Home Bihar जहरीली शराब पीने से लोग अंधे क्यों हो जाते हैं? जानिए कितनी घातक है अवैध तरीके से बनाए जाने वाली दारू

जहरीली शराब पीने से लोग अंधे क्यों हो जाते हैं? जानिए कितनी घातक है अवैध तरीके से बनाए जाने वाली दारू

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जहरीली शराब पीने से लोग अंधे क्यों हो जाते हैं? जानिए कितनी घातक है अवैध तरीके से बनाए जाने वाली दारू

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नीलकमल, पटना: जहरीली शराब से गोपालगंज में मौत, बिहार के सिवान जिले में भी जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत, बिहार के बेगूसराय जिले में जहरीली शराब पीने से आज कितने लोगों की मौत हो गई और कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई। शराबबंदी वाले प्रदेश में शराब का अवैध धंधा चालू। यह कुछ ऐसे हैडलाइन है, जिन्हें आप अक्सर टेलीविजन पर दिखाए जाने वाले समाचार में देखते या फिर अखबार में पढ़ते होंगे। लेकिन क्या कभी आपके जेहन में यह बात आई है कि जहरीली शराब पीने से लोग मर तो जाते हैं तो कभी उनकी आंख की रोशनी चली जाती है। शराब से आंख की रोशनी क्यों चली जाती है? इस बारे में नवभारत टाइम्स डॉट कॉम ने पटना के दो वरिष्ठ डॉक्टर से बात की है।

कैसे बनाई जाती है जहरीली शराब

बिहार के छपरा जिले में में जहरीली शराब पीने से कई लोगों की मौत हो गई। हालांकि जहरीली शराब से हुई मौत का यह कोई पहला मामला नहीं था। लेकिन इस पर राजनीतिक हो रही है। बता दें कि बिहार समेत देश के तमाम राज्यों में जहरीली शराब से अक्सर मौतें होती रहती हैं। सवाल उठता है कि आखिर यह जहरीली शराब बनाई कैसे जाती है? जिसके पीने से लोगों की मौत हो जाती है और कई लोगों की आंखों की रोशनी चली जाती है।

दो तरीके से बनाई जाती है शराब

दरअसल शराब बनाने के लिए दो प्रक्रिया अपनाई जाती है, जिसे फर्मेंटेशन और डिस्टलेशन कहा जाता है। इन प्रक्रियाओं में फर्मेंटेशन कर बनाई जाने वाली शराब कभी-कभी जहरीली हो जाती है, जबकि डिस्टलेशन प्रक्रिया से बनाई जाने वाली शराब जहरीली भी हो जाती है। क्योंकि फर्मेंटेशन कर शराब बनाने की प्रक्रिया में अनाज, फल, महुआ, खजूर, चावल के साथ स्टार्च वाली चीजों का प्रयोग किया जाता है।

वहीं दूसरी तरफ डिस्टलेशन कर बनाई जाने वाली शराब में नौसादर और यूरिया भी मिलाया जाता है। इसके बाद इसे लंबे समय तक मिट्टी में गाड़ दिया जाता है। इसके सड़ने के बाद उसे मिट्टी से निकालकर भट्टी पर चढ़ाया जाता है और इससे निकलने वाली भाप से शराब तैयार की जाती है। बता दें कि अवैध शराब बनाने वाले कई बार शराब को और ज्यादा नशीला बनाने के लिए इसमें मेथेनॉल भी मिलाते हैं। अवैध शराब की भट्टी चलाने वाले शराब को नशीला बनाने के लिए यूरिया, ऑक्सीटॉसिन और मेथेनॉल की मात्रा मिलाते हैं। और अवैध तरीके से तैयार की गई शराब पुरानी होने पर जहरीली होती जाती है।

अवैध शराब में मिथाइल अल्कोहल का इस्तेमाल

ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (AIIMS) पटना के अधीक्षक डॉ सी एम सिंह ने बताया कि अवैध रूप से तैयार किए गए शराब में जिन चीजों का इस्तेमाल होता है वह उसे एथिल अल्कोहल की बजाय मेथिल अल्कोहल में बदल देता है। उन्होंने बताया कि जैसे ही शराब एथिल अल्कोहल की बजाय मेथिल अल्कोहल में तब्दील होता है, वह जहरीली हो जाती है। इसके बाद इसके अंदर मौजूद एल्किल सीधा पीने वालों के दिमाग पर असर करता है। इसकी वजह से जहरीली शराब पीकर लोग मरते भी हैं और कई लोग अंधे भी हो जाते हैं।

वहीं विश्व विख्यात डॉक्टर दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि अवैध शराब में इस्तेमाल किए गए मिथाइल अल्कोहल का इफेक्ट आंखों पर पड़ता है। उन्होंने नवभारत टाइम्स डॉट कॉम से बात करते हुए बताया कि मिथाइल अल्कोहल की वजह से आंखों का ऑप्टिक नर्व डैमेज हो जाती है। इसकी वजह से अवैध रूप से बनाई जाने वाली शराब पीने के बाद लोगों के आंखों की रोशनी चली जाती है।

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