Home Bihar नीरव नहीं, बिहार में नीरज मोदी है: दुष्कर्मी गुरु ने केस से बचने को खुद की अर्थी निकाली, अब पिता भी दोषी

नीरव नहीं, बिहार में नीरज मोदी है: दुष्कर्मी गुरु ने केस से बचने को खुद की अर्थी निकाली, अब पिता भी दोषी

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नीरव नहीं, बिहार में नीरज मोदी है: दुष्कर्मी गुरु ने केस से बचने को खुद की अर्थी निकाली, अब पिता भी दोषी

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हम शव की तस्वीर नहीं लगाते, मगर यह लाश ही फर्जी है। मतलब, जिंदा है यह आदमी।

हम शव की तस्वीर नहीं लगाते, मगर यह लाश ही फर्जी है। मतलब, जिंदा है यह आदमी।
– फोटो : अमर उजाला

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फर्जीवाड़ा की हद नहीं मिल रही बिहार में। अब अपनी फर्जी अर्थी निकालने वाले को दोषी करार दिया गया है। उसका साथ देने वाले पिता को भी। उसकी फर्जी अर्थी को कंधा देने वाले बाकी लोगों पर अभी किसी का ध्यान नहीं गया है। उसने अपनी मौत का न केवल ड्रामा रचा, बल्कि घाट तक लाश के रूप में पहुंचा भी और पिता ने उसका मृत्यु प्रमाणपत्र भी बनवाया। छात्रा से दुष्कर्म के आरोप में बचने का अंतिम प्रयास कर उसने फाइल तो बंद करवा ली, लेकिन जब पीड़िता की मां ने उसे जिंदा देख लिया तो केस दुबारा खुला और अब उसे रेप का दोषी माना गया। केस को दबाने के लिए फर्जी तरीके से मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने में पिता को दोषी माना गया। नौ जनवरी को भागलपुर में विशेष पॉक्सो अदालत शिक्षक से दुष्कर्मी बने नीरज मोदी को रेप की सजा सुनाएगी।

श्मशान गया, चिता सजाई ताकि मृत्यु प्रमाणपत्र बन जाए
इशीपुर बाराहाट थानाक्षेत्र के मधुरा सिमानपुर निवासी शिक्षक नीरज मोदी पर 14 अक्टूबर 2018 को छात्रा से दुष्कर्म के दर्ज मुकदमे से बचाने में उसके पिता राजाराम मोदी उर्फ राजो मोदी ने आगे बढ़कर उसका साथ दिया। 27 फरवरी 2022 को पिता ने बेटे की झूठी मौत को सच दिखाने के लिए उसे कफन ओढ़ाया और समाज के लोगों की मदद से कंधा देकर कहलगांव श्मशान घाट पर पहुंचाया। वहां लकड़ी की चिता पर आंखें बंद कर लिटाया, उतरी ली और फिर चुपके से नीरज चिता से गायब हो गया। श्मशान घाट पर पिता ने लकड़ी खरीद की रसीद भी ली थी, ताकि बेटे का मृत्यु प्रमाण पत्र आसानी से बन जाए। 19 अप्रैल 2022 को मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत करा उसने इसके साथ विशेष पॉक्सो न्यायालय में शपथ पत्र भी दाखिल कर दिया। शपथ पत्र के साथ मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने के बाद न्यायालय ने केस की फाइल बंद कर दी। बहुत कम दूरी पर पीड़िता का घर है, लेकिन लंबे समय तक मामला छिपा रहा। एक दिन पीड़िता की मां ने नीरज मोदी को देख लिया। उसके जिंदा होने का प्रमाण खोजने के लिए मां ने पीरपैंती के प्रखंड विकास पदाधिकारी को लिखा कि आपके कार्यालय से फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हुआ है। बीडीओ ने भौतिक जांच शुरू कराई और सच सामने आ गया। 21 मई 2022 को नीरज के पिता राजाराम मोदी के विरुद्ध इशीपुर बाराहाट में केस दर्ज करते हुए मृत्यु प्रमाण् पत्र को रद्द करने की अनुशंसा कर दी गई।

ड्रामा खुल गया, फिर भी पुलिस नहीं कर सकी गिरफ्तार
जब मृत्यु प्रमाणपत्र फर्जी होने की जानकारी विशेष पॉक्सो न्यायाधीश लवकुश कुमार तक पहुंची तो उन्होंने ईशीपुर बाराहाट थानाध्यक्ष से 23 जुलाई 2022 को रिपोर्ट मांगी। थानाध्यक्ष ने मामले में प्रतिवेदन देने के बजाय चुप्पी साध ली। विशेष न्यायाधीश ने थानाध्यक्ष को अवमानना नोटिस भी जारी किया था। इतना कुछ होने के बावजूद नीरज मोदी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा। नाटकीय ढंग से छिपते-छिपाते विशेष पॉक्सो न्यायालय पहुंचा और आत्मसमर्पण कर दिया। शुक्रवार को अंतत: नीरज मोदी को कोर्ट ने दोषी मान लिया और अब 9 जनवरी को उसे नाबालिग से रेप केस में सजा सुनाई जाएगी।

