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नयी दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जांच की जा रही मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में जेल में बंद आप के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को जमानत देने से इनकार कर दिया।
उच्च न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) नेता की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि वह एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं।
पिछले साल 30 मई को एजेंसी द्वारा गिरफ्तार किए गए सत्येंद्र जैन ने निचली अदालत द्वारा पिछले साल नवंबर में जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
अपनी जमानत याचिका में सत्येंद्र जैन ने कहा कि उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय के साथ सहयोग किया है। दिल्ली के पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज और ईडी ने पूरी तरह से आवास प्रविष्टियों के आधार पर अपराध की आय की पहचान करके पीएमएलए ((धन शोधन निवारण अधिनियम)) को गंभीर रूप से गलत तरीके से पढ़ा और गलत तरीके से लागू किया है। उन्होंने उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में कहा था कि आवास प्रविष्टियां पीएमएलए के तहत दंडनीय अपराध नहीं बन सकती हैं।
प्रवर्तन एजेंसी ने आरोप लगाया है कि जिन कंपनियों पर सत्येंद्र जैन का “लाभप्रद स्वामित्व और नियंत्रण” था, उन्हें शेल कंपनियों से 4.81 करोड़ रुपये की आवास प्रविष्टियां प्राप्त हुई थीं, जो हवाला मार्ग के माध्यम से कोलकाता स्थित एंट्री ऑपरेटरों को हस्तांतरित की गई थी।
यह मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक शिकायत पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सत्येंद्र जैन ने 14 फरवरी, 2015 से 31 मई, 2017 तक विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर चल संपत्ति अर्जित की थी, जिसका वह संतोषजनक हिसाब नहीं दे सके। .
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