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रांची. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के अध्यक्ष और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव चारा घोटाला (Fodder Scam) के पांचवें मामले में भी दोषी पाए गए हैं. यह फैसला अप्रत्याशित नहीं. यह मामला पूर्व के चारों मामलों से ही मिलता जुलता था. लालू यादव (Lalu Yadav) के खिलाफ जो सबूत पेश किए गए थे, वो भी लगभग समान ही थे और लालू यादव के वकीलों ने बचाव में वही सारी दलीलें पेश की, जो पहले वाले मुकदमों में वो कर चुके थे. इसलिए फैसले का तो पता पहले से ही था कि इस बार भी वो दोषी करार दिए जाएंगे. सिर्फ यह देखना बाकी था कि सजा कितनी मिलती है. यह मामला डोरंडा कोषागार (Doranda Treasury Case) से 139 करोड़ रुपये से ज्यादा की अवैध निकासी (Illegal Withdrawl) का था.
पशु चारा और पशुओं की ही दवाइयों और उसके परिवहन के फर्जी बिल दिखाकर यह निकासी की गई थी. बजट में जितनी राशि का प्रावधान इन कामों के लिए किया गया था, उससे ज्यादा की निकासी कर ली गई थी. यह घोटाला वर्ष 1991 से 1995 तक होते रहे. इस दौरान लालू यादव न केवल प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, बल्कि वित्त मंत्री भी थे. विधानसभा में वो बिहार का बजट भी पेश करते थे, लेकिन बजट में हो रही अतिरिक्त निकासी के तथ्य को दबा दिया जाता था. इसलिए लालू यादव को इस घोटाले में सीधे तौर पर शामिल पाया गया. उनसे जुड़े समान तथ्यों को अदालत में पेश किया जाता रहा और उन्हीं के आधार पर अदालत सजा सुनाती रही.
21 फरवरी को CBI कोर्ट लालू यादव को सुनाएगी सजा
दोषी ठहराए गए लालू यादव को सजा कितनी होगी, इसके बारे में अदालत ने फैसला नहीं किया है. इसका फैसला 21 फरवरी को सुनाने की बात कही जा रही है. वैसे अनेक दोषियों को सजा सुना दी गई है.
बता दें कि 99 अभियुक्तों से जुड़े फैसले सुनाए गए, जिनमें 24 को दोषमुक्त घोषित कर दिया गया. पचहत्तर को दोषी ठहराया गया, उनमें से 35 को तीन साल से कम की सजा सुनाई गई. तीन साल से कम सजा सुनाने का मतलब यह होता है कि सजा सुनाने वाली अदालत ही ऐसी दोषियों को जमानत दे सकती है या जमानत पाने के लिए कुछ मोहलत दे देती है. जबकि तीन साल से ज्यादा सजा पाने वाले दोषियों को सीधे जेल भेज दिया जाता है और जेल में रह कर ही दोषी को जमानत के लिए आवेदन करना पड़ता है.
जगदीश शर्मा और अशोक यादव जैसे अभियुक्तों को तीन साल की सजा सुनाई गई है. अब सबकी नज़रें इस बात पर टिकी होंगी कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को तीन साल या उससे अधिक सजा मिलती है या फिर तीन साल से कम सजा मिलती है. उनके आने वाले दिन कितने खराब होंगे, यह सजा की अवधि पर ही निर्भर करेगा. वैसे लालू यादव की सेहत बहुत खराब है, इसलिए उन्हें शायद जेल मैनुअल का पालन करते हुए अस्पताल में रहकर इलाज कराने की अनुमति भी मिल सकती है.
डोरंडा कोषागार से जुड़ा यह मामला लालू यादव से जुड़ा झारखंड में अंतिम मामला है. पांचों मामलों में उन्हें दोषी पाया गया है. एक छठा मामला भी उनके खिलाफ है, जो बिहार से जुड़ा हुआ है. वो मामला बिहार में ही चल रहा है. इस फैसले का शायद ही राजनीति पर असर हो. लालू यादव राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष हैं और उन्होंने घोषणा कर दी है कि वो अपने पद पर बने रहेंगे. उनके जेल में रहने के बावजूद उनका दल उनके नेतृत्व की कमी महसूस नहीं करता और पार्टी के काम करने की एक सिस्टम बन चुकी है, पर सबसे बड़ा सवाल उनके स्वास्थ्य को लेकर है.
दिल्ली में एम्स के डॉक्टरों से इलाज करवा रहे थे
पांचवे मामले में दोषी करार दिए जाने से पहले लालू यादव दिल्ली में रहकर एम्स के विशेषज्ञ डाॅक्टरों की निगरानी में रह कर इलाज करवा रहे थे. यदि जेल में रहने या दिल्ली के डाॅक्टरों की सेवा से वंचित होने के कारण उनके इलाज में कोताही होती है, तो उनका स्वास्थ्य और भी खराब हो सकता है और उनकी जान पर भी खतरा पैदा हो सकता है. सजा सुनाने के पहले तक अदालत ने लालू को रिम्स में रहकर इलाज कराने की इजाजत दे दी है और इस बीच वो न्यायिक हिरासत में ही माने जाएंगे. देखना है कि सजा सुनाते समय भी अदालत खराब सेहत के कारण लालू यादव को राहत देती है या नहीं.
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Tags: Bihar News in hindi, Fodder scam, Jharkhand news, Lalu Yadav, Lalu Yadav News
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