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फर्जीवाड़ा की हद नहीं मिल रही बिहार में। अब अपनी फर्जी अर्थी निकालने वाले को दोषी करार दिया गया है। उसका साथ देने वाले पिता को भी। उसकी फर्जी अर्थी को कंधा देने वाले बाकी लोगों पर अभी किसी का ध्यान नहीं गया है। उसने अपनी मौत का न केवल ड्रामा रचा, बल्कि घाट तक लाश के रूप में पहुंचा भी और पिता ने उसका मृत्यु प्रमाणपत्र भी बनवाया। छात्रा से दुष्कर्म के आरोप में बचने का अंतिम प्रयास कर उसने फाइल तो बंद करवा ली, लेकिन जब पीड़िता की मां ने उसे जिंदा देख लिया तो केस दुबारा खुला और अब उसे रेप का दोषी माना गया। केस को दबाने के लिए फर्जी तरीके से मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने में पिता को दोषी माना गया। नौ जनवरी को भागलपुर में विशेष पॉक्सो अदालत शिक्षक से दुष्कर्मी बने नीरज मोदी को रेप की सजा सुनाएगी।

श्मशान गया, चिता सजाई ताकि मृत्यु प्रमाणपत्र बन जाए

इशीपुर बाराहाट थानाक्षेत्र के मधुरा सिमानपुर निवासी शिक्षक नीरज मोदी पर 14 अक्टूबर 2018 को छात्रा से दुष्कर्म के दर्ज मुकदमे से बचाने में उसके पिता राजाराम मोदी उर्फ राजो मोदी ने आगे बढ़कर उसका साथ दिया। 27 फरवरी 2022 को पिता ने बेटे की झूठी मौत को सच दिखाने के लिए उसे कफन ओढ़ाया और समाज के लोगों की मदद से कंधा देकर कहलगांव श्मशान घाट पर पहुंचाया। वहां लकड़ी की चिता पर आंखें बंद कर लिटाया, उतरी ली और फिर चुपके से नीरज चिता से गायब हो गया। श्मशान घाट पर पिता ने लकड़ी खरीद की रसीद भी ली थी, ताकि बेटे का मृत्यु प्रमाण पत्र आसानी से बन जाए। 19 अप्रैल 2022 को मृत्यु प्रमाण पत्र निर्गत करा उसने इसके साथ विशेष पॉक्सो न्यायालय में शपथ पत्र भी दाखिल कर दिया। शपथ पत्र के साथ मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने के बाद न्यायालय ने केस की फाइल बंद कर दी। बहुत कम दूरी पर पीड़िता का घर है, लेकिन लंबे समय तक मामला छिपा रहा। एक दिन पीड़िता की मां ने नीरज मोदी को देख लिया। उसके जिंदा होने का प्रमाण खोजने के लिए मां ने पीरपैंती के प्रखंड विकास पदाधिकारी को लिखा कि आपके कार्यालय से फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र जारी हुआ है। बीडीओ ने भौतिक जांच शुरू कराई और सच सामने आ गया। 21 मई 2022 को नीरज के पिता राजाराम मोदी के विरुद्ध इशीपुर बाराहाट में केस दर्ज करते हुए मृत्यु प्रमाण् पत्र को रद्द करने की अनुशंसा कर दी गई।

ड्रामा खुल गया, फिर भी पुलिस नहीं कर सकी गिरफ्तार

जब मृत्यु प्रमाणपत्र फर्जी होने की जानकारी विशेष पॉक्सो न्यायाधीश लवकुश कुमार तक पहुंची तो उन्होंने ईशीपुर बाराहाट थानाध्यक्ष से 23 जुलाई 2022 को रिपोर्ट मांगी। थानाध्यक्ष ने मामले में प्रतिवेदन देने के बजाय चुप्पी साध ली। विशेष न्यायाधीश ने थानाध्यक्ष को अवमानना नोटिस भी जारी किया था। इतना कुछ होने के बावजूद नीरज मोदी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा। नाटकीय ढंग से छिपते-छिपाते विशेष पॉक्सो न्यायालय पहुंचा और आत्मसमर्पण कर दिया। शुक्रवार को अंतत: नीरज मोदी को कोर्ट ने दोषी मान लिया और अब 9 जनवरी को उसे नाबालिग से रेप केस में सजा सुनाई जाएगी।



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