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ई सब हालांकि रातों रात ना भइल, जइसन लोग सोचेला. अक्सरहा फिल्म इंडस्ट्री के लेके लोग के मन में इहे विचार रहेला कि इहाँ त लोग के रातों रात जीरो से हीरो बना दिहल जाला. जबकि असलियत बेलकुल अलग बा. लोग हीरो भा सफल होखे से पहिले अनगिनत सियाह रात में अकेले तड़पेला. कई बार आपन ई अंतहीन संघर्ष के खतम करे भी चाहेला. एह क्षेत्र में करियर बनावे के खयाल भी छोड़ देला अउरी दोसर काम में लाग जाला. बाकिर ओकरा मन में जदी संकल्प होला कि उ कुछ करी त फिल्म जगत में ही कुछ करी, त महाराज करियो लेला.
दू फरवरी 1979 के पैदा भइल निरहुआ के संघर्ष भी अइसन ही रहे. जे में उ कई बार फिल्म जगत के आपन सफर बीच में भी रोक देहलें. बाकिर उनके किस्मत आ संकल्प उनके मुकाम दिआइये देलस. निरहुआ के जन्म टरवाँ, गाज़ीपुर, उत्तरप्रदेश में भइल. उनके पिता जी कलकत्ता में प्राइवेट कंपनी में नोकरी करत रहलें. ओहिजा उ अपना छोट भाई प्रवेश लाल यादव के साथे पढ़ाई करत रहलें. अब उनके छोट भाई भी फिल्म इंडस्ट्री में हीरो आ निर्माता के काम करेलें. निरहुआ कॉमर्स में स्नातक कइलें अउरी कलकत्ते में कहीं नोकरी ओकरी सेट करे के फिराक में रहलें. बाकिर उनके परिवार में बिरहा गायकी के पुरान परंपरा रहे. जब भी गांवे आवस त अपना चचेरा भाई आ चाचा लोग से सुनस. उ लोग प्रोग्राम करे खातिर बोलावल जाव. उनके संगीत के प्रति झुकाव विरासत में मिलल.
जब उ स्नातक के बाद लवटलें त एक बार एह क्षेत्र में किस्मत आजमावे के सोचलें आ बिरहा गायिकी में मेहनत करे लगलें. निरहुआ के भी धीरे-धीरे प्रोग्राम मिले लागल. बाकिर उनके पइसा ओतना ना मिले. नया रहलें, नाम ना बनल रहे. उनका त अइसन कई बार होखे कि उ प्रोग्राम करस आ लोग उनका के ना सुने आ ना ध्यान देव. अइसनो कई बार भइल कि प्रोग्राम करवईया उनका के पइसे ना देहले सन आ उनका घरे लौटे खातिर किराया भी ना बँचल. फेर उ आपन हरमोनियम अउरी ढोलक मुड़ी पर रखके पैदले घरे अइलें. उनके अपना पिता जी से विशेष लगाव रहे, काहें कि उनके बचपन आ जवानी पिता के साया में ही गुजरल. उ आपन लाचारी के दिन में अपना बाबूजी से बतियावस आ जीवन अर्थ समझे के कोशिश करस. अक्सर अपना साक्षात्कार में उ कहबो करेलें कि उनका अपना पिता के बतावल हर एक सीख अउरी जीवन मंत्र इयाद बा, जवन हरदम उनके सहायता करेला. दुर्भाग्य से, उनके पिता जी के 2001 में देहांत हो गइल. एकरा साथही निरहुआ के जीवन के सबसे बड़ सहारा छूट गइल. सगरी जिम्मेदारी उनके कपारे आ गइल अउरी उनके खाली प्रोग्राम से काम ना चला के एल्बम में गावे खातिर मेहनत करे के पड़ल. उनकर पहिला एल्बम बुढ़वा में दम बा’ 2002 में आइल अउरी बहुत लोग पसंद कइल गइल.
निराश हो चुकल निरहुआ बन गइलें स्टार गायक
निरहुआ के तीसरा एल्बम ‘निरहुआ सटल रहे’ 2003 में आइल रहे. निरहुआ एह एल्बम के लेके जब टी-सीरीज गइल रहलें त उनकर एलबम उहाँ स्टूडियो के ऑफिस में जमा हो गइल बाकिर उ कब रिलीज होई आ एकर का होई, कुछ ना बतावल गइल. निरहुआ ओ एल्बम के इंतजार में कुछ दिन रहलें अउरी फेर घरे आके आपन खेती-बाड़ी में लाग गइलें. उनका बुझा गइल कि अब ई एल्बम साइते रिलीज होई. बाकिर लगन के सीजन चालू भइल त निरहुआ के बिहार में एगो प्रोग्राम मिलल अउरी ओकरे खातिर उ गाड़ी बुक करके जात रहलें. राहे में उनके आदमियन के मेला एक ओर जात लउकल त उ उजबुजा गइलें. जबकि उहाँ जाम में फँसिओ गइलें. जब स्टेज पर चढ़लें त उनका मामला समझ में आइल कि ई त सगरो भीड़ उनका के देखे आइल बा. तबे उनके पता चलल कि उनके टी-सीरिज से एल्बम रिलीज हो चुकल बा अउरी इहाँ बवाल कइले बा. डेढ़ दू स से बेसी आदमी के आगे कबो प्रोग्राम ना देहले रहलें, जब हजार आदमी के देखलें त हाड़ कांप गइल. जब ऊ बिरहा गावल शुरू कइलें त लोग हल्ला करे लागल. भीड़ ‘निरहुआ सटल रहे’ गावे के डिमांड करत रहे. रात भर उ एके गो गीत गावत रहलें अउरी लोग उनका सामने जमल रहल. ओकरा बाद दिनेश लाल यादव, निरहुआ के नाम से प्रसिद्ध हो गइलें.
उनके 2005 में फिल्म मिलल ‘हमका अइसा वइसा ना समझा’. एही साल उनके एगो अउरी फिल्म मिलल ‘चलत मुसाफिर मोह लियो रे’, जे में ऊ सुनील छैला बिहारी के साथे सेकंड लीड में रहलें. एह फिल्म के बाद ऊ ‘हो गइल बा प्यार ओढनिया वाली से’ फिल्म कइलें. ई फिल्म काफी सफल रहल. बाकिर निरहुआ लीड हीरो ना रहलें. उनके लीड में फिल्म मिलल ‘निरहुआ रिक्शावाला’ आ दिनेशलाल यादव भोजपुरी में स्थापित हो गइलें. ई फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित भइल. ओकरा बाद त निरहुआ कबो पीछे मुड़ के ना देखलें. एक से बढ़ के एक सिनेमा कइलें आ अब भोजपुरी सिनेमा में उनके 15 साल होखे वाला बा. मनोज तिवारी आ खेसारीलाल के तरह निरहुआ के भी गैर भोजपुरी भाषी लोग बिग बॉस से जानल. ऊ 2016 में बिग बॉस में शिरकत कइले.
उनकर उल्लेखनीय फ़िल्म: निरहुआ रिक्शावाला, कहाँ जइबs राजा नजरिया लड़ाई के, सात सहेलियां, शिवा, दिवाना, परिवार, बिदेसिया, गंगा देवी, राजा बाबू, रणभूमि, निरहुआ हिन्दुस्तानी-1 अउरी 2, पटना से पाकिस्तान, मोकामा 0 किमी, काशी अमरनाथ, बॉर्डर, शेर-ए-हिंदुस्तान, निरहुआ चलल लंदन आदि.
(लेखक मनोज भावुक भोजपुरी साहित्य और सिनेमा के जानकार हैं.)
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