Home Bihar कुढ़नी उपचुनाव में मुकेश सहनी का बड़ा खेल, भूमिहार समाज के इस युवा पर लगाएंगे सियासी दांव

कुढ़नी उपचुनाव में मुकेश सहनी का बड़ा खेल, भूमिहार समाज के इस युवा पर लगाएंगे सियासी दांव

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कुढ़नी उपचुनाव में मुकेश सहनी का बड़ा खेल, भूमिहार समाज के इस युवा पर लगाएंगे सियासी दांव

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पटना : बिहार विधानसभा की गोपालगंज और मोकामा सीट पर हुए उपचुनाव को जहां सियासी जानकर सेमी फाइनल मान रहे थे। अब कुढ़नी उपचुनाव को सियासी ‘फाइलन’ मैच बता रहे हैं। कुढ़नी उपचुनाव में मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। बीजेपी और महागठबंधन में कुढ़नी की कहानी का मुख्य किरदार बनने की होड़ मची है। इस बीच वीआईपी के मुकेश सहनी की एंट्री भी हो गई है। कहा जा रहा है कि मुकेश सहनी भी अपना उम्मीदवार उतारेंगे। उन्होंने इलाके के पूर्व विधायक रहे साधु शरण शाही के पोते पर दांव लगाने का मन बना लिया है।

वीआईपी का बड़ा खेल
सियासी कयासबाजी है कि मुकेश सहनी ने 1990 में भूमिहार जाति से जीतने वाले आखिरी विधायक रहे साधु शरण शाही के पोते पर दांव लगाएंगे। शाही के पोते का नाम नीलाभ बताया जा रहा है। नीलाभ इलाके में काफी सक्रिय हैं। समाजसेवी के तौर पर पहचान है। देश की छोटी-बड़ी घटनाओं पर अपने इलाके में विरोध प्रदर्शन का आयोजन करते हैं। अपने इलाके के लोगों के सुख-दुख में शामिल होते हैं। नीलाभ का सोशल मीडिया पेज भी आंदोलन और प्रदर्शनों के वीडियो से भरा पड़ा है।

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‘इलाके पर नीलाभ की पकड़ है’
नीलाभ के बारे में कहा जाता है कि इलाके में काफी पकड़ है। नीलाभ राजद की ओर से उम्मीदवारी की आस लगाए हुए थे। कहा जा रहा था कि नीलाभ तेजस्वी से काफी प्रभावित हैं। लेकिन सीट जेडीयू के खाते में जाने के बाद नीलाभ का राजद से मोहभंग हो गया है। नीलाभ निर्दलीय उम्मीदवारी करने वाले थे। इस बीच मुकेश सहनी के पार्टी के नेताओं से उनकी मुलाकात हुई है। कहा जा रहा है कि मुकेश सहनी नीलाभ पर दांव लगाएंगे। नीलाभ की मुलाकात वीआईपी के नेता देव ज्योति से हो गई है। मंगलवार को दोनों नेताओं ने मुलाकात की। जिसकी तस्वीर भी सोशल मीडिया पर आई है। मुकेश सहनी कुढ़नी में सियासी दांव खेलने के मूड में हैं। कहा जा रहा है कि वीआईपी के उम्मीदवार उतारने के बाद कुढ़नी की सियासी तस्वीर पूरी तरह उलट जाएगी।

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भूमिहारों को साधने की कवायद
नीलाभ भूमिहार समाज से आते हैं। कहा जा रहा है कि यदि नीलाभ वीआईपी की ओर से खड़े होते हैं, तो इलाके के चालीस हजार भूमिहार वोट वीआईपी के पाले में चले जाएंगे। विधानसभा क्षेत्र में भूमिहार ही सबसे ज्यादा वोटर हैं। दूसरी ओर सहनी के अपने वोट भी यदि नीलाभ के साथ जुड़ते हैं, तो तस्वीर बिल्कुल अलग हो जाएगी। क्योंकि कुढ़नी में तीस हजार के करीब सहनी वोटर हैं। ऐसा होने पर नीलाभ जेडीयू के मनोज कुशवाहा और वैश्य समाज से आने वाले बीजेपी के केदार गुप्ता को कड़ी टक्कर देंगे और चुनाव की तस्वीर बदल जाएगी। कुढ़नी में वैश्य और मुस्लिम वोटरों की संख्या 38 हजार के आस-पास है। यादव तीस से 32 हजार के बीच हैं। फिलहाल, वहां कोई भी उम्मीदवार यादव नहीं है। इसलिए यादवों और बाकी वोटों में बंटवारे की बात कही जा रही है। कुढ़नी का यादव जेडीयू के साथ नहीं भी जा सकता है।

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कुढ़नी सीट का इतिहास
कुढ़नी विधानसभा में चुनावी इतिहास की बात करें, तो 90 के दशक से वहां भूमिहार जाति के विधायकों का वर्चस्व रहा। विधानसभा क्षेत्र से आखिरी बार विधायक नीलाभ के दादा ही रहे। बाद में 1995 में बसावन भगत ने वहां से जीत हासिल की। क्योंकि बसावन भगत को लालू का साथ मिला था। बसावन भगत को राजद के एमवाई समीकरण का लाभ मिला। 2000 में एनडीए ने भूमिहार समाज से आने वाले ब्रजेश ठाकुर का समर्थन किया। बाद में वहीं ब्रजेश ठाकुर बालिका गृह कांड में आरोपी बना। अभी वो जेल में बंद है। 2010 में इस सीट से मनोज कुशवाहा को जीत हासिल हुई। 2015 में बीजेपी के केदार गुप्ता ने इस सीट से जीत हासिल की। उसके बाद 2020 में राजद के अनिल सहनी ने जीत हासिल की। मुकेश सहनी यदि नीलाभ को अपना उम्मीदवार बनाते हैं, तो ये साफ है कि कुढ़नी की जीत महागठबंधन और बीजेपी के लिए आसान नहीं होगी।

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