Home भोजपुरी प्रत्युषा के हादसे के बाद सबकुछ बदल गया, मेरा करियर बर्बाद हो चुका है- राहुल राज सिंह

प्रत्युषा के हादसे के बाद सबकुछ बदल गया, मेरा करियर बर्बाद हो चुका है- राहुल राज सिंह

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प्रत्युषा के हादसे के बाद सबकुछ बदल गया, मेरा करियर बर्बाद हो चुका है- राहुल राज सिंह

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दिवंगत टीवी एक्ट्रेस प्रत्युषा बनर्जी के बॉयफ्रेंड राहुल राज सिंह पर उन्हें मौत के लिए उकसाने का आरोप लगा था. इस वजह से राहुल तीन महीने तक जेल में भी रहे. आज भी राहुल प्रत्युषा केस में अपनी पेशी देने जाते रहते हैं. इस पूरे प्रकरण में राहुल का करियर पूरी तरह डूब गया. अब एक लंबे समय के बाद राहुल अपनी वापसी कर रहे हैं. वे जल्द ही अंकित तिवारी के म्यूजिक एल्बम ‘बेपरवाह 2’ में नजर आएंगे. राहुल ने हमसे अपने प्रोजेक्ट और प्रत्युषा मामले को लेकर दिल खोलकर बातचीत की है.

सवाल- एक लंबे गैप के साथ वापसी कर रहे हैं. वजह क्या रही ?

-हां, मैं आखिरी बार पावर कपल में प्रत्युषा संग दिखा था. उसके बाद प्रत्युषा की डेथ के बाद मेरी जिंदगी पूरी तरह बदल गई. करियर तो गया ही मैं पर्सनल लाइफ में काफी डिस्टर्ब हो गया था. एक वक्त था जब मुझे जीने का कोई मकसद नजर नहीं आता था. जब ठीक हुआ, तो काम करने का सोचा लेकिन यहां आपके साथ अगर कंट्रोवर्सी जुड़ जाए, तो लोग काम करने से कतराते हैं. मेरे साथ भी यही हुआ, जो कल दोस्त हुआ करते थे, उन्होंने किनारा कर लिया. काम मिलना बंद हो गया, कई प्रोजेक्ट्स से निकाल दिया गया. कई नामी लोग इसी कोशिश में हैं कि मुझे कोई नहीं मिले. बस वही संघर्ष जारी है. हालांकि मैंने हार मानी नहीं है. मैं इस बीच थिएटर में मकरंद देशपांडे संग काम करने लगा. अब जाकर इस म्यूजिक वीडियो का ऑफर मिला, तो मैंने किस्मत समझकर इसके लिए हामी भर दी. ‘बेपरवाह 2’ गाना है, जिसका म्यूजिक अंकित तिवारी ने दिया है.

सवाल- आप किन नामी लोगों की बात कर रहे हैं?

-जी बहुत से लोग हैं. मुझे लॉकअप सीजन 1 ऑफर हुआ था लेकिन विकास गुप्ता ने क्रिएटिव टीम और प्रोड्यूसर्स से बातकर मेरा पत्ता साफ करा दिया था. विकास के इतने कनेक्शन हैं कि उसकी वजह से मुझे टीवी शोज में काम नहीं मिल रहे हैं. इतना ही नहीं, कुछ महीने पहले ही प्रदीप सरकार ने मुझे अपनी एक फिल्म के लिए रोल ऑफर किया था. बात पूरी फाइनल हो चुकी थी, फिर उनका कॉल आया कि सॉरी हम तुम्हें नहीं ले सकते क्योंकि प्रॉड्यूसर्स को तुम्हारे साथ ही कंट्रोवर्सी से ऑब्जेक्शन है.

सवाल- प्रत्युषा के केस के दौरान आप पर उन्हें उकसाकर परिवार से दूर करने, दूसरी लड़कियों संग अफेयर होने, प्रत्युषा की प्रॉपर्टी पर कब्जा करने जैसे आरोप लगे. उसकी सफाई पर क्या कहना चाहेंगे?

