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बड़ा सवाल यह है कि प्रदेश में जहां खुद सरकार दावा करती है कि अपराधी अपराध के ख्याल से ही डरने लगे हैं, वहां के डिप्टी सीएम को आखिर अपने मर्डर का खौफ क्यों सता रहा है? इस सवाल के जवाब में हमें पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव तक जाना पडे़गा। चुनावी जंग में समाजवादी पार्टी प्रमुख और पूर्व सीएम अखिलेश यादव और केशव प्रसाद मौर्य के बीच जमकर गर्मागर्मी हुई। हालांकि, चले तो केवल बयानों के ही तीर लेकिन इनकी चोट झुंझलाहट के तौर पर इनके बयानों दिखने लगती है।
कुछ समय पहले सपा के ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया गया। इसमें कहा गया, केशव प्रसाद मौर्य ने 100 से ज्यादा विधायक जोड़ लिए हैं। लगता है मौसम बदलने वाला है। अखिलेश भी मौर्य को कह चुके हैं कि 100 विधायक ले आइए सपा में और सीएम बन जाएं। इसके जवाब में मौर्य ने कहा, सपा के 50 से ज्यादा विधायक मेरे संपर्क में हैं। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा उनके बारे में बताएगी।
केशव प्रसाद मौर्य अकसर समाजवादी पार्टी को समाप्तवादी पार्टी कहते रहते हैं। जब इसे लेकर बुधवार को अखिलेश से मीडिया ने सवाल किया तो अखिलेश ने चिढ़कर कहा, ‘हम शूद्रों से बात नहीं करते।’ फिर अखिलेश ने पूछा, जो यह कह रहे हैं उनसे जाकर पूछें कि वह शूद्र हैं या नहीं।
यही सवाल जब केशव प्रसाद मौर्य से कहा गया तो वह झल्ला गए। उन्होंने कहा, ‘मैंने कभी अखिलेश यादव जी के लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया। हमेशा उन्हें अखिलेश जी, पूर्व मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष कहा है। असल में वह यह सब खबरों में बने रहने के लिए करते हैं। क्या करें उनका बस नहीं चलता वरना वह मेरी हत्या करवा दें।’ कुल मिलाकर सियासी नोंकझोंक अब गंभीर होती जा रही है। लेकिन देखना होगा जनता के सामने चुनावी बिसात पर इसके क्या नतीजे होंगे।
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