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पीड़ित वकील शहीदुल हक की ओर से अधिवक्ता राजीव शरण कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा कि महिला थानाध्यक्ष की ओर से की गई कार्रवाई गैरकानूनी थी। इस कार्रवाई से समाज में वकील की प्रतिष्ठा का हनन हुआ है। उन्होंने कोर्ट से अपील की कि उनके मुवकिल को एसएचओ पुष्पलता की कार्रवाई से जो मानसिक प्रताड़ना और व्यावसायिक क्षति हुई है, उसके लिए मुआवजे के रूप में 90 लाख रुपए दिए जाएं। जज दिव्यप्रकाश ने दलीलें सुनने के बाद शहीदुल हक की दाखिल अर्जी को स्वीकार कर मानहानि का केस चलाने का आदेश पारित कर दिया।
ये है मामला
पीड़ित अधिवक्ता शहीदुल हक के एक रिश्तेदार की पत्नी ने किशनगंज महिला थाने में अपने पति के खिलाफ प्रताड़ना को लेकर प्राथमिकी दर्ज करायी थी। साथ ही महिला ने आशंका जाहिर की थी कि उसकी बेटी को पति ने रिश्तेदार अधिवक्ता के घर पर छिपाकर रखा है। उसी बच्ची की तलाशी में किशनगंज महिला थाने की एसएचओ पुष्पलता कुमारी स्थानीय पुलिस अधिकारियों के साथ बिना सर्च वारंट के वकील के घर पहुंच गई थीं। जब वकील शहीदुल हक ने सर्च वारंट दिखाने को कहा तो गालीगचौच की और बिना सर्च लिए घर से चले गए। थोड़ी देर में भारी पुलिस फोर्स के साथ पुष्पलता कुमारी पहुंची और वकील के घर में जबरन घुस गईं। जबकि उनके पास सर्च वारंट नहीं था। पीड़ित वकील शहीदुल हक का आरोप है कि बिना सर्च वारंट के पुलिस ने उनके घर की तलाशी ली और घर में तोड़फोड़ की थी। इस दौरान उन्हें और उनके परिवार के सभी सदस्यों के साथ मारपीट भी की गई। बिना किसी सबूत के पुलिसवाले उन्हें जबरन उठाकर थाने पर ले गए।
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