Home Bihar बिहार उपचुनाव 2022: जातीय समीकरण या कुछ और… मुकेश सहनी- असदुद्दीन ओवैसी कुढ़नी में क्यों लगा रहे दांव?

बिहार उपचुनाव 2022: जातीय समीकरण या कुछ और… मुकेश सहनी- असदुद्दीन ओवैसी कुढ़नी में क्यों लगा रहे दांव?

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बिहार उपचुनाव 2022: जातीय समीकरण या कुछ और… मुकेश सहनी- असदुद्दीन ओवैसी कुढ़नी में क्यों लगा रहे दांव?

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नीलकमल, पटना: गोपालगंज और मोकामा उपचुनाव के परिणाम आने के बाद मुजफ्फरपुर जिला के कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में 5 दिसंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में चल रहे महागठबंधन में JDU और RJD के बीच इस सीट को लेकर खींचतान जारी है। वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी (VIP) ने भी यहां से अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर महागठबंधन के अंदर बेचैनी बढ़ा दी है। इधर BJP अपने विरोधियों की ओर से उम्मीदवार घोषित किये जाने का इंतजार कर रही है। यानी बीजेपी अपना पत्ता तभी खोलेगी जब AIMIM, VIP के साथ JDU या RJD के उम्मीदवार की घोषणा हो जाएगी।

ऐसा है कुढ़नी में जातीय समीकरण
बिहार के मुजफ्फरपुर जिला कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र पूरी तरह से ग्रामीण इलाका के तौर पर देखा जाता है। कुल 3 लाख 10 हजार 987 मतदाता वाले इस इलाके की जातीय समीकरण की बात करें तो पहले नंबर पर लगभग 40 हजार मतदाताओं के साथ कुशवाहा जाति खड़ी हैं। दूसरे नंबर पर वैश्य समाज के लोग आते हैं, जिनके मतदाता की संख्या करीब 33 हजार के आसपास है। इसके अलावा 25 हज़ार मतदाताओं के साथ सहनी समाज तीसरे नंबर पर खड़ी है। चौथे नम्बर पर करीब 23 हज़ार मतदाताओं के साथ यादव समाज के लोग आते हैं। इसके अलावा कोइरी और कुर्मी जाति के लोग भी अच्छी खासी संख्या में मौजूद है। वहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की संख्या लगभग 19 प्रतिशत है और यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी लगभग 22 हज़ार के आसपास है। जानकारी के अनुसार, इस विधानसभा क्षेत्र में अगड़ी जाति के करीब 45 हज़ार मतदाता भी मौजूद है। इसके अलावा बाकी बचे वोटर अन्य जातियों से आते हैं।

कुढ़नी में मुकेश सहनी और ओवैसी क्यों लगा रहे हैं दाव
अपनी अपनी जाति और संप्रदाय को देखते हुए मुकेश सहनी और असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं ने भी यहां किस्मत आजमाने के लिए उम्मीदवार खड़ा करने का मन बना चुके हैं। गौरतलब है कि एनडीए और महागठबंधन में घूम चुके मुकेश सहनी इन दिनों अपनी पार्टी के लिए जमीन तलाश रहे हैं। जाहिर है उपचुनाव में मुकेश सहनी अपना उम्मीदवार खड़ा कर महागठबंधन और एनडीए दोनों से बारगेनिंग के पोजीशन में आ जाएंगे। वही असदुद्दीन ओवैसी अपनी पार्टी के विस्तार के साथ 2024 लोकसभा और 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मुसलमानों को अपने पक्ष में लामबंद करने की कोशिश में जुटे हैं। यही वजह है कि एआईएमआईएम (AIMIM) कुढ़नी में विधानसभा चुनाव लड़ कर अपने मुसलमान वोट बैंक के बेस को मजबूत करना चाहती है।

