जहां पहुंचते हैं ये चार यार, शराब तस्करों की मेहनत हो जाती है बेकार – जानें इनके बारे में सब कुछ

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मुंगेर. बिहार में शराबबंदी कानून लागू है, बावजूद शराब माफिया सक्रिय हैं. आए दिन बिहार में अवैध शराब पकड़े जाने की खबरें सुर्खियों में होती हैं. तस्कर अपनी शराब छुपाने के नए-नए उपाय खोजते रहते हैं और पुलिस प्रशासन इन शराब तस्करी के तमाम उपायों को नाकाम करने में जुटी रहती है. एक तरह से कहें तो पुलिस विभाग अब तक यह संकेत दे चुका है कि शराब माफिया डाल-डाल तो हम हैं पात-पात. पर आपके मन में यह सवाल उठता होगा कि पुलिस को शराब माफिया

के खिलाफ जो कामयाबी मिल रही है, उसके पीछे किन लोगों का हाथ होता है. जाहिर है, इस कामयाबी का राज हमारे समाज में ही छुपा है. पुलिस का अपना नेटवर्क होता है. उसके पास कई मुखबीर होते हैं, जहां से समय-समय पर अलग-अलग अपराधों के बारे में पुख्ता जानकारियां मिलती हैं, जिनपर काम कर पुलिस कामयाब होती है.

इनके अलावा पुलिस के पास प्रशिक्षित कुत्ते भी होते हैं, पुलिस में बाकायदा उनकी नियुक्ति की जाती है, उन्हें पद दिए जाते हैं. इन्हें स्वान दस्ता (डॉग स्क्वायड) कहा जाता है. स्वान दस्ते में भी अलग-अलग खूबियों वाले स्वान होते हैं. यह बहुत जानी हुई बात है कि कुत्तों में सूंघने की शक्ति बहुत ज्यादा होती है. तो उनकी इस खूबी को ट्रेनिंग देकर और मांज दिया जाता है. स्वान दस्ते में किसी को बारूद सूंघने में महारथ हासिल होती है तो किसी को शराब. तो मुंगेर पुलिस लाइन के प्रमंडल स्तरीय स्वान दस्ते में शराब सूंघने के महारथी 4 स्वान हैं – मेडी, बॉबी, शेरना और डिंडी. इन चारों ने अपने हुनर से प्रमंडल के 6 जिला मुंगेर, जमुई, लखीसराय, खगड़िया, शेखपुरा और बेगुसराय के कई मामला के उद्भेदन में अपना योगदान दिया है . तो आइए जानते हैं स्वान दस्ते के इन चारों हीरो के बारे में.

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शेर है शेरना

स्वान दस्ते का शेर है शेरना. इसने विस्फोटक (एक्सप्लोसिव) ढूंढ़ने में कई बार पुलिस की मदद की है. शेरना की खूबी नक्सल प्रभावित इलाकों में कई बार पुलिस के लिए मददगार साबित होती रही है.

डिंडी की डिग्री

डिंडी की खूबी है कि वह घटनास्थल पर अपराधी के छोड़े साक्ष्य सूंघकर अपराधियों तक पहुंच जाती है. इसने कई मौकों पर कई ब्लाइंड केसों में पुलिस को अपराधियों तक पहुंचाया है.

मेडी और बॉबी शराब माफियाओं के लिए मुसीबत

मेडी और बॉबी शराब माफियाओं के लिए मुसीबत हैं. ये दोनों बिहार सरकार के शराबबंदी कानून का सख्ती से पालन करवाने में मददगार रहे हैं. ये दोनों अब लिकर डॉग के नाम से भी जाने जाते हैं. ये किसी माफिया के छुपाए शराब को चुटकियों में ढूंढ़ लेते हैं. अपने काम में माहिर मेडी को सीआइडी विभाग के एडीजी विनय कुमार ने 2019 में प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत भी किया है.

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10 कर्मचारी सेवा में

डॉग स्क्वायड टीम के हैंडलर ने बताया कि दस्ते के सभी स्वानों का ख्याल मौसम के अनुरूप रखा जाता है. मौसम के मुताबिक ही उनके खान-पान और सेहत का विशेष ख्याल रखा जाता है. पुलिस लाइन के मेजर अशोक कुमार ने बताया कि पुलिस लाइन में रह रहे लिकर डॉग और ट्रैकर डॉग की देखरेख के लिए 10 कर्मचारी नियुक्त हैं. डॉग हैंडलर राहुल कुमार और सौरभ ने बताया कि इनकी देखभाग मुख्यालय की गाइडलाइंस के तहत की जाती है. हर रोज इन्हें रिहर्सल कराई जाती है, ताकि ऑपरेशन के समय यह अपना सौ फीसदी दे सकें. मुंगेर एसपी जेजे रेड्डी ने बताया कि ये चारों इतने कमाल के हैं कि एक्सप्लोसिव ढूंढ़ना हो या शराब, इनकी मदद जरूर ली जाती है.

आपके शहर से (मुंगेर)

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टैग: डॉग स्क्वायड, शराब माफिया, मुंगेर समाचार

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