Home Bihar अमित शाह को लेकर नीतीश के मन में कुछ और ही चल रहा है, आखिर गृहमंत्री का नाम क्यों नहीं लेते मुख्यमंत्री

अमित शाह को लेकर नीतीश के मन में कुछ और ही चल रहा है, आखिर गृहमंत्री का नाम क्यों नहीं लेते मुख्यमंत्री

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अमित शाह को लेकर नीतीश के मन में कुछ और ही चल रहा है, आखिर गृहमंत्री का नाम क्यों नहीं लेते मुख्यमंत्री

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पटना: बिहार के दो शहरों सासाराम और बिहाशरीफ में रामनवमी के मौके पर हुए सांप्रदायिक उपद्रव को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री ने सीएम नीतीश कुमार और डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव पर जमकर हमला बोला था। इस पर तेजस्वी यादव ने पलट कर अमित शाह को जवाब दिया। उन्होंने सीधे संघ और बीजेपी को अशांति के लिए जिम्मेवार ठहराया। नीतीश की पार्टी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी अमित शाह की आलोचना में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। महागठबंधन के तकरीबन सभी दल सांप्रदायिक उपद्रव के लिए बीजेपी को जिम्मेवार ठहराते रहे। इस बहाने अमित शाह भी लपेटे में आये। लेकिन नीतीश कुमार 5 दिनों तक चुप रहे। इसे लेकर कई तरह के कयास भी लगाये जा रहे थे। बहरहाल, बुधवार को नीतीश की जुबां खुली तो बिना नाम लिये उन्होंने अमित शाह को उनके ही अंदाज में जवाब दे दिया।

‘बिहार में जान-बूझ कर हिंसा करायी गयी’

नीतीश कुमार ने बुधवार को पत्रकारों से मुखातिब हुए। सासाराम और बिहार शरीफ की हिंसा पर उनसे सवाल पूछ गये। नीतीश का जवाब था- बिहार में हिंसा करायी गयी। माहौल खराब करने की कोशिश की गयी। कभी यहां कुछ होता ही नहीं है, सबलोग यहां अलर्ट रहते हैं। अगर अचानक कहीं कुछ किया गया है तो उसको लेकर प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट है। हम लोग भी पूरी नजर बनाए हुए हैं। प्रशासन ने सही तरीके से सब कुछ संभाला है। सब कुछ जान-बूझकर कराया गया। हिंसा की जांच जारी है। जल्द ही हिंसा का सच सामने आएगा। जान-बूझ कर हिंसा कराने की बात पर नीतीश का अधिक फोकस था।

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‘अमित शाह की बातों का नोटिस ही नहीं लेते’

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि नीतीश के लिए भाजपा का दरवाजा हमेशा के लिए बंद हो गया है। चुनाव के पहले या बाद में भी उनके लिए दरवाजा नहीं खुलने वाला है। इस पर नीतीश ने कहा कि उनकी बातों का हम नोटिस ही नहीं लेते हैं। उनका कौन दरवाजा है ? कोई दरवाजा है ? नीतीश की इस बात में दम दिखता है। दरअसल नीतीश कुमार को अगर बीजेपी में जाना भी होगा तो बीजेपी में और भी बड़े नेता नीतीश के संपर्क में रहे हैं। लंबे समय तक एनडीए का हिस्सा रहने के कारण बीजेपी में उनके संपर्कों की कमी नहीं है। अगर उन्हें बीजेपी में जाना भी होगा तो वह नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह का सहारा ले सकते हैं।

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मीडिया के प्रति नाराजगी के साथ नरमी भी

मीडिया को लेकर नीतीश कुमार की यह धारणा बन गयी है कि उनकी या महागठबंधन सरकार की बातों को उचित कवरेज नहीं मिलता। पहले भी कई मौकों पर उनकी यह शिकायत सामने आयी है। आज फिर उन्होंने कहा कि उनका (बीजेपी की ओर इशारा) तो एकतरफा छपता ही है और हम लोगों की कोई बात नहीं छपेगी तो हमको क्या जरूरत है नोटिस लेने का। हम लोगों के बीच में हैं। उन्होंने मीडिया कर्मियों से कहा कि आप से हमें काफी उम्मीद है। आप जरा लोगों से अंदर तक जाकर बात कीजिए, तब आपको सही बातों का पता चल जाएगा।

