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चीफ जस्टिस की बेंच में हुई सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने विश्वनाथ चतुर्वेदी की याचिका पर कहा कि 1 मार्च 2007 और 13 दिसंबर 2012 के आदेश के बाद सीबीआई ने सात अगस्त 2013 को अपनी प्रारंभिक जांच के बाद मामला बंद कर दिया था। 8 अक्टूबर 2013 को अपनी रिपोर्ट सीवीसी को सौंप दी थी। कोर्ट कहा कि मौजूदा याचिका 6 साल बाद 2019 में दाखिल की गई है। आवेदन में मेरिट नहीं है और इसलिए इसे खारिज किया जाता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव का निधन हो चुका है। साथ ही याची विश्वनाथ चतुर्वेदी से पूछा कि मामले में क्या बचा है? याची के वकील ने कहा कि मुलायम सिंह के खिलाफ कार्रवाई बंद की गई है, लेकिन उनके बेटों अखिलेश और प्रतीक के खिलाफ भी आरोप था।
मामले में अखिलेश यादव और अन्य की ओर से पेश कपिल सिब्बल कहा कि सीबीआई ने प्रारंभिक जांच के बाद क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी और कहा कि रेगुलर केस का औचित्य नहीं बनता है। मुलायम परिवार की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि मामले को बंद किया जाना चाहिए। सीबीआई ने 2019 में हलफनामा दिया था और कहा था कि केस बंद कर दिया गया है। ऐसे में इस मामले में कुछ बचा नहीं है। लेकिन, याचिकाकर्ता वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने कहा था कि यह सीबीआई के नियम के खिलाफ है।
याचिका में विश्वनाथ चतुर्वेदी ने कहा था कि सीबीआई ने मुलायम सिंह, अखिलेश यादव और अन्य को प्रोटेक्ट करने के उद्देश्य से मामले में छानबीन सही तरह से नहीं की और कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट को मामले में सीबीआई के खिलाफ उचित आदेश पारित करना चाहिए। चतुर्वेदी ने 2005 में इस मामले में मुलायम और अन्य के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की शिकायत की थी। उन्होंने आरटीआई के जवाब का हवाला देकर कहा था कि सीवीसी ने कहा है कि सीबीआई की कोई रिपोर्ट उनके सामने नहीं आई है।
2005 में दर्ज कराया था केस
मुलायम परिवार पर वर्ष 2005 में कांग्रेस से जुड़े वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने केस दर्ज कराया था। दर्ज कराए गए केस में कहा गया था कि मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 1999 से 2005 के बीच मुख्यमंत्री रहते गैरकानूनी तरीके से 100 करोड़ रुपए की संपत्ति अर्जित की। इस मामले में मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे अखिलेश यादव एवं प्रतीक यादव और बहू डिंपल यादव को आरोपी बनाया था। हालांकि, बाद में इस केस से मुलायम की बहू डिंपल यादव का नाम हटा दिया गया। 7 अगस्त 2013 को सीबीआई ने पर्याप्त सबूत के अभाव में जांच बंद कर दी गई। इसके खिलाफ वर्ष 2019 मे वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने याचिका दायर कर सीबीआई के जांच बंद करने के फैसले को चुनौती दी।
विश्वनाथ चतुर्वेदी ने जनवरी 2019 में रोज एवेन्यू कोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई की ओर से आय से अधिक संपत्ति के मामले में क्लोजर रिपोर्ट नहीं दिए जाने का मामला उठाया। वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव, उनके बेटों अखिलेश और प्रतीक, बहू डिंपल यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दायर किया गया था। याचिका में आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति अर्जित करने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत मुलायम और उनके परिवार के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई थी।
सीबीआई जांच का आया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने विश्वनाथ चतुर्वेदी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करने के बाद इसकी जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश जारी किया। वर्ष 2007 में जांच का आदेश आया। लेकि, 2008 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली मनमोहन सिंह सरकार पर संकट आया। सरकार अल्पमत में आई तो मुलायम ने तब समर्थन देकर सरकार को बचा लिया था। इसके बाद जांच रफ्तार कुछ कम हुई। 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पर मुलायम के समर्थन दिया। इसके बाद सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति मामले में क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी। विश्वनाथ चतुर्वेदी ने इसे जोड़ा। हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने केस बंद करने के 10 साल पुराने आदेश को बरकरार रखा है।
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