कहां गुम हैं कन्‍हैया कुमार? उनपर दांव क्‍यों नहीं लगा रही कांग्रेस? जानें अंदर की बात

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पटना. बिहार कांग्रेस को एक जिताऊ और कद्दावर प्रदेश अध्‍यक्ष की तलाश है. मौजूदा प्रदेश अध्‍यक्ष मदन मोहन झा ने जबसे पद से हटने की इच्‍छा आलाकमान के सामने जाहिर की है, उसी वक्‍त से पार्टी बिहार में एक मजबूत नेता की तलाश में जुटी है. कांग्रेस (Bihar Congress) की इस तलाश के बीच कुछ दिनों से युवा नेता कन्‍हैया कुमार

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(Kanhaiya Kumar) के राजनीतिक पटल से गायब होना खटक रहा है. कांग्रेस ने पूर्व वामपंथी नेता और प्रखर वक्‍ता के रूप में अपनी धाक जमाने वाले कन्हैया को जोरशोर और पूरे प्रचार के साथ पार्टी में शामिल कराया था. उस वक्‍त ऐसा लग रहा था जैसे कन्हैया कुमार के रूप में कांग्रेस को बिहार ही नहीं, बल्कि राष्‍ट्रीय स्‍तर पर ऐसा नेता मिल गया है, जिनमें BJP को परेशान करने की क्षमता है. बिहार में पिछले साल विधानसभा की 2 सीटों पर हुए उपचुनाव को छोड़ दें तो कन्हैया कुमार की सक्रियता कुछ खास नहीं रही है.

कांग्रेस में शामिल होने के बाद कन्‍हैया कुमार जब दिल्ली से पटना पहुंचे थे तो बिहार के कांग्रेसियों ने उनका ज़ोरदार तरीक़े से स्वागत किया था. कांग्रेसियों को ऐसा लगा मानो बिहार में कांग्रेस को बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए कन्हैया कुमार के तौर पर एक बड़ा नेता मिल गया है. थोड़ा ही वक्‍त बीतने के बाद अब बिहार के कांग्रेसियों को भी कन्हैया से बहुत ज्‍यादा उम्मीद नहीं दिखती है. बिहार कांग्रेस में कन्‍हैया कुमार की कोई चर्चा भी नहीं होती है. यह स्थिति तब है जब बिहार कांग्रेस एक ऐसे प्रदेश अध्‍यक्ष की तलाश में जुटी है जो पार्टी को बिहार में अपने पैरों पर खड़ा सके.

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नए प्रदेश अध्‍यक्ष की खोज में कन्‍हैया क्‍यों नहीं?
वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे कन्‍हैया को लेकर महत्‍वपूर्ण बात बताते हैं. वह कहते हैं कि पूर्व वामपंथी नेता को बिहार लाने के पीछे कांग्रेस आलाकमान की सोच थी कि कन्हैया एक आक्रामक छवि के एक युवा नेता हैं. वह भूमिहार जाति से आते हैं, जिसका बिहार की सियासत में महत्वपूर्ण रोल रहता है. इन सब फैक्‍टर के बावजूद बिहार में कांग्रेस आलाकमान को नए प्रदेश अध्यक्ष की खोज है, लेकिन उस तलाश में में कन्हैया नज़र नहीं आते हैं.

कन्‍हैया को लेकर कांग्रेस को दो बातों का डर
कन्हैया को लेकर कांग्रेस आलाकमान को एक और बात का भी डर है. पार्टी के शीर्ष नेताओं को लगता है कि बिहार में फिलहाल पिछड़ों की राजनीति चल रही है. ऐसे में सवर्ण जाति से आने वाले कन्हैया पर दांव लगाना पार्टी को कहीं भारी न पड़ जाए. कांग्रेस ने अगड़ी जाति से आने वाले मदन मोहन झा को प्रदेश अध्‍यक्ष बनाया, लेकिन वह भी बिहार में पार्टी की स्थिति को सुधार न सके.कांग्रेस आलाकमान को यह भी डर है कि भाजपा ने कन्हैया को लेकर एक ख़ास छवि बना रखी है, ऐसे में जैसे ही इस युवा नेता को बिहार कांग्रेस की बागडोर दी जाएगी, BJP को कांग्रेस को घेरने का एक और मौका मिल जाएगा.

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आसान नहीं बिहार की राह
कन्‍हैया कुमार के लिए बिहार की राजनीति में पैठ बनाना कतई आसान नहीं है. दरअसल, बिहार कांग्रेस में उनके स्वजातीय कई ऐसे नेता हैं, जिनकी पार्टी में अपनी अलग हैसियत है. ऐसे में कन्हैया को उनसे भी पार पाना होगा जो उनके लिए आसान नहीं है. दूसरी तरफ कन्हैया कुमार को राजद के सर्वेसर्वा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी पसंद नहीं करते हैं. यह बात सर्वविदित है कि बिहार में कांग्रेस अपने पुराने सहयोगी राजद को नाराज करने की स्थिति में नहीं है. धमाके से राहुल गांधी की रज़ामंदी के बाद कन्हैया कांग्रेस में शामिल तो हो गए, लेकिन बिहार कांग्रेस में उनकी दाल नहीं गल पा रही है.

आपके शहर से (पटना)

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टैग: बिहार कांग्रेस, Kanhaiya kumar

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