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समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से पत्नी डिंपल को मैनपुरी उपचुनाव में उतारने को लेकर सवाल पूछा गया। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने स्पष्ट कहा कि 2024 के चुनाव पर भी नजर है। उन्होंने इशारा कर दिया है। इशारा कि लोकसभा चुनाव की तैयारी केवल भारतीय जनता पार्टी ही नहीं कर रही है। अखिलेश ने भी अबसे एक साल बाद होने वाले लोकसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है।
जमीनी स्तर पर पसीना बहा रहे अखिलेश
इस साल मार्च में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव पहली बार जमीनी स्तर पर मेहनत करते नजर आ रहे हैं। लगातार दो विधानसभा चुनाव हारने के बाद वह प्रदेश की राजनीति में बैकफुट पर नजर आ रहे हैं। बात लोकसभा की करें तो 2014 और 2019, दोनों ही चुनावों में बीजेपी का परचम लहराया। यादव परिवार की सीटों को छोड़ दें, तो करीब-करीब हर जगह भगवा लहराता नजर आया।
डिंपल मैनपुरी से और कन्नौज से खुद उतरेंगे!
मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा की सीट खाली हो गई थी उनके पास बाद अखिलेश यादव की पत्नी और मुलायम की बहू डिंपल यादव को चुनावी मैदान में उतारा गया। डिंपल यादव मुलायम की विरासत को संभालने के लिए मैनपुरी की जंग लड़ रही हैं। अखिलेश यादव के आज के बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया 2024 के लोकसभा चुनाव में डिंपल ही मैनपुरी से कैंडिडेट होंगी। साथ ही अखिलेश का फोकस कन्नौज लोकसभा सीट पर है, जहां से वह सांसद चुने जा चुके हैं।
अखिलेश ने लोकसभा पर फोकस शुरू किया
उत्तर प्रदेश में अपनी राजनीतिक बुनियाद मजबूत करने में जुटे अखिलेश यादव विधानसभा चुनाव और फिर उसके बाद हुए उपचुनाव की हार के बाद सबक ले चुके हैं। पिता मुलायम के निधन के बाद उनके कंधों पर जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है। अपने कुनबे के साथ ही राजनीति को भी साधना उनके लिए फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में अखिलेश यादव ने पूरी प्लानिंग 2024 के लोकसभा चुनाव की कर ली है। और इस कड़ी में उनका सबसे पहला फोकस उन सीटों पर जीत दर्ज करना है, जहां समाजवादी पार्टी और यादव परिवार मजबूत स्थिति में रहा है।
आजमगढ़ सीट पर क्या है अखिलेश की तैयारी?
अखिलेश यादव पूर्वांचल की आजमगढ़ लोकसभा सीट से सांसद थे। इस बार विधानसभा में करहल सीट से जीत दर्ज करने के बाद उन्होंने लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उनके जाने के बाद आजमगढ़ में उपचुनाव हुआ, जहां पर उन्होंने चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को मैदान में उतारा। लेकिन वह बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ के हाथों हार गए। अब जबकि अखिलेश ने यह इशारा कर दिया है कि वह कन्नौज लोकसभा सीट से लड़ सकते हैं तो ऐसे में स्पष्ट है कि अगर उन्होंने विधानसभा की राजनीति छोड़ी तो आजमगढ़ की तो तरफ नहीं जाएंगे।
धर्मेंद्र यादव को सेट करना बड़ी जिम्मेदारी
आजमगढ़ में अखिलेश ने अपने पिता मुलायम सिंह यादव के बाद विरासत संभाली थी। दोनों पिता-पुत्र यहां से सांसद रह चुके हैं। हालांकि उपचुनाव में धर्मेंद्र यादव की हार हो गई। अब 2024 में क्या अखिलेश धर्मेंद्र यादव को आजमगढ़ से एक बार फिर मौका देते हैं या फिर नहीं? धर्मेंद्र यादव और आजमगढ़ इसलिए भी खास है क्योंकि धर्मेंद्र बदायूं लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए थे। और अगर चुनाव लड़ने की बारी आई तो वह जाहिर तौर पर बदायूं सीट की दावेदारी ही कर सकते हैं।
शिवपाल और बेटे आदित्य पर क्या सोच रहे अखिलेश?
सैफई कुनबे में शिवपाल यादव की भूमिका भी काफी अहम है। मुलायम के निधन के बाद अखिलेश की उनके चाचा शिवपाल के साथ दूरी घटती नजर आ रही है। दोनों चाचा भतीजा साथ-साथ में डिंपल यादव के लिए मैनपुरी चुनाव में वोट मांग रहे हैं। अखिलेश ने शिवपाल के पैर छूकर और फोटो खिंचाकर परिवारिक करीबी को और भी पुख्ता कर दिया। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए शिवपाल के उनके साथ मतभेद की बातें सामने आई थी, जो काफी सार्वजनिक हुई थी।
नाराज होकर चाचा शिवपाल ने अपनी अलग पार्टी बना ली। हालांकि इस बार विधानसभा चुनाव में अखिलेश के साथ आए थे। लेकिन केवल एकमात्र सीट पर प्रतिनिधित्व दिए जाने को लेकर नाराज रहे। अहम बात यह है कि दोनों के बीच जो लगाव देखने को मिल रहा है, क्या 2024 के लोकसभा चुनाव तक रहेगा या नहीं। अगर बना रहेगा तो अखिलेश के लिए शिवपाल या फिर उनके बेटे आदित्य में से किसी को लोकसभा उम्मीदवार बनाना चुनौती भरा फैसला रहेगा।
इसके बाद अखिलेश के परिवार में तेज प्रताप यादव, अक्षय यादव, अंशुल यादव जैसे कई चेहरे हैं, जो राजनीति में सक्रिय हैं। भाजपा जिस तरीके से मिशन मोड में लगकर समाजवादी पार्टी की सीटों की संख्या और भी कम कर देने की तैयारी में लग चुकी है। उसे देखते हुए अखिलेश की तैयारी भी अहम साबित होगी।
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