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बिहार में आरसीपी की सीट क्यों फंसी, मोदी कैबिनेट में रह पाएंगे? जानिए

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बिहार में आरसीपी की सीट क्यों फंसी, मोदी कैबिनेट में रह पाएंगे? जानिए

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पटना : जो कभी दूसरों को सांसद, विधायक और मंत्री बनाने की हैसियत रखता था, आज उसकी उम्मीदवारी पर ही सवाल है। जेडीयू कोटे से केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह पिछले कुछ दिनों से पटना में कैंप किए हुए हैं। मगर राज्यसभा की बर्थ कन्फर्म नहीं हो रही। न तो नीतीश कुमार कुछ बोल रहे और ना ही आरसीपी सिंह कुछ कहने की स्थिति में हैं। दरअसल, आज जो कुछ भी दिख रहा है इसकी नींव 2019 लोकसभा चुनाव में ही पड़ गई थी।

बिहार में 2019 से बीजेपी-जेडीयू में खींचतान!
बिहार की राजनीति पिछले कुछ दिनों से काफी उथल-पुथल भरी चल रही है। बीजेपी के सबसे पुराने सहयोगियों में से एक नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के साथ गठबंधन के भविष्य को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। पूरा मसला जेडीयू कोटे से मोदी सरकार में मंत्री बने आरसीपी सिंह की राज्यसभा में वापसी के सवाल के साथ शुरू हुआ था। अब तक इसका कोई समाधान नहीं निकल पाया। ये सबकुछ चल ही रहा था कि जातीय जनगणना का मसला बड़ा हो गया। दरअसल, इसकी नींव 2019 लोकसभा चुनाव के सीट बंटवारे में ही पड़ गई थी। एक इंटरव्यू में नीतीश कुमार ने कहा था कि ‘मैंने तो भागलपुर सीट बीजेपी से मांगा भी नहीं था। अगर किसी एक सीट के लिए जोर दिया था तो वो दरभंगा थी, जो कि नहीं मिली।’ तब शाहनवाज हुसैन ने जेडीयू पर भागलपुर सीट छीनने का आरोप लगाया था।

2020 विधानसभा चुनाव में नीतीश के साथ ‘खेला’
इसके बाद 2020 बिहार विधानसभा चुनाव हुए। यहां भी नीतीश कुमार के साथ ‘खेला’ हो गया। चिराग पासवान ने बगावत कर जेडीयू के खिलाफ उम्मीदवार उतार दिया। इसका फायदा बीजेपी को हुआ। बिहार में बीजेपी बड़ी पार्टी हो गई और नीतीश कुमार की जेडीयू तीसरे नंबर पर खिसक गई। फिर नीतीश कुमार ने मंथन के बाद पार्टी की जिम्मेदारी आरसीपी सिंह को दे दी। मगर आईएएस से नेता बने आरसीपी सिंह ज्यादा दिनों तक रम नहीं सके। फाइनली नीतीश कुमार ने उन्हें दिल्ली का राह पकड़ा दिया। मोदी कैबिनेट में आरसीपी सिंह शामिल हो गए। मगर जिस एक मंत्री पद की वजह से 2019 में मोदी कैबिनेट में शामिल होने से नीतीश कुमार ने इनकार कर दिया था, उसी एक मंत्री पद को स्वीकार करना पड़ा। कहा जाता है कि आरसीपी सिंह की प्रबल इच्छा थी मंत्री बनने की और नीतीश कुमार ने उनकी ख्वाहिश पूरी कर दी।
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केंद्र में मंत्री बनते ही आरसीपी के बदले रंग-ढंग!
जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए आरसीपी सिंह अकेले केंद्र में मंत्री बन गए। इसके बाद से ही आरसीपी सिंह की दूरी बढ़ने लगी। ललन सिंह और आरसीपी सिंह में पहले से ही दूरियां थी। आरसीपी सिंह की ये दूरियां नीतीश तक पहुंचने लगी। दो दिन पहले एक कार्यक्रम की तस्वीरें इस बात की गवाही दे रही है। यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी से डील करने की जिम्मेदारी आरसीपी को दी गई थी। लेकिन वो फेल हो गए। राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने अपनी पार्टी के केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह से जवाब मांग दिया। यूपी चुनाव में बीजेपी से तालमेल क्यों नहीं हुआ? तब ललन सिंह ने कहा था कि आरसीपी सिंह के भरोसे में नहीं रहते तो उत्तर प्रदेश में बहुत मजबूती से चुनाव लड़ते। बाद में जेडीयू ने जैसे-तैसे चुनाव लड़ने का कोरम पूरा किया। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा के मसले पर भी आरसीपी सिंह कुछ नहीं कर रहे जबकि वो लगातार बीजेपी के बड़े नेताओं के संपर्क में हैं। कोई मीटिंग भी नहीं किए हैं। आरसीपी पर आरोप लग रहे हैं कि जब से केंद्रीय मंत्री बने बिहार के मुद्दों को उठाना छोड़ दिया। जातीय जनगणना को लेकर जेडीयू लगातार कोशिश करती दिख रही है, मगर जेडीयू के इकलौते मंत्री इस मसले से खुद को अलग-थलग कर रखा है।
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राज्यसभा सांसद नहीं बने आरसीपी तो क्या होगा?
आरसीपी सिंह के राज्यसभा का कार्यकाल जुलाई 2022 में पूरा हो रहा है। मंत्री बने रहने के लिए सांसद बने रहना जरूरी है। जेडीयू किसी एक उम्मीदवार को ही राज्यसभा सांसद बना सकती है। कई दावेदार हैं। अगर सांसद नहीं बन पाते हैं तो छह महीने के भीतर उनको इस्तीफा देना पड़ सकता है। इस बीच मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कई मुद्दों पर भाजपा का साथ देने के कारण नीतीश कुमार उनसे नाराज हैं और इस बार उनका राज्यसभा का टिकट कट सकता है। हालांकि अब तक कुछ भी साफ नहीं है। पार्टी के भीतर आरसीपी और ललन गुट है। दोनों एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते हैं। जेडीयू के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह के बयानों से ये साफ नजर आ रहा है कि सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है।

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