-जिस दिन ये हादसा हुआ, उसके दो तीन दिन तक तो मैं अपने होश में नहीं था. नींद की गोलियों से भी काम नहीं चलता था, तो डॉक्टर इंजेक्शन देकर सुलाने की कोशिश करते थे. मैं कुछ बोल पाने की स्थिति में ही नहीं था. जब एहसास हुआ कि वो अब नहीं रही, तो देखता हूं कि मुझे उसकी मौत का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. मैं किसी लड़की की मौत का जिम्मेदार कैसे हो सकता हूं, जब मैंने ठीक एक रात पहले उसके साथ पार्टी की है. मैंने उसे कभी परिवार के खिलाफ नहीं भड़काया है, बल्कि वो खुद अपने माता-पिता के कर्ज से परेशान हो चुकी थी. प्रत्युषा के पैसे आते और वो लोन चुकाने पर चले जाते थे. वो खीझ जाती थी, उल्टा मैं उसे समझाता कि कोई नहीं, हम ठीक कर लेंगे.

दूसरी अफेयर वाली बात, अगर लड़की संग कोई तस्वीर दिखे, तो उसे अफेयर कैसे मान सकते हैं. चलो अगर मेरा अफेयर ही था कि तो प्रत्युषा मुझे छोड़कर जा सकती थी न. दरअसल प्रत्युषा अफेयर वगैरह जैसी बातों से कहीं ऊपर थी. उसके लिए इतनी बड़ी बात नहीं होगी कि वो अपनी जिंदगी खत्म कर ले. प्रॉपर्टी कब्जा करने वाली बात, उसकी प्रॉपर्टी है कहां जिसपर कब्जा किया जाए. बल्कि पावर कपल में हमें जो 12 लाख मिले थे, मैंने उसे उनमें से नौ लाख रखने को कहा था ताकि वो अपने मां-बाप के लोन को चुका सके. ये सारे बिना वजह के आरोप मुझपर लगाए गए हैं.

सवाल- जब उन्होंने पार्टी की है, तो ऐसी क्या वजह रही कि अगले दिन फांसी लगा ली?

– मैं तो उसे सुसाइड मानता ही नहीं हूं. प्रत्युषा दरअसल मुझे डराने के लिए फांसी वाले वीडियो बना रही थी. वो ऐसा अक्सर करती रहती थी. उसी क्रम में उसका पैर फिसला होगा या डिसबैलेंस हुई होगी, जिससे ये घटना हुई.

सवाल- आपने कभी उनके पैरेंट्स से इस पर बात क्यों नहीं की?

-प्रत्युषा की डेथ के ठीक चार दिन पहले तक उनकी मां से मेरी बात होती थी. जब मैं उसे हॉस्पिटल लेकर गया, तो मैंने वहां साथ में आए दोस्तों से खुद कहा कि उसके पैरेंट्स को कॉल कर बता दो. मुझसे नहीं होगा. फिर उसके बाद मेरी उसके पैरेंट्स से बात ही नहीं हुई. उसके बाद वो अचानक से बदल गए, उन्होंने मुझपर ही आरोप लगा दिया. दरअसल वो काम्या पंजाबी (काम्या से जब आजतक से जानना चाहा, तो उन्होंने कहा कि वो इस मुद्दे पर कोई सफाई नहीं देना चाहती हैं), विशाल गुप्ता जैसे दोस्तों की बातों में आकर पुलिस केस फाइल कर दिया था.

देखो, इस पूरे मामले में लॉस केवल तीन लोगों का हुआ है, एक उसके पेरेंट्स का और दूसरा मेरा. आज जाकर पूछे कि उसके पेरेंट्स के सपोर्ट में क्यों नहीं वो दोस्त खड़े हैं, जो उस वक्त इंसाफ की बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे. क्या वो इतना नहीं कमाते कि उसके पेरेंट्स की मदद कर सकें. हालांकि मैंने कोशिश की लेकिन उन्होंने मुझपर आरोप लगाए हैं कि वो बात सुनना ही नहीं चाहते हैं, और थोड़ा बहुत मैं भी गुस्सा हूं. अगर कोई बीच वाला मिल जाए, जो हमारी बात करा दे. अगर वो मुझसे बात करते, तो शायद यह मुसीबत ही नहीं आती, मैं उनका बेटा बनकर उनकी मदद करता.

सवाल- तो आप अभी भी राजी है, उनसे बातचीत के लिए?

-जी, मैं तैयार हूं, कोई मिले… जो हमारी बातचीत करवा पाए.



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