Home Bihar इफ्तार से दूरी बनाकर बीजेपी क्या संदेश देना चाहती है, बिहार की राजनीति को समझिए

इफ्तार से दूरी बनाकर बीजेपी क्या संदेश देना चाहती है, बिहार की राजनीति को समझिए

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इफ्तार से दूरी बनाकर बीजेपी क्या संदेश देना चाहती है, बिहार की राजनीति को समझिए

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पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार के आवास पर आयोजित इफ्तार पार्टी का बायकाट कर बीजेपी ने बिहार में अपनी चुनावी लाइन क्लीयर कर दी है। अब किसी को भी आसानी से यह बात समझ में आ जाएगी कि बीजेपी हिन्दुत्व के साथ कोई समझौता करने के मूड में नहीं है। हालांकि बीजेपी ने इसकी दूसरी वजह बतायी है। बीजेपी का कहना है कि बिहार दंगों की आग से अभी ठीक से उबर नहीं पाया और मुख्यमंत्री इफ्तार की दावत दे रहे हैं।

जल रहा बिहार और नीतीश दे रहे दावत-ए-इफ्तार

बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने नीतीश की इफ्तार पार्टी पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि आज बिहार के कई जिले जल रहे हैं। इसकी चिंता नीतीश कुमार को नहीं है। वे दावत-ए-इफ्तार का आयोजन कर आखिर जनता को क्या संदेश देना चाह रहे हैं। अगर दावत-ए-इफ्तार की जगह नीतीश सासाराम और अपने गृह जिला नालंदा जाकर पीड़ित परिवारों से मिले होते तो उन्हे ढांढस बंधती। बिहार के दो शहरों के जलने का गम उन्हें नहीं है। मुख्यमंत्री तुष्टीकरण की राजनीति से सत्ता में बने रहना चाहते हैं। लेकिन उन लोगों के दिलों में कैसे स्थान बनाएंगे, जिन्होंने दंगे में सब कुछ खो दिया है। उन्होंने नीतीश पर सीधा आरोप लगाया है कि हिन्दुओं को अपमानित करने के लिए सीएम दृढ़ संकल्पित दिख रहे हैं।

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चिराग पासवान ने भी पकड़ी बीजेपी की ही राह

लोजपा (रामविलास पासवान) के अध्यक्ष चिराग पासवान शुरू से ही बीजेपी के करीब दिखते रहे हैं। नीतीश की इफ्तार पार्टी में न जाकर उन्होंने भी बीजेपी की राह पकड़ी है। चिराग ने शुक्रवार को अपनी पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी। बैठक के बाद उन्होंने भी नीतीश के प्रति आग उगलते हुए उनकी इफ्तार पार्टी से दूर ही रहने का निर्णय लिया। विधानसभा चुनाव के समय से ही चिराग और नीतीश के बीच की खटास से सभी वाकिफ हैं। चिराग पासवान की वजह से नीतीश के उम्मीदवार तकरीबन तीन दर्जन सीटों पर हार गए थे। इसे लेकर नीतीश इतने खफा हुए कि लोजपा में विभाजन ही करा दिया। उससे पहले उन्होंने चिराग को एनडीए से बाहर करा दिया था। हालांकि, पिछले साल चिराग पासवान आरजेडी की नेता और पूर्व सीएम राबड़ी देवी के आवास पर आयोजित इफ्तार पार्टी में शामिल हुए थे। वहां पहुंचे नीतीश ने नाम लेकर उनके बारे में पूछा था। फिर चिराग सामने आए और नीतीश का पैर छूकर प्रणाम किया।

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नीतीश की पार्टी में महज महागठबंधन के नेता

हर साल की तरह सीएम की ओर से सभी दलों के नेताओं को निमंत्रित किया गया था। बीजेपी और लोजपा शामिल नहीं हुए। महज महागठबंधन के नेता ही नजर आए। नीतीश के बगल में तेजस्वी यादव की कुर्सी थी। नीतीश ने इस बहाने यह भी संकेत देने की कोशिश की कि उनके बारे में लाख अटकलें लगें, लेकिन महागठबंधन में वे बिल्कुल असहज नहीं हैं। तेजस्वी से उनकी कोई अनबन नहीं है, जैसी कि मीडिया रिपोर्ट्स में अक्सर दिखता रहता है। नीतीश ने इस आयोजन के जरिए विपक्षी एकता का भी संदेश दिया। विपक्षी एकता को लेकर नीतीश में उत्साह इसलिए भी है कि पहली बार कांग्रेस की ओर से उनका संवाद हुआ है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कई विपक्षी नेताओं को फोन कर विपक्षी एकता पर बात की थी। तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, तेलंगाना के सीएम केसीआर के साथ खरगे का फोन नीतीश कुमार को भी आया था। नीतीश कई बार कह चुके हैं कि कांग्रेस विपक्षी एकता की पहल करे। इस दिशा में अब और विलंब करने से नुकसान होगा।

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रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क

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