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सार
एआईपीएमएम के अध्यक्ष अली अनवर ने कहा कि यह केवल एक राजनीतिक नौटंकी है। एनडीए सरकार, मुस्लिम और ईसाई दलितों को एससी लाभ प्रदान करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
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विस्तार
इस मामले पर एआईपीएमएम के अध्यक्ष अली अनवर ने एक बयान में कहा कि रंगनाथ मिश्रा आयोग ने दो समुदायों मुस्लिम और ईसाई दलितों को अनुसूचित जाति में शामिल करने और उनको लाभ देने के लिए सिफारिशें की गई थीं।
एनडीए सरकार मुस्लिम और ईसाई दलितों को एससी लाभ नहीं देना चाहती
उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार की मंशा बिल्कुल साफ है। दरअसल, केंद्र की एनडीए सरकार मुस्लिम और ईसाई दलितों को एससी लाभ बिल्कुल भी नहीं देना चाहती है। जबकि हिंदू, सिख और बौद्ध दलितों को 1950 में संविधान के अनुच्छेद 341 के तहत जारी राष्ट्रपति के आदेश के अनुसार अनुसूचित जाति का दर्जा प्राप्त है।
एआईपीएमएम मुस्लिम समुदाय के पिछड़े वर्गों के लिए काम करने वाला एक गैर राजनीतिक संगठन है। ऐसी खबरें थीं कि केंद्र मुस्लिम और ईसाई दलितों को एससी का दर्जा प्रदान करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए समिति गठित करने पर विचार कर रहा है।
आगे इस मामले पर अनवर ने कहा कि रंगनाथ मिश्रा आयोग ने 2007 में सिफारिश की थी कि संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 को अनुसूचित जाति के दर्जे को धर्म से अलग करने और अनुसूचित जनजातियों जैसे सभी दलितों को धर्म-तटस्थ दर्जा देने के लिए हटा दिया जाना चाहिए।
यह केवल एक राजनीतिक नौटंकी
उन्होंने कहा कि केंद्र में एनडीए सरकार ने रंगनाथ मिश्रा आयोग की रिपोर्ट को क्यों स्वीकार नहीं किया? यह जांच करने के लिए एक राष्ट्रीय पैनल के गठन की खोज क्यों कर रही है कि क्या ईसाई या मुस्लिम धर्म में परिवर्तित दलितों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया जाना चाहिए? यह केवल एक राजनीतिक नौटंकी है। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार, मुस्लिम और ईसाई दलितों को एससी लाभ प्रदान करने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
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