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दरभंगा. मिथिला में पागका विशेष महत्व है. यही कारण है कि लोग अपने सिर पर इसे सरताज के तरह रखते हैं. यहां आने वाले अतिथियों को पागसे सम्मानित किया जाता है. मिथिला क्षेत्र में देश-विदेश के कई दिग्गज नेता आते जाते रहे हैं. उन सभी को सर्वप्रथम पागसे ही सम्मानित किया जाता रहा है. जिसमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पीछे नहीं हैं.
पाग पर 2016 में जारी हो चुका है डाक टिकट
मिथिला के पाग पर 2016 में डाक टिकट जारी हो चुका है. आज हम बात करेंगे कि किस प्रकार से इस पागको बनाया जाता है. और कितने दामों पर बेचा जाता है. इस पर विस्तृत जानकारी कल्पना चौधरी ने दी. वो गृहणी होते हुए भी घरों में मिथिला पाग के व्यापार से जुड़ी हुई हैं. उन्होंने बताया कि पागका निर्माण कपड़ा से होता है. पुराने धोती के कपड़े को रंग दिया जाता है. कच्चे रंग से कलर करने के बाद गद्दे जिसे कूट कहते हैं. इस पर पागका फ्रेम तैयार किया जाता है.
एक पागको बनाने में आधा मीटर धोती के कपड़े का इस्तेमाल होता है. वैसे बड़े स्तर पर इसका निर्माण मधुबनी जिले के झंझारपुर में होता है. वहां से रॉ मैटेरियल मंगवा कर उस पर पेंटिंग के माध्यम से सुशोभित करते हैं और फिर मार्केट में मांग के हिसाब से बेचते हैं.
दो तरह के होते हैं पाग, एक सिल्क और दूसरा कॉटन का
दो तरह के पागहोते हैं. एक सिल्क का होता है और दूसरा कॉटन का. उसमें हर कलर होता है. फर्क बस इतना है कि कॉटन वाले पागमें कूट से ही निर्माण हो सकता है. वहीं सिल्क वाले पार्क में पेपर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. सिल्क वाले पागकी कीमत 300 से 350 रुपए तक मार्केट में है. हम ऑनलाइन भी मार्केटिंग हमारा होता है. ऑनलाइन में कल्पना मिथिला आर्ट्स के नाम से वेबसाइट बना हुआ है.
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पहले प्रकाशित : 15 अप्रैल, 2023, शाम 6:49 बजे IST
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