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‘ओवैसी तो केंद्र की रूलिंग पार्टी के एजेंट हैं’

एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी के इस आरोप पर कि दंगा से भाजपा और जदयू दोनों को फायदा होता है, नीतीश ने कहा कि केंद्र में जो रूलिंग पार्टी है, उसी के वो एजेंट हैं। जिन पार्टियों के बड़ी संख्या में एमपी हैं, उनसे ज्यादा ओवैसी का न्यूज छपता है। कहां के रहने वाले हैं और कहां न्यूज छपता है। उनका यहां कुछ है? बहुत पहले जब हम अलग हुए थे, तब ओवैसी हमसे मिलना चाहते थे। हमने मना कर दिया था। उनके मन में जो आता है, बोलते हैं। वह गैर बीजेपी दलों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। दरअसल बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान ओवैसी की एंट्री हुई थी। उनके पांच उम्मीदवार जीत भी गये। बाद में उनमें से चार को आरजेडी ने झटक लिया। ओवैसी इसी से खफा हैं। लोकसभा चुनाव में तो सभी सीटों पर उन्होंने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। अगर ओवैसी ऐसा कर पाते हैं तो वे मुस्लिम वोटों को ही काटेंगे, जो आरजेडी-जेडीयू के लिए नुकसानदेह होगा और बीजेपी को इसका लाभ मिल सकता है।

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करीबी रहे सुशील मोदी को भी नहीं बख्शा

भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी के इफ्तार वाले बयान पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए नीतीश ने कहा कि उनको तो बोलना ही है। नहीं बोलेंगे तो उनको पार्टी से ही निकाल दिया जाएगा। दरअसल नीतीश अपने एक नेता के घर इफ्तार पार्टी में शामिल हुए थे। इफ्तार के लिए लालकिला की आकृति का पंडाल बनाया गया था। संदेश यही था कि दिल्ली अब दूर नहीं है। इस पर सुशील मोदी ने कहा था कि लाल किला ही क्यों, नीतीश अमेरिका के व्हाइट हाउस का बैनर लगवा कर फोटो खिंचवा लें। अब तक नालंदा न जाने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि नालंदा तो मेरी जगह ही है। हम यहीं से सभी से बात कर लेते हैं। कुछ खास नहीं है, अब तो सब नॉर्मल हो गया है। हम तो ऐसे जाते ही रहते हैं। सबको पता है कि वहां हम कितना काम करवाए हैं।

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अमित शाह रहे नीतीश कुमार के निशाने पर

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दंगाइयों को उल्टा लटका कर सीधा करने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आप भूल गए, जब 2017 में फिर हम इन लोगों के साथ गए थे तो एक घटना हुई थी। उसमें एक नेता का बेटा शामिल था, तो उसको भी हम अरेस्ट करवाए थे। ये लोग कभी कुछ किए हैं। जो यहां हुआ है, आप सभी लोगों को मालूम है। एक-एक आदमी को पता है कि प्रारंभ से ही हमने क्या-क्या किया है। दंगों के बारे में अमित शाह के सीधे राज्यपाल से बात करने पर नीतीश ने बिना नाम लिये आपत्ति जतायी। उन्होंने कहा कि फेडरल सिस्टम में मुख्यमंत्री से बातचीत करने का प्रावधान होता है। इस देश के संविधान को जरा देख लीजिए। शुरू से बना है कि जो भी गवर्नर होते हैं तो क्या केवल उन्हीं से बात की जाती है? या सरकार से भी कोई बातचीत की जाती है। यह कानून बना हुआ है कि राज्य सरकार की सहमति से ही कुछ होता है। जो लोग बोल रहे हैं वो कितना दिन से राजनीति में हैं और हम लोग कितना दिन से राजनीति में हैं। अटल जी के नेतृत्व में पार्टी थी। वो कितना बढ़िया से काम करती थी। आजकल ये लोग कुछ काम नहीं कर रहे हैं। सब चीज पर कब्जा कर लिए हैं। केवल अपना प्रचार कर रहे हैं। जहां राज्यों में अच्छा काम होता है, उसकी कहीं चर्चा नहीं है। हम लोग इतना काम करते हैं, कहीं कोई चर्चा नहीं होती है। केवल बिहार के अखबारों में छप जाती है।

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रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क

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