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बिहार में महागठबंधन सरकार बनाते ही बीजेपी के निशाने पर नीतीश कुमार आ गए। अब शराबबंदी को लेकर घिरते नजर आ रहे हैं। आरजेडी जब विपक्ष में थी, तब नीतीश के शराबबंदी का माखौल उड़ाया करती थी। अब विपक्ष के तौर पर मौजूद बीजेपी ने सीएम के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। सरकार के मैनजरों को कोई उपाय नहीं सूझ रहा।
‘ठंड से बचने के लिए रखी लकड़ी से जला रहे शव’
बीजेपी मीडिया सेल के इंचार्ज अमित मालवीय ने नीतीश कुमार के उस बयान की भर्त्सना की है, जिसमें मुख्यमंत्री ने कहा था कि बिहार में शराबबंदी के सफल है और जहरीली शराब पीने वाले तो मरेंगे ही। अमित मालवीय ने कहा कि ये बयान एक संवेदनहीन मुख्यमंत्री ही दे सकता है। नीतीश कुमार के इस बयान से शराब माफिया का आत्मबल बढ़ेगा। अमित मालवीय ने कहा कि उनके पास छपरा में जहरीली शराब से अब तक 39 लोगों के मरने की खबर आ चुकी है। उन्हें जो जानकारी दी गई है कि उनमें कुछ इतने गरीब परिवार से हैं कि वो चंदा मांगकर शव जला रहे हैं। इसके अलावे कई परिवार ऐसे हैं जो ठंड में आग जलाने के लिए रखी लकड़ी से मृतक का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। मगर आत्ममुग्ध नीतीश को शराबबंदी की सफलता की चिंता है।
‘200 से 4000 करोड़ तक पहुंच गया था टर्न ओवर’
अमित मालवीय के मुताबिक बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार के दौरान राबड़ी देवी का कार्यकाल समाप्त होते समय शराब बिक्री का टर्नओवर तकरीबन 200 करोड़ था। जो नीतीश कुमार के राज में (2016 में शराबबंदी लागू होने के समय) लगभग 4000 करोड़ पहुंच गया था। बीजेपी मीडिया सेल के प्रमुख ने कहा कि 10 साल में हजारों प्रतिशत की बढ़ोतरी, गली-गली शराब की दुकान। ये भी नीतीश कुमार की विरासत है।
शिवानंद तिवारी ने की शराब पर राष्ट्रीय नीति की मांग
शराबबंदी और जहरीली शराब से मौत पर चौतरफा घिरे नीतीश कुमार पर विपक्ष लगातार हमलावर है। इसी दरम्यान राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने देशभर के लिए शराब नीति बनाने की मांग की है। आरजेडी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि गुजरात में भी शराबबंदी कानून लागू है लेकिन वहां भी जहरीली शराब से मौत हो रही है। फिर ऐसा क्यों है कि सिर्फ बिहार के मामले में ही हो-हल्ला मचाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जब बिहार में शराबबंदी कानून लागू नहीं थी, तब भी जहरीली शराब से मौत हुआ करती थी। जहां शराबबंदी कानून लागू नहीं है वहां से भी जहरीली शराब से मौत की खबरें आती रहती हैं। इसलिए केंद्र सरकार को शराब को लेकर एक राष्ट्रीय नीति बनाने की जरूरत है।
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