Home Bihar बिहार की राजनीति में ओवैसी की एंट्री के मायने समझने हैं तो इस खबर को पढ़िए

बिहार की राजनीति में ओवैसी की एंट्री के मायने समझने हैं तो इस खबर को पढ़िए

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बिहार की राजनीति में ओवैसी की एंट्री के मायने समझने हैं तो इस खबर को पढ़िए

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पटना: बिहार में ओवैसी की पार्टी मुख्य रूप से अल्पसंख्यक वोटों को अपने पाले में करती है। जिन वोटों पर दशकों तक राजद का कब्जा रहा। वो वोट अब छिटक रहे हैं। आरजेडी को पता है कि बिहार में मुस्लिम समुदाय ओवैसी को ज्यादा पसंद कर रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव का परिणाम आपको यादव है। इस चुनाव में 19 मुस्लिम विधायकों ने जीत दर्ज की। जेडीयू का एक भी मुस्लिम विधायक नहीं जीत सका। ओवैसी की पार्टी के पांच विधायक चुनाव जीत गये। हालांकि, बाद में आरजेडी ने उन्हें अपने पाले में कर लिया। आरजेडी ने 17 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था। जिसमें आठ जीतने में सफल रहे थे। 2015 के चुनाव में आरजेडी से 11 मुस्लिम विधायक जीतने में कामयाब रहे थे। 2020 में ये संख्या कम हो गई। इसका सीधा कारण ओवैसी बने। ओवैसी की राजनीति बिहार में ‘उधो के लेना…ना माधो के देना’ वाले कहावत पर चल रही है। ओवैसी बिहार के सत्ताधारी दल से 36 का आंकड़ा लेकर चल रहे हैं। उन्हें किसी गठबंधन और किसी के साथ पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। ओवैसी ने सीमांचल दौरे में साफ संकेत दिया है कि नीतीश भरोसे के लायक नहीं। आरजेडी में गद्दारों की टोली गई है। इसलिए उधर हाथ मिलाने की कोई संभावना नहीं है।

हम बीजेपी की बी टीम नहीं-ओवैसी

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में भाजपा की ‘‘बी टीम’’ होने के आरोपों को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि राज्य विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के उम्मीदवारों द्वारा धर्मनिरपेक्ष वोट कथित रूप से काट लिए जाने के कारण सत्ताधारी महागठबंधन के प्रत्याशियों की कई सीटों पर हार हो गई थी। बिहार के सीमांचल क्षेत्र का दौरा कर रहे हैदराबाद के सांसद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का उनके भाजपा विरोधी होने का उपहास करते हुए कहा कि इसकी कोई गारंटी नहीं है कि वह अभी एक और दलबदलू चेहरा नहीं बनाएंगे और राजग में वापस नहीं आएंगे। ओवैसी ने किशनगंज और पूर्णिया जिलों की अपनी यात्रा के दौरान मीडिया से बातचीत की। गोपालगंज विधानसभा सीट के उपचुनाव में एआईएमआईएम के उम्मीदवार के कारण हुए वोटों के बंटवारे को प्रदेश में सत्ताधारी महागठबंधन (जिसमें राजद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू, कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं) के प्रत्याशी की हार के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। हालांकि, इस मामले में महागठबंधन नेताओं की टिप्पणियों के जवाब में ओवैसी ने राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अपने साले को तो रोक नहीं पाए। इन लोगों में भाजपा से मुकाबला करने की ताकत तो है नहीं, हमें बलि का बकरा बनाना चाहते हैं।

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सीमांचल को साधने की कवायद

ओवैसी ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हमने बिहार में केवल किशनगंज सीट से चुनाव लड़ा। हालांकि हमें तीन लाख से अधिक वोट मिले लेकिन यह सीट कांग्रेस के खाते में चली गई। देश भर में हमने कुल तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा। भाजपा के 300 से अधिक सीट प्राप्त करने के लिए इनका हमपर दोष मढना बेतुका है। गोपालगंज विधानसभा सीट के उपचुनाव में राजद ने भाजपा को बेहतर टक्कर दी थी और उसके उम्मीदवार 2000 से कम मतों के मामूली अंतर से हार गए थे। इस उपचुनाव में एआईएमआईएम उम्मीदवार 12000 से अधिक मतों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। गोपालगंज विधानसभा सीट के उपचुनाव में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के भाई साधु यादव की पत्नी एवं मायावती की पार्टी बसपा प्रत्याशी इंदिरा यादव को आठ हजार से ज्यादा वोट मिले थे। ओवैसी ने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के छोटे पुत्र उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव द्वारा नीतीश कुमार को पीएम मटेरियल बताए जाने पर भी कटाक्ष किया। ओवैसी ने कहा कि उन्होंने (राजद) भाजपा के साथ हाथ मिलाने पर नीतीश कुमार को पलटूराम बताया था जब उन्होंने पहली बार उन्हें धोखा दिया था। कौन गारंटी दे सकता है कि वह दोबारा ऐसा नहीं करेंगे।

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नीतीश पर हमलावर ओवैसी

ओवैसी के भाषण ‘चार गद्दार’ के व्यंग्य से भरे हुए थे जो एआईएमआईएम के टिकट पर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में जीते थे और बाद में राजद में शामिल हो गए। उन्होंने नीतीश और राजद पर धन देकर उनकी पार्टी के विधायकों को अपने पक्ष में मिलाने का आरोप भी लगाया। उल्लेखनीय है कि ओवैसी की पार्टी में यह टूट उस समय हुआ था जब नीतीश राजग में थे और राजद विपक्ष में था। ओवैसी ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार हमें केवल मुसलमानों की पार्टी कहते हैं। आप मुख्यमंत्री होते हुए कभी भी कुशवाहा और कुर्मी के के अपने जानाधार से परे कभी नहीं जा पाए हैं। एआईएमआईएम प्रमुख ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे नीतीश पर हमला जारी रखा और सांप्रदायिक दंगों का जिक्र करते हुए कहा कि आपको हमेशा उस व्यक्ति के रूप में याद किया जाएगा जिसने भाजपा को सत्ता में लाने में मदद की। गुजरात 2002 में जल रहा था और आपने चुपचाप उनके साथ सत्ता का आनंद लिया। हैदराबाद के सांसद ने जुलाई 2017 में भाजपा के साथ गठबंधन करने वाले नीतीश पर गो रक्षकों द्वारा की गई भयावह हिंसा जो कि पहले राजस्थान और उत्तर प्रदेश में हुए थे, के लिए भी गठबंधन के घटक दल के तौर पर दोषी होने आरोप लगाया।
इनपुट-एजेंसी

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