Home Bihar बिहार नगर निकाय चुनाव के SURPRISING परिणाम…गया में सफाई कर्मी को कमान और बेगूसराय में छात्रा बनी पार्षद

बिहार नगर निकाय चुनाव के SURPRISING परिणाम…गया में सफाई कर्मी को कमान और बेगूसराय में छात्रा बनी पार्षद

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बिहार नगर निकाय चुनाव के SURPRISING परिणाम…गया में सफाई कर्मी को कमान और बेगूसराय में छात्रा बनी पार्षद

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पटना : बिहार में नगर निकाय चुनाव के रिजल्ट काफी चौंकाने वाले रहे हैं। कई जगहों पर ये परिणाम ऐसे हैं, जहां स्थानीय लोग भी हैरान हैं कि आखिर इसे जीत कैसे मिल गई? निकाय चुनाव में इस बार लोगों ने कई जगहों पर जबरदस्त बदलाव किया है। नये चेहरों को मौका दिया है। कई जगहों पर दिग्गज राजनेताओं के रिश्तेदारों को हरा दिया है। चर्चा शुरू हो गई है कि आखिर स्थानीय स्तर पर विकास के कार्य करने वाले और लोगों के वादे पर खरा उतरने वालों को ही तरजीह दी गई है। बिहार नगर निकाय चुनाव परिणाम पर गौर करें, तो ये स्पष्ट हो जाता है कि इस बार लोगों ने काम करने वाले लोगों का चुनाव किया है। स्थानीय लोगों ने सियासी जानकारोंके उस अनुमान को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें वे पूर्व के उम्मीदवारों की जीत की बात कह रहे थे।

सफाईकर्मी चुनाव जीतीं

गया में लोगों ने डेप्यूटी मेयर के पद पर 62 वर्षीय चिंता देवी, जो सफाई कर्मी थीं, उन्हें चुनाव जीता दिया है। कल तक झाड़ू लगाने वाली चिंता देवी अब डेप्यूटी मेयर की कुर्सी संभालेंगी और शहर की सत्ता में मजबूत हिस्सेदारी रखेंगी। चिंता देवी की जीत से सफाई कर्मियों में खुशी की लहर है। सफाई कर्मी कह रहे हैं कि अब उनकी समस्या और परेशानियों को कोई न कोई देखने वाला सामने आया है। चिंता देवी ने अपने विरोधी को 15 हजार से ज्यादा वोटों से हराया। वो सड़कों पर झाड़ू देती थीं। 2020 में सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने सब्जी बेचने का काम शुरू किया था। गया के माड़नपुर की रहने वाली चिंता की जीत को लेकर स्थानीय लोगों में खुशी है। चिंता देवी ने जीत के बाद कहा कि जनता के आशीर्वाद से चुनाव जीतकर डिप्टी मेयर बनी हूं। मैं लोगों के लिए विकास का काम करूंगी।

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डेप्यूटी सीएम की बहू हारी

उधर, अररिया में मेडिकल की छात्रा ने पूर्व सांसद सुखदेव पासवान की पत्नी को निगम चुनाव में पराजित कर दिया है। जबकि, बेतिया में पूर्व डेप्यूटी सीएम रेणु देवी की बहू चुनाव हार गई हैं। रेणु देवी की बहू सुरभि धई को गरिमा देवी सिकारिया ने हरा दिया। यहां बीजेपी जोर-शोर से चुनाव लड़ रही थी। बीजेपी के कद्दावर नेता संजय जायसवाल के गृह जिले में पूर्व डेप्यूटी सीएम की बहू का हार जाना पार्टी के लिए एक झटका ही है। बेतिया से एक और परिणाम हैरान कर देने वाला रहा, जिसमें चनपटिया से बीजेपी विधायक उमाकांत सिंह की भारी ये चुनाव हार गईं। वहीं, अपने बड़बोले पर और बेबाक बयानबाजी के लिए मशहूर जेडीयू के विधायक गोपाल मंडल की पत्नी को मेयर के पद का चुनाव हार जाना पड़ा है। गोपाल मंडल हमेशा सुर्खियों में रहते हैं। कभी ट्रेन में अर्धनग्न अवस्था में यात्रा करने के दौरान और कभी अपने बयानों से सुर्खियों में रहते हैं। भागलपुर से चुनाव लड़ी उनकी पत्नी सविता देवी को लोगों ने वोट नहीं दिया। उन्हें चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा। वहीं इस चुनाव में अपना मां के सपोर्ट में पुलिस को चुनौती देने वाले गोपाल मंडल के बेटे आशीष मंडल को हाल में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

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रामाश्रय सहनी जीते

दूसरी ओर कभी पशुपालन मंत्री रहे रामाश्रय सहनी ने इस बार अपनी किस्मत नवगठित नगर निगम चुनाव में समस्तीपुर से वार्ड पार्षद के लिए आजमाई। इस चुनाव में उन्हें भारी बहुमत से जीत मिली है। निगम के वार्ड संख्या 38 से उन्होंने अपनी उम्मीदवारी दी थी। साल 1995-2000 के बीच वे लालू प्रसाद यादव के मंत्रिमंडल में पहले राज्य मंत्री बने फिर कैबिनेट मंत्री तक बनाए गए थे। एक समय में सहनी अपने गांव में निर्विरोध मुखिया भी रहे। वे राजद के जिलाध्यक्ष भी कई टर्म तक रहे थे। वहीं, समस्तीपुर नगर निगम में मेयर पद के लिए फाइट करने वाली विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी की पत्नी भी चुनाव हार गई हैं। संध्या हजारी को लोगों ने वोट नहीं दिया। उन्हें अनिता राम से हार मिली। हजारी सीएम नीतीश के काफी करीबी हैं और पत्नी की हार से उन्हें सदमा लगा है।

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बेगूसराय में नये चेहरों को जगह

उधर, बेगूसराय नगर निकाय चुनाव का परिणाम भी चौंकाने वाला रहा। इस बार लोगों ने निगम के वार्ड 31 से एक किशोरवय लड़की को चुनाव जीताकर बता दिया कि जो काम करेगा, उसे ही वे लोग वोट देंगे। चुनाव जीतने वाली 21 वर्षीय प्रियंका इस जीत से काफी खुश हैं। उन्हें 480 वोटों से जीत मिली। प्रियंका की जीत से स्थानीय युवाओं में काफी उत्साह है। वहीं, वार्ड नंबर 10 से कम उम्र की प्रत्याशी रंजीता कुमारी को लोगों ने जीत दिलाई है। मोतिहारी नगर निगम चुनाव का परिणाम भी चौंकाने वाला रहा। मैदान में उतरे कम उम्र के लड़के ने राजनीतिक दिग्गज को हरा दिया। मोतिहारी में कायस्थ, बनिया, राजपूत, भूमिहार और मुस्लिम वोट निर्णायक होते है। चुनाव में स्टार्टिंग से ही दो लोगों में आमने-सामने की टक्कर थी। पहला नाम प्रकाश अस्थाना का था और प्रकाश बीजेपी के बड़े नेता हैं। मोतिहारी को सुंदर मोतिहारी बनाने में इन्होंने बड़ी भूमिका निभाई है।

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