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Bhojpuri: हिजाब विवाद से स्कूल कॉलेज चर्चा में बा, जानीं छात्र राजनीति पर बनल फिल्मन के बारे में

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Bhojpuri: हिजाब विवाद से स्कूल कॉलेज चर्चा में बा, जानीं छात्र राजनीति पर बनल फिल्मन के बारे में

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ई सब त बूझीं क्षुद्र राजनीति के पैंतरा ह बाकिर एह में हाईकोर्ट के बीच बचाव करे के पड़ल बा. कुछ दिन पहिले कर्नाटक के मुख्यमंत्री हिजाब विवाद के लेके चल रहल मुस्लिम छात्र अउरी हिन्दू छात्रन के प्रदर्शन के देखत फैसला लेहलें. कवनो अप्रिय घटना ना घटो एही के चलते स्कूल कॉलेज बंद कर देले रहलें हं. बाकिर अब हाईकोर्ट कहले बिया कि जब ले एकर कवनो समाधान नइखे निकलत तबले केहू आपन धार्मिक चिन्ह के प्रयोग करके स्कूल कॉलेज में ना आई अउरी स्कूल के यूनिफॉर्म के ही पहिन के आई.

कहे के माने, बेबात के विवाद बा ई, अगर रउआ बहुत ध्यान से एकर तफ्तीश करब त. कुछ दिन पहिले ले उहे छात्रा लोग स्कूल के ड्रेस में पढ़े आवत रहल. फेर अचानके हिजाब पहिन के आवे लगलीं. फेर एकरा विरोध में हिन्दू संप्रदाय के छात्र छात्रा भगवा गमछा लगाके पढ़े आवे लगलें. कहे के माने विद्या के मंदिर अलग- अलग आइडियोलॉजी के जंग के मैदान बन गइल. फेर चालू भइल न्यूज, राजनीति अउरी बड़ बुद्धिजीवी लोग के हाईवोल्टेज ड्रामा. खैर, ई सब जवन स्कूल आ कॉलेज के इर्द गिर्द होता उ पहिला बार नइखे होत. अइसन कई बार अउरी कई जगह हो चुकल बा जेके लेके कई गो फिल्म भी बनल बाड़ी सन. छात्र राजनीति आ विवाद पर खूब फिल्म बन चुकल बाड़ी सन. आईं कुछ विशेष फिल्मन के बार में जान जाव.

निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा के करियर के सबसे शानदार फिल्म के रूप में जानल जाए वाला फिल्म ‘रंग दे बसंती’ छात्र राजनीति पर बनल एगो प्रसिद्ध फिल्म बा. एह फिल्म में चार गो छात्र अपना दोस्त के मिग 21 क्रैश में मरला के बाद दुखी होके रक्षा मंत्रालय में हो रहल एगो घोटाला के उजागर करे के कोशिश करत बाड़ें. ब्रिटिश टाइम में जेंगा सरकार के खिलाफ जंग छेड़ के कानून हाथ में लेके भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु आ चंद्रशेखर आजाद जइसन वीर अपना प्राण के आहुति दे देहलें, ओसहीं ई चार गो छात्र खुद के आहुति देबे के सोचत बाड़ें अपने देश के सरकार के खिलाफ. हालांकि ब्रिटिश दौर में अलग स्थिति रहे अउरी आजाद भारत में दोसर स्थिति बा. खैर, ई फिल्म बहुत नाम अउरी दाम कमइलस. ई फिल्म छात्र राजनीति अउरी युवा एकता के प्रभाव के एगो बड़ उदाहरण रहे.

मशहूर फिल्मकार अनुराग कश्यप के करियर के शुरुआती बड़ काम के रूप में जानल जाए वाला फिल्म ह गुलाल. ई फिल्म के देखब आ एकर कहानी अउरी भव्यता के देखब त लगबे ना करी कि ई फिल्म बहुत कम बजट में बनल रहे. कारण रहे कि अनुराग कश्यप तब नया नया निर्देशन में उतरल रहलें अउरी उनके हम पाँच जवन पहिला फिल्म रहे उ फिल्म सेंसर बोर्ड में अटकल रहे. ई फिल्म के शूटिंग खातिर अनुराग जेतना हो सके बजट कटलें, दिवाली के दिन खातिर इंतजार कइलें कि शहर में लोग के घर में जरावल लाइट के सहारे उ आउट्डोर के सीन फिल्मा सकस. ई फिल्म के तारीफ बहुत भइल. एकर कहानी भी छात्र राजनीति अउरी विश्वविद्यालय के इर्द गिर्द घूमत रहे. जहां एगो लॉ के विद्यार्थी कुछ गुंडा छात्रन से त्रस्त होके शहर के लोकल नेता से मिल जात बा आ अइसन घटना घटत बा कि ओकरा जीवन में खूब उठा पटक होत बा. ई एगो छात्र राजनीति के ऊपर बनल आइकानिक फिल्म बा.

प्रसिद्ध निर्देशक विवेक अग्निहोत्री के फिल्म “बुद्ध इन ट्रैफिक जाम’ भी एगो शानदार फिल्म बा. एकर मुख्य विषय भी छात्र राजनीति अउरी देश के मेट्रो शहरन के बड़-बड़ विश्वविद्यालय आ कॉलेजन में बइठल नक्सलवाद अउरी देश के खिलाफ ही हिंसा के पोषण करे वाला व्हाइट कॉलर प्रोफेशनल लोग के नेटवर्क के बारे में बा. ई निर्देशक के ही लिखल फिल्म ‘अर्बन नक्सल’ के ऊपर आधारित बा. जे में लेखक तथ्य अउरी आंकड़ा के साथे विस्तार में बतवले बा कि कइसे बड़-बड़ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, न्यूज शख्सियत, ऐक्टिविस्ट आ प्रभावशाली लोग देश आ राज्य के तंत्र अउरी सेना के खिलाफ ही हिंसा के बढ़ावा दे रहल बा. ई फिल्म भी एगो मास्टरपीस बा अउरी देखल जा सकेला.

प्रसिद्ध गीतकार आ निर्देशक गुलजार के बनावल फिल्म ‘हुतुतू’ भी छात्र राजनीति के भ्रष्टाचार के खिलाफ एक जुट होके लड़ला के कहानी बा. ई फिल्म में देखावल गइल बा कि कइसे आदर्शवाद अउरी यथार्थवाद के बीच टकराव होत रहेला अउरी एकर विजेता के बा कबो भी पता ना चलेला. एह फिल्म में सुनील शेट्टी, तब्बू, नाना पाटेकर के मुख्य भूमिका रहे. एह फिल्म में राज्य के राजनीति अउरी नवयुवक के गुस्सा के मेल देखे के मिल सकेला.

छात्र राजनीति पर अउर भी कई गो मशहूर फिल्म बनल बाड़ी सन, जे में गूंज, हजारों ख्वाहिशें ऐसी, आरक्षण आदि बा. बाकिर राजनीति अउरी सामाजिक मुद्दा पर बने वाली हर फिल्म में बदलाव के मशाल जवानन के हाथ में ही देखावल जाला. हिजाब विवाद में भी जवानन के हाथ में राजनीति के लाठी दिआ गइल बा अउरी ओकनी के भाँज रहल बाड़sसन. एह पर कब विराम लागी, आगे का होई, ई आवे वाला समय बताई.

(लेखक मनोज भावुक भोजपुरी साहित्य और सिनेमा के जानकार हैं.)

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