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इस फोटो में मौर्य हरी-भरी लॉन में, फूलों के बीच कुर्सी पर बैठकर अखबार बांच रहे हैं। ऊपर बस एक लाइन टंगी है, बदलते मौसम के लिए रहें तैयार…। यह लाइन वैधानिक चेतावनी है, या फागुन में फगुनाए मन की चुहल है या फिर बदलते मौसम के बीच विपक्ष-सपक्ष के मित्रों-अमित्रों को लेकर उनकी चिंता है… इसका पता नहीं चलता।
हालांकि, दो साल पहले भी केशव मौर्य ने लगभग इसी मौसम में बदलते मौसम वाले मुहावरे का इस्तेमाल किया था। उन्होंने जनवरी 2021 में कहा था, ‘जैसे गिरगिट मौसम के हिसाब से रंग बदलते हैं वैसे ही राहुल गांधी और अखिलेश यादव वोट के लिए रंग बदलने वाले नेता हैं।’ मौर्य ने इन विपक्षी नेताओं की मंदिर यात्राओं पर यह कटाक्ष किया था।
हाल फिलहाल उनका संकेत किस तरफ है यह तो साफ नहीं लेकिन उनके ट्वीट के नीचे जनता ने कमेंट करके खूब मजा लिया है। एक यूजर ने लिखा है, ‘लगता है 100 विधायक मान गए माननीय जी, शुभ काम मे देरी नहीं जल्द आइए सरकार बनाया जाए।’ जाहिर सी बात है ये उस बात का जिक्र कर रहे हैं जिसमें सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने केशव मौर्य को न्योता दिया था कि 100 विधायकों को लेकर सपा में आ जाएं, सरकार बनाएं।’
एक दूसरे यूजर ने लिखा है, ‘इस वक़्त वहां कौन धुआँ देखने जाए, अख़बार में पढ़ लेंगे कहां आग लगी थी।’ सही भी है, विधानसभा में जो होना था हो गया, बजट पेश कर दिया गया है। अब सदन में चर्चा के बहाने जुबानी तीर ही तो चल रहे हैं।
बाकी यूजर्स ने मौर्य के सामने रखे स्टूल पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया है। उन्हें शायद अखिलेश यादव का स्टूल मंत्री वाला जुमला ज्यादा याद रहा। बहरहाल, इसमें शक नहीं है कि मौसम तो बदल ही रहा है लेकिन तैयारी क्या करनी है, इसके लिए शायद केशव प्रसाद मौर्य के अगले ट्वीट का इंतजार करना होगा।
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