[ad_1]
गिरफ्तारी तक पहुंची बात: BJP के कुछ प्रवक्ताओं और नेताओं ने जब सोशल मीडिया पर जवाब दिया तो आरोप-सवाल व्यक्तिगत होने लगे। इसके बाद ट्विटर पर भाषाई मर्यादा और गरिमा टूटने लगी। घर-परिवार कोई भी निशाने पर आने से नहीं बचा। इसके बाद BJP ने SP मीडिया सेल के प्रमुख मनीष जगन अग्रवाल पर एफआईआर करवाई तो SP के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने भाजपा युवा मोर्चा की सोशल मीडिया सेल की हेड ऋचा राजपूत पर मुकदमा दर्ज करवा दिया। मनीष जगन अग्रवाल की गिरफ्तारी भी हुई।
भाषा बदली, तेवर नहीं: SP की सोशल मीडिया की नई टीम की भाषा थोड़ी बदली है पर तेवर और आक्रामकता नहीं। उनके निशाने पर BJP के नेता, मंत्री और विधायक हैं। रविवार को SP सोशल मीडिया सेल ने BJP के सीतापुर से विधायक ज्ञान तिवारी को निशाने पर लिया। विधायक का पुलिस को डांटते एक वायरल वीडियो शेयर कर मीडिया सेल ने लिखा- ‘अवैध खनन में लिप्त रहे यह विधायक पुलिस वालों को धमका रहे हैं।’
SP के सोशल मीडिया सेल के खास निशाने पर डिप्टी सीएम केशव मौर्य हैं। गुरुवार को डिप्टी सीएम ने जब SP अध्यक्ष अखिलेश यादव के वाराणसी में क्रूज को लेकर किए गए ट्वीट पर निशाना साधा- ‘अखिलेश यादव को अब कुछ भी अच्छा नहीं लगता, उसकी कोई दवा भी नहीं है, उनका मन इतना कसैला हो चुका है कि अब वह क्रूज और नाव का फर्क भूल गए हैं।’ SP मीडिया सेल ने भी उन्हें ट्विटर पर निशाने पर लेते हुए लिखा- ‘बयान बहादुर केशव मौर्य को BJP की दुत्कार, अपमान, बेइज्जती, स्टूल सबकुछ अच्छा लगता है।’
BJP भी दे रही जवाब: BJP सरकार में छुट्टा जानवर, किसानों की समस्याओं और बढ़ते अपराध को लेकर भी SP के सोशल मीडिया सेल का हमला जारी है। वहीं BJP प्रवक्ता मनीष शुक्ला, राकेश त्रिपाठी, नवीन श्रीवास्तव और भाजपा युवा मोर्चा सोशल मीडिया सेल की हेड ऋचा राजपूत भी संयमित भाषा और पुराने तेवरों में जवाब दे रहे हैं।
दोनों दलों को दिख रहा फायदा: युवाओं को लुभाने वाली इस वर्चुअल लड़ाई में आक्रामकता और तेवर ही सफल हथियार साबित होते रहे हैं। SP-BJP के लिए एक-दूसरे के नेताओं को ट्रोल या ट्रेंड करवा कर युवाओं को ‘अपना’ बनाना आसान होता है। इस वजह से BJP और मुख्य विपक्षी दल SP वर्चुअल वर्ल्ड में भी एक-दूसरे से कमतर नहीं होना चाहते। दोनों दलों को इस लड़ाई में भी फायदा दिख रहा है। सोशल मीडिया से जुड़े एक नेता की मानें तो इसी वजह से यह सोशल मीडिया वार थमता नहीं दिख रहा है। इससे दोनों राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं में जोश है। साथ ही नए समर्थक बनाने में भी आसानी हो रही है। नए युवा समर्थक भविष्य की चुनावी लड़ाई में भी उनके मददगार होंगे।
[ad_2]
Source link