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कलकत्ता उच्च न्यायालय ने आज ममता बनर्जी सरकार से हनुमान जयंती समारोह के दौरान शांति बनाए रखने के लिए केंद्र से अर्धसैनिक बलों की मांग करने को कहा।
यह आदेश रामनवमी के जुलूस के दौरान बंगाल के हावड़ा और हुगली जिलों में हुई हिंसा की पृष्ठभूमि में आया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनाम की अगुवाई वाली खंडपीठ ने राज्य पुलिस को उन क्षेत्रों में रूट मार्च करने का निर्देश दिया जहां हनुमान जयंती समारोह आयोजित किए जाएंगे। अदालत ने कहा कि रामनवमी के दौरान और उसके बाद हुई हिंसा के बाद जिन क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लागू है, वहां किसी भी रैली की अनुमति नहीं दी जाएगी।
अदालत ने कहा, अर्धसैनिक बल विश्वास पैदा करेंगे और कानून व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे।
अदालत ने कहा, “अगर स्थानीय पुलिस को शांति भंग होने की आशंका है, तो पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। रोकथाम रोकथाम इलाज से बेहतर है। राज्य पुलिस को अर्धसैनिक बलों की सहायता लेने का निर्देश दिया जाता है।”
इसने राज्य प्रशासन से अपने खुफिया नेटवर्क को मजबूत करने के लिए भी कहा। अदालत ने कहा कि हावड़ा के शिबपुर में छतों से पत्थर फेंके गए। “अगर ख़ुफ़िया जानकारी होती तो इस तरह के पूर्व नियोजित हमलों को रोका जा सकता था। ख़ुफ़िया तंत्र को मज़बूत किया जाना चाहिए।”
अदालत ने संवेदनशील स्थिति को देखते हुए ऐसे त्योहारों के आयोजन पर किसी भी सार्वजनिक बयान के खिलाफ भी चेतावनी दी।
अदालत ने राज्य से कहा कि केंद्रीय बलों की मांग करने का उसका आदेश राज्य तंत्र की विफलता नहीं है, बल्कि राज्य तंत्र की सहायता के लिए एक कदम है।
अदालत बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। अधिकारी के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि मुख्यमंत्री बनर्जी ने एक समुदाय के खिलाफ बयान दिया है।
हावड़ा और हुगली जिलों में हिंसा की हालिया घटनाओं ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच राजनीतिक गतिरोध पैदा कर दिया है।
जहां भाजपा ने ममता बनर्जी सरकार पर मुसलमानों के तुष्टिकरण और हिंदुओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया है, वहीं मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया है कि हिंसा के पीछे भाजपा समर्थित गुंडों का हाथ है।
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