Home Bihar पर्यावरणविद् अतुल बगई बोले: बिहार पर्यावरण संरक्षण में देश से 30 साल आगे, नीतीश कुमार ‘ग्लोबल क्लाइमेट लीडर’

पर्यावरणविद् अतुल बगई बोले: बिहार पर्यावरण संरक्षण में देश से 30 साल आगे, नीतीश कुमार ‘ग्लोबल क्लाइमेट लीडर’

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पर्यावरणविद् अतुल बगई बोले: बिहार पर्यावरण संरक्षण में देश से 30 साल आगे, नीतीश कुमार ‘ग्लोबल क्लाइमेट लीडर’

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना

द्वारा प्रकाशित: संजीव कुमार झा
अपडेटेड बुध, 23 मार्च 2022 09:30 AM IST

सार

बिहार दिवस के मौके पर यूनाइटेड नेशन एनवायर्नमेंट प्रोग्राम के भारत प्रमुख एवं पर्यावरणविद् अतुल बगई ने कहा कि  बिहार के दूरगामी जल-जीवन-हरियाली अभियान की तारीफ संयुक्त राष्ट्र तक में हो चुकी है। वहीं बिहार सरकार के मंत्री संजय झा ने कहा कि अब हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचने से बिहार में कृषि क्षेत्र में क्रांति आनी तय है।

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‘बिहार दिवस’ के अवसर पर मंगलवार को दिल्ली के  कॉन्स्टिट्यूशन क्लब  में ‘बिहार का गौरवशाली अतीत एवं वर्तमान में विकास के पथ पर अग्रसर बिहार’ विषय पर  परिचर्चा आयोजित की गई। इस मौके पर अतिथि के रूप में यूनाइटेड नेशन एनवायर्नमेंट प्रोग्राम के भारत प्रमुख एवं पर्यावरणविद् अतुल बगई और मुख्य अतिथि के रूप में बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क तथा जल संसाधन मंत्री श्री संजय कुमार झा मौजूद थे। दोनों ने बिहार सरकार द्वारा पर्यावरण में सुधार के लिए उठाए गए कदम की प्रशंसा की।

अतुल बगई ने अपना संबोधन देते हुए कहा कि बिहार पर्यावरण संरक्षण के मामले में देश से 30 साल आगे है। भारत ने अपने कार्बन उत्सर्जन को 2070 तक नेट-जीरो करने का लक्ष्य तय किया है। ग्लासगो में पिछले साल हुए जलवायु सम्मेलन कॉप26 में भारत के द्वारा इसकी घोषणा की गई थी। लेकिन, बिहार अपने कार्बन उत्सर्जन को 2040 तक ही नेट-जीरो करने की योजना बना रहा है। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए जल-जीवन-हरियाली जैसा बड़ा अभियान शुरू करने वाला बिहार देश का पहला राज्य है। संयुक्त राष्ट्र के कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘ग्लोबल क्लाइमेट लीडर’ पुकारा गया और ‘जल-जीवन-हरियाली’ अभियान को दुनिया के लिए पथ-प्रदर्शक माना गया।  अतुल बगई ने कहा कि जल संरक्षण और हरित आवरण में वृद्धि के लिए ‘जल-जीवन-हरियाली’ अभियान के तहत 11 बिंदुओं पर आधारित कार्ययोजना तैयार कर उसे राज्यभर में मिशन मोड में लागू किया जा रहा है। इसके तहत जल संसाधनों को पुनर्जीवित किया जा रहा है और हर साल करोड़ों की संख्या में पेड़ लगाये जा रहे हैं। इस अभियान पर चरणबद्ध तरीके से कुल 24,524 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है। उन्होंने कहा कि झारखंड से बिहार के बंटवारे के बाद बिहार का हरित आवरण 9 प्रतिशत रह गया था। वर्ष 2012 में हरियाली मिशन की स्थापना की गई और 24 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया।  इसके तहत लगभग 22 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए हैं। अब राज्य का हरित आवरण 15 प्रतिशत से अधिक हो चुका है। बिहार सरकार ने इसे 17 प्रतिशत से अधिक करने का लक्ष्य रखा है।

वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संजय कुमार झा ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत एक अवयब है जल के अधिशेष वाले क्षेत्र से जल को जल संकट वाले क्षेत्र में ले जाना। इसके तहत बिहार में गंगा जल आपूर्ति योजना का पहली बार कार्यान्वयन किया जा रहा है। इस योजना के तहत मॉनसून के महीनों में गंगा नदी के अधिशेष जल को लिफ्ट कर पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण चार शहरों- गया, बोधगया, राजगीर और नवादा में पहुंचाया जाएगा और वहां सालोभर पेयजल के रूप में उपयोग किया जाएगा।  संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य में ‘हर खेत तक सिंचाई का पानी’ पहुंचने से कृषि क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को निश्चित रूप से एक नई ताकत मिलेगी। इसके लिए जल संसाधन और कृषि सहित पांच विभागों के पदाधिकारियों के संयुक्त तकनीकी सर्वेक्षण दलों के द्वारा राज्य के प्रत्येक ग्राम तथा टोले के असिंचित क्षेत्रों का सर्वेक्षण कराया गया है। सर्वेक्षण में जिन योजनाओं को चिह्नित किया गया है, उनसे राज्य के 7 लाख 79 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने की संभावना बन रही है।

