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बिहार और केंद्र के बीच तगड़ी लड़ाई शुरू, दो हजार करोड़ का है मामला

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बिहार और केंद्र के बीच तगड़ी लड़ाई शुरू, दो हजार करोड़ का है मामला

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पटना: बिहार सरकार ने केन्द्र की राजग सरकार पर विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत धन जारी करने में अनिच्छा दिखाने का आरोप लगाया। बिहार ने मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना पीएमएवाई (ग्रामीण) के लिए लंबित 2,000 करोड़ रुपये बिना किसी देरी के राज्य को तुरंत जारी करने का आग्रह किया। बिहार विधानसभा में 2023-24 के लिए राज्य के ग्रामीण विकास विभाग के बजट पर चर्चा के प्रदेश के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा बार-बार अनुरोध करने के बावजूद भाजपा नीत केन्द्र सरकार राज्य सरकार के हिस्से की राशि जारी नहीं कर रही है।

बिहार सरकार का आरोप

उन्होंने कहा कि केन्द्र को पीएमएवाईजी योजना के निर्बाध कार्यान्वयन और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत राज्य द्वारा लगाए गए मजदूरों को भुगतान के लिए तुरंत धन जारी करना चाहिए। मंत्री ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में स्थिति का प्रबंधन करने के लिए अपने कोष से एक बड़ी राशि जारी की है। केन्द्र को कम से कम मनरेगा और पीएमएवाईजी परियोजनाओं के लिए बिहार को अपने हिस्से (केन्द्र का अनुदान) का 2000 करोड़ रुपये जारी करने चाहिए।

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केंद्र नहीं दे रहा फंड

उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र की भाजपा सरकार योजनाओं पर राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने अब तक पीएमएवाईजी के तहत राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 34.31 लाख लाभार्थियों को मकान उपलब्ध कराए हैं। मंत्री ने आगे कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में स्थिति का प्रबंधन करने के लिए अपने स्वयं के कोष से एक बड़ी राशि जारी की है। केन्द्र को कम से कम मनरेगा और पीएमएवाई.जी परियोजनाओं के लिए बिहार को अपने हिस्से का 2000 करोड़ रुपये जारी करने चाहिए। केन्द्र की भाजपा सरकार योजनाओं पर राजनीति कर रही है।

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श्रवण कुमार ने उठाए सवाल

गौरतलब है कि जून 2015 में केन्द्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया, पीएमएवाईजी सभी के लिए किफायती आवास प्रदान करने के अपने मिशन में केन्द्र सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है। बिहार विधानसभा ने वर्ष 2023-24 के लिए राज्य के ग्रामीण विभाग के बजट (1545.21 करोड़ रुपये) को ध्वनि मत से पारित कर दिया। हालांकि भाजपा विधायक राज्य में ग्रामीण विकास विभाग के कार्यालयों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में सरकार की कथित निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए सदन से बहिर्गमन कर गए।

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