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साल 2017 में इसी मुद्दे पर गिर गई थी सरकार
सबसे पहले आपको लिये चलते हैं 2017 में जब नीतीश कुमार ने तेजस्वी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर सफाई मांगी थी। आखिरकार उन्होंने भ्रष्टाचार को ही केंद्र में रखकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंपने के बाद कहा कि मैंने अभी राज्यपाल जी से मिलकर इस्तीफा सौंप दिया है। हमने महागठबंधन सरकार 20 महीने से ज्यादा समय तक चलाई। जितना संभव हुआ, हमने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए बिहार की जनता के समक्ष चुनाव के दौरान जिन बातों की चर्चा की, उसी के मुताबिक काम करने की कोशिश की। हमने बिहार में सामाजिक परिवर्तन की बुनियाद रखी। बिहार में शराबबंदी लागू की गई। जो कुछ भी काम पहले से चल रहे थे, चाहे वह कृषि विकास का हो या बुनियादी विकास (सड़क, पुल आदि) हो, बिजली हो, कल्याणकारी योजनाएं हों, सबके लिए हमने काम किया। जितना संभव है, हमने वह काम करने की पूरी कोशिश की। 20 महीने पूरे हुए, लेकिन अब जो चीजें उभरकर सामने आईं, अब उस माहौल में मेरे लिए काम करना संभव नहीं। अंतरात्मा की आवाज पर मैंने इस्तीफा दिया है। मैंने किसी का इस्तीफा नहीं मांगा था। तेजस्वी के मामले में राहुल गांधी से भी बात की। हमने अच्छा काम करने की कोशिश की।
लालू के रेल मंत्री रहते हुए घोटाले का आरोप
आपको बता दें कि लालू के रेलमंत्री रहने के दौरान रेलवे को दो होटलों के रखरखाव के लिए एक प्राइवेट कंपनी को टेंडर दिया गया और इसके एवज में लालू को तीन एकड़ जमीन दी गई। ये टेंडर साल 2004 से 2009 के बीच आईआरसीटीसी के जरिये दिए गए थे, जब लालू रेल मंत्री थे। 2004 से 2014 के बीच रची गई इस कथित साजिश के लिए लालू और अन्य आरोपियों के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट, 1988 के तहत केस दर्ज किया गया था। जिसमें तेजस्वी यादव भी एक आरोपी हैं। इस मामले में तेजस्वी यादव सहित तेज प्रताप यादव और बाकी लोगों पर गिफ्ट लेने का आरोप भी है। जिसकी जांच चल रही है। तेजस्वी के नाम पर कई संपत्तियों की लेन-देन हुई थी। जिसकी जांच जारी है। सुशील मोदी ने 2017 में आरोप लगाया था कि लालू परिवार के पास एक हजार करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्ति है। आरोप ये भी लगा था कि तेजस्वी यादव को प्रेमचंद्र गुप्ता ने जमीन गिफ्ट में दी थी। प्रेम गुप्ता की कंपनी के पास इस जमीन का मालिकान हक था। आरोप है कि उस जमीन को राबड़ी देवी और तेजस्वी के नाम किया गया।
तेजस्वी यादव तलब
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित ‘नौकरी के बदले जमीन’ घोटाले के सिलसिले में पूछताछ के लिए बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को शनिवार को तलब किया। अधिकारियों ने बताया कि यादव को पहले चार मार्च को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह सीबीआई अधिकारियों के समक्ष पेश नहीं हुए थे, जिसके बाद शनिवार के लिए एक नयी तारीख दी गयी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता को शनिवार पूर्वाह्न पूछताछ के लिए पेश होने को कहा गया है, लेकिन वह अभी तक यहां सीबीआई मुख्यालय नहीं पहुंचे हैं। संघीय एजेंसी ने हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद और उनकी पत्नी राबड़ी देवी से क्रमश: दिल्ली और पटना में पूछताछ की थी। यह मामला रेलवे में कथित तौर पर नौकरी पाने के लिए लालू प्रसाद के परिवार को तोहफे में जमीन देने या जमीन बेचने से संबंधित है। यह मामला उस वक्त का है जब राजद प्रमुख 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री थे।
तेजस्वी की मौजूदगी में छापेमारी
वहीं ईडी की छापेमारी में दक्षिण दिल्ली के एक घर में छापेमारी की गई। जहां बिहार के डेप्यूटी सीएम तेजस्वी यादव मौजूद थे। नौकरी के बदले जमीन ‘घोटाला’ मामले में धनशोधन संबंधी जांच के सिलसिले में शुक्रवार को बिहार के कई शहरों एवं कई अन्य जगहों पर छापेमारी की। छापेमारी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद की तीन पुत्रियों और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेताओं के परिसर में भी की गई। एजेंसी के सूत्रों ने बताया कि छापों के दौरान, 53 लाख रुपये नकद, 1900 अमेरिकी डॉलर, करीब 540 ग्राम स्वर्ण और सोने के 1.5 किलोग्राम जेवरात को जब्त किया गया है। यह घर दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी इलाके में है और ‘लाभार्थी कंपनी’ एके इंफोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड का पंजीकृत पता है जो मामले में शामिल है, लेकिन ईडी के मुताबिक, इसे यादव का परिवार आवासीय संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। अधिकारियों ने कहा कि छापे पटना, फुलवारी शरीफ, दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), रांची और मुंबई में लालू प्रसाद की बेटियों रागिनी यादव, चंदा यादव और हेमा यादव और राजद के पूर्व विधायक अबू दोजाना, अमित कत्याल, नवदीप सरदाना और प्रवीण जैन के स्थानों पर मारे गए।
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