K S V में फंसी बीजेपी
कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में टिकट का फैसला करना बीजेपी के लिए आसान नहीं है। बीजेपी K S V यानी कुशवाहा, सहनी, वैश्य के फेर में फंसी नजर आ रही है। बीजेपी ने 2015 में जीत हासिल करने वाले केदार गुप्ता को 2020 में अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन राष्ट्रीय जनता दल के अनिल सहनी ने मात्र 712 वोट से बीजेपी के उम्मीदवार को शिकस्त दी थी। हालांकि पूर्व विधायक केदार गुप्ता यहां से टिकट के प्रबल दावेदार भी हैं। लेकिन बिहार की राजनीति में बदलाव को देखते हुए बीजेपी भी जातीय गणित और विरोधियों के उम्मीदवारों को देखते हुए अपना कैंडिडेट उतारने के मूड में है।

बता दें कि जेडीयू यहां से मनोज कुशवाहा को अपना उम्मीदवार बनाना चाहती है। आपको यह भी बता दें कि मनोज कुशवाहा तीन बार यहां से विधायक रह चुके हैं। 2015 में केदार गुप्ता को बीजेपी से इसलिए टिकट मिला था क्योंकि जेडीयू, बीजेपी से अलग हो चुकी थी और 2020 में मनोज कुशवाहा का टिकट इसलिए कट गया था कि जेडीयू -बीजेपी के गठबंधन में यह सीट बीजेपी के पास चली गई थी। इधर भ्रष्टाचार के आरोप में अपनी विधायकी गवाने वाले आरजेडी के पूर्व विधायक इस सीट पर अपनी पत्नी को चुनाव लड़ना चाहते हैं, जिसके लिए वह पटना स्थित राबड़ी आवास से दिल्ली स्थित मीसा भारती के आवास तक दौड़ लगा रहे हैं। ऐसे में बीजेपी महागठबंधन और मुकेश सहनी के उम्मीदवार की जाति को देखकर ही अपने उम्मीदवार का फैसला कर सकती है।

कई नेता पुत्र और करीबी भी टिकट के लिए लगा रहे चक्कर
जानकारी के अनुसार, कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र से RJD के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए पूर्व विधायक साधु शरण शाही के पोते नीलाभ कुमार भी बेताब हैं। बता दें कि इस सीट पर 1990 तक अगड़ी जाति के लोगों का ही कब्जा था। लेकिन 1995 से लेकर 2020 तक इस सीट पर पिछड़ी जाति के उम्मीदवार को ही जीत हासिल हो रही है। इसके अलावा आरजेडी के शेखर सहनी जो 2020 के चुनाव में टिकट पाने में असफल रहे थे, इस बार टिकट पाने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। इसके अलावा बिहार सरकार के नगर आवास मंत्री रह चुके और बीजेपी के नेता सुरेश शर्मा के पुत्र भी जेडीयू के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ना चाहते हैं। बताया जाता है कि टिकट को लेकर वह जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से मुलाकात भी कर चुके हैं। इसके साथ ही एक केंद्रीय राज्य मंत्री के करीबी भी बीजेपी से टिकट लेने की होड़ में खड़े नजर आ रहे हैं।

अनिल सहनी की विधायकी जाने पर कुढनी में हो रहा उपचुनाव
दरअसल राष्ट्रीय जनता दल के विधायक अनिल सहनी पर यह आरोप लगा था कि सांसद पद पर रहते हुए उन्होंने बिना कोई यात्रा किए जाली ई-टिकट और फर्जी बोर्डिंग पास के जरिए लगभग 24 लाख रुपए धोखाधड़ी कर निकाले हैं। CBI ने इस मामले में मनी लाउंड्रिंग एक्ट, धोखाधड़ी और सरकारी पद के दुरुपयोग के धाराओं के तहत 2013 में मामला दर्ज किया था मामला। एलटीसी घोटाले के मामले में 31 अक्टूबर 2013 में सीबीआइ ने केस दर्ज किया था। इस मामले में अदालत ने अगस्त 2022 में अनिल सहनी को दोषी करार दिया था जिसकी वजह से उनकी विधायकी की चली गई और खाली हुए सीट पर 5 दिसंबर को उपचुनाव कराए जा रहे हैं।

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