विस्तार

‘बिहार दिवस’ के अवसर पर मंगलवार को दिल्ली के  कॉन्स्टिट्यूशन क्लब  में ‘बिहार का गौरवशाली अतीत एवं वर्तमान में विकास के पथ पर अग्रसर बिहार’ विषय पर  परिचर्चा आयोजित की गई। इस मौके पर अतिथि के रूप में यूनाइटेड नेशन एनवायर्नमेंट प्रोग्राम के भारत प्रमुख एवं पर्यावरणविद् अतुल बगई और मुख्य अतिथि के रूप में बिहार के सूचना एवं जनसंपर्क तथा जल संसाधन मंत्री श्री संजय कुमार झा मौजूद थे। दोनों ने बिहार सरकार द्वारा पर्यावरण में सुधार के लिए उठाए गए कदम की प्रशंसा की।

अतुल बगई ने अपना संबोधन देते हुए कहा कि बिहार पर्यावरण संरक्षण के मामले में देश से 30 साल आगे है। भारत ने अपने कार्बन उत्सर्जन को 2070 तक नेट-जीरो करने का लक्ष्य तय किया है। ग्लासगो में पिछले साल हुए जलवायु सम्मेलन कॉप26 में भारत के द्वारा इसकी घोषणा की गई थी। लेकिन, बिहार अपने कार्बन उत्सर्जन को 2040 तक ही नेट-जीरो करने की योजना बना रहा है। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए जल-जीवन-हरियाली जैसा बड़ा अभियान शुरू करने वाला बिहार देश का पहला राज्य है। संयुक्त राष्ट्र के कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ‘ग्लोबल क्लाइमेट लीडर’ पुकारा गया और ‘जल-जीवन-हरियाली’ अभियान को दुनिया के लिए पथ-प्रदर्शक माना गया।  अतुल बगई ने कहा कि जल संरक्षण और हरित आवरण में वृद्धि के लिए ‘जल-जीवन-हरियाली’ अभियान के तहत 11 बिंदुओं पर आधारित कार्ययोजना तैयार कर उसे राज्यभर में मिशन मोड में लागू किया जा रहा है। इसके तहत जल संसाधनों को पुनर्जीवित किया जा रहा है और हर साल करोड़ों की संख्या में पेड़ लगाये जा रहे हैं। इस अभियान पर चरणबद्ध तरीके से कुल 24,524 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है। उन्होंने कहा कि झारखंड से बिहार के बंटवारे के बाद बिहार का हरित आवरण 9 प्रतिशत रह गया था। वर्ष 2012 में हरियाली मिशन की स्थापना की गई और 24 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया।  इसके तहत लगभग 22 करोड़ से अधिक पौधे लगाए गए हैं। अब राज्य का हरित आवरण 15 प्रतिशत से अधिक हो चुका है। बिहार सरकार ने इसे 17 प्रतिशत से अधिक करने का लक्ष्य रखा है।

वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संजय कुमार झा ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत एक अवयब है जल के अधिशेष वाले क्षेत्र से जल को जल संकट वाले क्षेत्र में ले जाना। इसके तहत बिहार में गंगा जल आपूर्ति योजना का पहली बार कार्यान्वयन किया जा रहा है। इस योजना के तहत मॉनसून के महीनों में गंगा नदी के अधिशेष जल को लिफ्ट कर पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण चार शहरों- गया, बोधगया, राजगीर और नवादा में पहुंचाया जाएगा और वहां सालोभर पेयजल के रूप में उपयोग किया जाएगा।  संजय कुमार झा ने कहा कि बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य में ‘हर खेत तक सिंचाई का पानी’ पहुंचने से कृषि क्षेत्र और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को निश्चित रूप से एक नई ताकत मिलेगी। इसके लिए जल संसाधन और कृषि सहित पांच विभागों के पदाधिकारियों के संयुक्त तकनीकी सर्वेक्षण दलों के द्वारा राज्य के प्रत्येक ग्राम तथा टोले के असिंचित क्षेत्रों का सर्वेक्षण कराया गया है। सर्वेक्षण में जिन योजनाओं को चिह्नित किया गया है, उनसे राज्य के 7 लाख 79 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होने की संभावना बन रही है।

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