Home Bihar कुढ़नी की हार से घबराइए नहीं नीतीश बाबू! CM योगी की तरह जी-जान लगाइए, शायद 2024 में मंसूबा पूरा हो जाए

कुढ़नी की हार से घबराइए नहीं नीतीश बाबू! CM योगी की तरह जी-जान लगाइए, शायद 2024 में मंसूबा पूरा हो जाए

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कुढ़नी की हार से घबराइए नहीं नीतीश बाबू! CM योगी की तरह जी-जान लगाइए, शायद 2024 में मंसूबा पूरा हो जाए

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पटना: मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सत्ताधारी जेडीयू प्रत्याशी की हार के बाद से ना केवल पॉलिटिक्ल पंडित बल्कि सहयोगी दलों के नेताओं की ओर से भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इकबाल पर सवाल उठाए जा रहे हैं। खुद नीतीश कुमार भी कुढ़नी की हार से चिंतित नजर आ रहे हैं। जेडीयू की बैठक में सीएम ने कुढ़नी के हर बूथ पर हुई वोटिंग की डिटेल मंगवाकर उसकी समीक्षा करने को कहा है। इससे साफ जाहिर है कि सीएम नीतीश कुढ़नी की हार से बेहद चिंतित हैं। वहीं जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह भी इस हार से बौखलाए हैं और बीजेपी पर बेहद आक्रामक नजर आ रहे हैं।

कुढ़नी की हार के बाद बीजेपी मांग रही नीतीश से इस्तीफा

कुढ़नी की हार से बीजेपी को सीएम नीतीश को निशाने पर लेने का मौका मिल गया है। बिहार के पूर्व डेप्युटी सीएम और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी और विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष सम्राट चौधरी ने तो नीतीश कुमार से इस्तीफा तक की मांग कर दी है। बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कहा कि बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार अब प्रासंगिक नहीं रहे। शराबबंदी वाले बिहार में अगर शराब बिक रहे हैं तो केवल मुख्यमंत्री की कृपा से। बीजेपी प्रदेश कार्यालय में आयोजित जन कल्याण संवाद में लोगों की समस्या सुनने के बाद कहा कि नैतिकता की बात करने वाले नीतीश कुमार को लगातार चुनाव हारने के बाद अब उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुढ़नी के चुनाव में कुढनी के मतदाताओं ने नीतीश के अहंकार को हराने का काम किया।

कुढ़नी की हार के बाद आरजेडी नेता ने भी नीतीश से मांग लिया इस्तीफा

कुढ़नी की हार के बाद सहयोगी आरजेडी के पूर्व विधायक अनिल सहनी ने सीएम नीतीश से इस्तीफे की डिमांड कर दी है। अनिल सहनी ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार से अति पिछड़ा वर्ग नाराज है। उन्होंने कहा कि कुढ़नी की हार महागठबंधन की नहीं, बल्कि नीतीश कुमार की हार है। अब समय आ गया है कि उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाया जाए। हालांकि डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव ने कुढ़नी की हार के लिए नीतीश कुमार को जिम्मेवार ठहराने की बात को ज्यादा तवज्जो नहीं देने की अपील की है।

अपने उपेंद्र कुशवाहा ने भी नीतीश को दिखाया आइना

कुढ़नी की हार के बाद नीतीश कुमार के करीब रहने वाले नेताओं में एक उपेंद्र कुशवाहा भी आइना दिखाने से बाज नहीं आए। जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने अपने ट्वीट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता की कुछ पंक्तियों के साथ अपने ट्वीट में लिखा, कुढ़नी के परिणाम से हमें बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। पहली सीख-जनता हमारे हिसाब से नहीं, बल्कि हमें जनता के हिसाब से चलना पड़ेगा। महागठबंधन में अहम सहयोगी कांग्रेस ने तो जेडीयू प्रत्याशी की हार को शराबबंदी से जोड़ दिया है । सत्ताधारी महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी इसे कई बार सार्वजनिक मंचों से शराबबंदी को हटाने की डिमांड रखते रहे हैं। कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा ने शराबबंदी और ताड़ीबंदी पर इसका ठीकरा फोड़ा है।

बीजेपी हर रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नीतीश के नेतृत्व पर उठा रही सवाल

कुढ़नी उपचुनाव का रिजल्ट आने के बाद से बीजेपी हर रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नीतीश कुमार के नेतृत्व पर सवाल उठा रही है। बीजेपी का आरोप है कि पिछड़ा और अतिपिछड़ा वोट बैंक नीतीश कुमार से छिटक गया है। ऐसे में भला वह 2024 के लोकसभा और 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार किस हैसियत से देश की रानजीति करने का मंसूबा पाले हैं। वे आरोप लगा रहे हैं कि नीतीश कुमार की लोकप्रियता समाप्त हो चुकी हे। खासकर सुशील मोदी लगातार कह रहे हैं कि नीतीश कुमार के उपर से जनता का भरोसा उठ चुका है। वहीं मीडिया में लगातार खबरें आ रही हैं कि नीतीश कुमार से उनका पारंपरिक वोटर नाराज है।
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उपचुनाव में हार पर CM योगी को फॉलो कर आगे बढ़ें नीतीश कुमार!

