विवाद पैदा हो गया। जिसको लेकर आखिरकार उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।

इससे पहले बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल को लेकर प्रशांत किशोर के सवालों का जवाब देते हुए तेजस्वी ने कहा कि प्रशांत किशोर के बयानों का कोई आधार ही नहीं है।

पटना में पत्रकारों से बातचीत के दौरान तेजस्वी ने कहा, “यह सारे आरोप बेबुनियाद हैं। प्रशांत किशोर के बयान जवाब देने लायक भी नहीं हैं। मैं नहीं जानता कि वह कहां हैं और वे हैं कौन? उन्होंने अब तक कुछ भी नहीं किया है।”

बिहार में 2010 के प्रारूप में लागू होना चाहिए एनपीआर: नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को उसके 2010 प्रारूप में ही लागू किया जाना चाहिए। नीतीश कुमार ने पत्रकारों से कहा कि बिहार सरकार ने पहले ही केंद्र को एक पत्र लिखकर एनपीआर फॉर्म से विवादास्पद खंडों को हटाने की मांग की है। हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी को नए प्रारूप में माता-पिता के जन्मस्थान जैसी जानकारी देने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए।

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