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रिपोर्ट: शिवम सिंह
भागलपुर. कतरनी चूड़ा और चावल को शुद्ध देसी तरीके से तैयार किया जा रहा है. भागलपुर में किसान अब जैविक तरीके से इसकी खेती करने में जुटे हैं जिला से लगभग 40 किसान इस बार कतरनी चूड़ा और चावल की खेती किया है. भागलपुर जिले के सुल्तानगंज प्रखंड के आभा रतनपुर में जैविक विधि द्वारा कतरनी धान की फसल को तैयार किया जा रहा है. जिससे कि कतरनी चुड़ा और चावल संदेश के रूप में महामहिम, पीएम और दिल्ली के बिहार भवन भेजा जाएगा.
जैविक विधि से कतरनी की खेती
दिल्ली के बिहार भवन से मिले ऑर्डर के बाद सुल्तानगंज व शाहकुंड के करीब 200 एकड़ में जैविक विधि से कतरनी की खेती इस बार हुई है. आभा रतनपुर व शाहकुंड के मानिकपुर के करीब 40 किसानों ने जैविक तरीके से कतरनी धान की खेती की है धान में शीशा आ गया है. क्रिसमस के करीब इस की कटाई होगी, ताकि सप्ताह 10 दिन में चावल और चूड़ा तैयार कर बिहार भवन भेजा जा सके.
कतरनी चुड़ा और चावल संदेश के रूप में महामहिम, पीएम और दिल्ली के बिहार भवन भेजा जाएगा.
सुल्तानगंज प्रखंड कृषि पदाधिकारी अजय मणि ने बताया कि भागलपुर की पहचान कतरनी की सुगंध बचाने के लिए जैविक तरीके से खेती कराई जा रही है. करीब डेढ़ से 200 एकड़ में इसकी खेती हुई है. पिछले साल भी इसकी खेती हुई थी लेकिन इस साल वृहद पैमाने पर हुई है. जैविक विधि से हुई खेती के द्वारा धान की खुशबू सामान्य तरीके से उपजे धान के मुकाबले काफी बेहतर होती है.
ऐसे होती है कतरनी चूड़ा और चावल की जैविक खेती
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को चावल और चूड़ा भेजने की तैयारी हो रही है. आभा रतनपुर के कतरनी किसान मनीष कुमार सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने खेतों में खाद के बदले जीवामृत डाले हैं. नीमा स्प्रे किया है धान के बीज में फंगस को हटाने के लिए पंच परनी विधि अपनाई गई सिंह नक्षत्र में बुआई हुई है. बीते साल प्रयोग के तौर पर जैविक करने का ट्रायल किया गया था. जिसे बीते साल भी दिल्ली स्थित बिहार भवन ने इसकी खुशबू को बेहतर बताया था. पिछली बार पटना में धान की प्रदर्शनी में भागलपुर को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ था.
कहते हैं किसान- जैविक धान 12 मन प्रति बीघा उपज
किसान मनीष सिंह ने बताया कि उन्होंने खाद यूरिया के बदले जीवामृत का इस्तेमाल किया है. यह 5 Kg देसी गाय के गोबर, 4 Kg गोमूत्र व 1/2 Kg गुड़, 1/2 Kg बेसन और एक मुट्ठी पिपल या बरगद के पेड़ के नीचे की मिट्टी को 100 लीटर पानी में डालकर तैयार करते हैं. 200 लीटर को 50 दिनों के अंतराल पर स्प्रे करते हैं. मनीष सिंह बताते हैं कि शुद्ध देसी तरीके से कतरनी को तैयार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जैविक धान 12 मन प्रति बीघा उपज है, जबकि यूरिया खाद और पेस्टिसाइड के इस्तेमाल के बाद 14 से 15 मन प्रति बीघा पड़ता है, लेकिन जैविक कृषि करने की ओरिजिनल खुशबू मिली रहती है.
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टैग: भागलपुर न्यूज, बिहार के समाचार, पीएम तरीके, भारत के राष्ट्रपति, चावल
प्रथम प्रकाशित : 01 दिसंबर, 2022, 09:11 पूर्वाह्न IST
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