कुढ़नी उपचुनाव के रिजल्ट से सीएम नीतीश समेत जेडीयू के तमाम नेता जिस तरह से परेशान दिख रहे हैं, उसे देखते हुए उन्हें यही कहा जा सकता है कि इससे उन्हें यही कहा सकता है कि उन्हें गलतियों से सबक लेना चाहिए। ऐसे वक्त में जेडीयू और सीएम नीतीश को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह अगले चुनाव की तैयारी करने की जरूरत है। साल 2017 में बंपर सीटों के साथ उत्तर प्रदेश की सत्ता में बतौर सीएम योगी आदित्यनाथ आए। उसी तरह बीजेपी के एक अन्य सांसद केशव प्रसाद मौर्य ने डेप्युटी सीएम का पद संभाला। बीजेपी के दोनों बड़े नेताओं के सीएम और डेप्युटी सीएम का पद संभालने के चलते उन्हें अपनी सांसद की कुर्सी से इस्तीफा देना पड़ा।

साल 2018 में दोनों सीटों पर हुए उपचुनाव में गोरखपुर और फूलपुर दोनों सीटों पर समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रत्याशी की जीत हुई। इस उपचुनाव में जीत के बाद सपा ने ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की जैसे उत्तर प्रदेश में सीएम योगी आदित्यनाथ कमजोर होते जा रहे हैं। इतना ही नहीं बीजेपी के अंदर भी कई नेता योगी की स्वीकार्यता पर सवाल उठा रहे थे। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष की ओर से बनाए जा रहे माहौल को नजरअंदाज कर 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए।
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इसका असर भी दिखा। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा के गठबंधन के बाद भी योगी के नेतृत्व में बीजेपी ने ना केवल गोरखपुर और फूलपुर सीट को शान से जीता, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में बीजेपी के 62 सांसद जीते। इसके बाद 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन ने 274 सीटों पर जीत दर्ज की। इन दोनों चुनाव रिजल्ट के बाद योगी आदित्यनाथ ने साबित कर दिया कि सत्ता में रहते हुए भी उपचुनाव की हार पर परेशान होने की जरूरत नहीं है। बल्कि, उपचुनाव की हार को मुख्य परीक्षा से पहले साप्तहिक टेस्ट में अपनी कमियों को समझने के मौके के रूप में लेना चाहिए। सीएम योगी ने संदेश दे दिया कि उपचुनाव में हार से उन्हें समझ में आ गया कि जनता उनसे क्या अपेक्षा रखती है। उसे करेक्ट कर मुख्य चुनाव में जाएं जो सफलता मिलती ही है। कुढ़नी की हार के बाद सीएम नीतीश के सामने भी अपनी गलतियों को सुधारने का मौका मिल गया है। वह चाहे तो कुढ़नी रिजल्ट के जरिए जनता की अपेक्षाओं को पूरा कर 2024 के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में मजबूती से जुट सकते हैं।
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क्या है सीएम नीतीश का मिशन?

सीएम नीतीश एनडीए से अलग होकर आरजेडी और कांग्रेस समेत बिहार में करीब 7 पार्टियों से दोस्ती गांठी है। सीएम नीतीश 2024 के लौकसभा चुनाव में तमाम विपक्षी दलों को एक मंच पर लाना चाहते हैं। इसके लिए वह एक बार दिल्ली दौरा भी कर चुके हैं। तमाम विपक्षी दलों का उनके इस प्रयास में कितना इंट्रेस्ट है यह तो बाद का सवाल है, लेकिन उससे पहले सीएम नीतीश कम से कम बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर बीजेपी को चारो खाने चित करना चाहते हैं। डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव गणित समझा चुके हैं कि बिहार की 40 में से 35 या 36 सीटें महागठबंधन जीतता है तो केंद्र में बीजेपी को सरकार बनाने में मुश्किल हो सकती है। कुढ़नी के रिजल्ट के बाद बीजेपी दावा कर रही है कि वह लालू यादव और नीतीश कुमार के गठबंधन के बाद भी 2024 में बिहार में 35 से ज्यादा सीटें जीतेंगे। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि नीतीश कुमार इस वक्त सत्ता में हैं और उनके लिए जनता की अपेक्षाएं पूरा करना ज्यादा आसान है, जबकि बीजेपी के लिए विपक्ष में रहकर केवल वादे करने के सिवाय दूसरा रास्ता नहीं है।

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