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नीतीश-तेजस्वी में तत्काल दूरी-दरार के आसार नहीं दिख रहे।
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
रामचरितमानस की भर्त्सना के सहारे बैकवर्ड-फाॅरवर्ड की जो आग राष्ट्रीय जनता दल कोटे से बिहार के शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रेशखर ने लगाई, वह ठंडी नहीं हो रही है। छह से आठ डिग्री न्यूनतम तापमान के बीच इसके विवाद से बिहार की राजनीति गरम है। इस आग में ख्यालों की खिचड़ी ऐसी पक रही है कि मौजूदा नीतीश कुमार सरकार गिर जाएगी। सोशल मीडिया पर राजद-जदयू में चल रहे संग्राम को देखकर इस खिचड़ी को पका हुआ मान भी लिया जा रहा है। लेकिन, क्या ऐसा होगा? यह समझना जरूरी है, वरना अफवाहों पर ही सब अटक जाएंगे।
सबसे पहले जानिए, सोशल मीडिया पर राजद-जदयू संग्राम क्यों?
दरअसल, जातिगत जनगणना राजद की मांग पर शुरू हुई है। इसमें अभी मकानों की गणना हो रही है, तो विरोध शुरू हो गया। अप्रैल में जब जाति जनगणना असल मायने में शुरू होगी तो भाजपा इसे मुद्दा बना सकती है। यह डर है, जिसके कारण माहौल बनाने के लिए अचानक नालंदा खुला विवि के दीक्षांत समारोह में छात्रों के बीच शिक्षा मंत्री बेवक्त बैकवर्ड-फॉरवर्ड की शिक्षा दे आए। चाणक्य इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिकल साइंस एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा की मानें तो “राजद अपने पुराने स्टैंड पर है, ताकि उसका आधार नहीं खिसके। इसमें तेजस्वी खुद को अलग रख रहे हैं ताकि उन्होंने बीच में सभी को साथ लेकर चलने की जो छवि बनाने की कोशिश की, वह कायम रहे। यही कारण है कि वह सीधे तौर पर प्रो. चंद्रेशखर या उनका साथ देने वालों को चुपचाप बैठा भी नहीं रहे और उनके साथ खड़े भी नहीं हो रहे।” अब सवाल उठता है कि प्रो. चंद्रेशेखर को राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह या वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी का साथ मिलना सही है या नहीं तो सोमवार को जन अधिकार पार्टी (JAP) के अध्यक्ष पप्पू यादव ने इनका नाम लेकर कह दिया था कि “औकात है तो जगदानंद सिंह, सुधाकर सिंह, शिवानंद तिवारी जैसे लोग निर्दलीय किसी सीट पर जीतकर दिखाएं। महागठंधन को कमजोर करने की साजिश यह लोग भाजपा का साथ देने के लिए रच रहे हैं।” अब इस बयान को देखें तो पप्पू यादव ने चुनकर राजद के अगड़े नेताओं का नाम लिया है और साथ ही यह भी कह दिया कि तेजस्वी चुप बैठे हैं, इसलिए भाजपा के इशारे पर यह सब चौका-छक्का मार रहे हैं। ऐसे में जदयू को नीतीश कुमार की छवि बचाने के लिए जो स्टैंड लेना चाहिए, वह ले रहा है। नीतीश कुमार जबतक सर्वधर्म-समभाव की बात नहीं कह रहे थे, तब तक जदयू के नेता राजद के बयानों का जवाब नहीं दे रहे थे, लेकिन अब रुक नहीं रहे हैं। सोशल मीडिया पर यह युद्ध राजद ही रोक सकता है।
राजद-जदयू के बयान युद्ध के बीच इन तीन नेताओं का स्टैंड सब साफ करेगा
सोमवार को पप्पू यादव ने कहा कि महागठबंधन में सिर्फ नीतीश कुमार अकेले ठठ कर चल रहे हैं। अविश्वास की भावना को तोड़ रहे हैं, महागठबंधन को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। क्यों? यह भी पप्पू ने बताया। उन्होंने कहा कि गाली सुनकर भी वह बर्दाश्त कर रहे हैं, क्योंकि दिल्ली की नरेंद्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंकना लक्ष्य है। उन्होंने कांग्रेस के दखल की भी बात उठाई, हालांकि नीतीश कुमार ने मंगलवार को समाधान यात्रा के दौरान फिर दुहराया कि रामचरितमानस या किसी भी धर्मग्रंथ पर विवाद अनुचित है। उन्होंने कहा कि जिन्हें जिस धर्म को मानना है, उसका पलान करें। मन करे तो करें, नहीं मन करे तो नहीं करें। उन्होंने डिप्टी सीएम तेजस्वी का भी जिक्र किया कि उन्होंने भी यही कहा है। मतलब? 40 साल से बिहार में पत्रकारिता कर कई संस्थानों में अहम ओहदे पर रहे एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि “महागठबंधन में नीतीश कुमार फिलहाल कोई समझौता नहीं करेंगे और इसे चलाते रहेंगे। दूसरी तरफ जदयू के नेता राजद को उनके बयानों का जवाब देते रहेंगे। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि नीतीश कुमार धर्म के विवाद में पड़ना नहीं चाहते हैं। भाजपा के साथ रहते हुए भी वह धार्मिक विवाद नहीं उठने देना चाहते थे और अब भी नहीं। उन्हें पता है कि ऐसा करने से भाजपा को फायदा मिलेगा।”
भाजपा के बिना लगाए ही लगी आग, इसलिए हाथ सेक रही
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो राजद के नेताओं ने खुद ही भाजपा को मुद्दा दे दिया। भाजपा दूर से तमाशा देख रही है। मजा लेने के लिए कोई महाराष्ट्र मॉडल की आहट बता दे रहा तो कोई नीतीश कुमार को थका हुआ। विवाद आगे बढ़ेगा तो नीतीश कुमार को असहज बताया जाना शुरू होगा। भाजपा हिंदुओं के अस्मिता की लड़ाई में चुप नहीं है, यह दिखाने मात्र के लिए बीच-बीच में बयान आ रहे हैं। बाकी राजद की लगाई आग में जदयू नेताओं के कूदने के बाद भाजपा दूर से हाथ सेक रही है। चाणक्य इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिकल साइंस एंड रिसर्च के अध्यक्ष सुनील कुमार सिन्हा भी कहते हैं कि पिछली बार की तरह जब नीतीश को भाजपा महागठबंधन में बार-बार असहज बताने लगेगी, तभी असल चारा फेंका हुआ माना जाएगा। अभी भाजपा को भी पता है कि वक्त नहीं आया है। यह माहौल बनावटी है। कहीं न कहीं जातिगत जनगणना वास्तविक रूप से शुरू होने तक माहौल बनाने के लिए यह सब किया गया लगता है। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने मंगलवार को कहा भी कि रामचरितमानस पर माफी मांगने का सवाल नहीं, लेकिन भाजपा को यह पेटदर्द जातिगत जनगणना के कारण हो रहा है। वैसे, चौधरी ने यह बयान देने से पहले शायद यह ध्यान नहीं दिया कि भाजपा को यह मौका खुद प्रो. चंद्रेशेखर ने ही दिया है।
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