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सपा नेता स्वामी प्रसाद ने यह भी कहा कि भागवत ने धर्म की आड़ में महिलाओं, आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को गाली देने वाले ठेकेदारों और ढोंगियों की कलई खोल दी है। कम से कम अब तो रामचरित मानस से आपत्तिजनक टिप्पणी हटाने के लिए आगे आएं। हिंदू धर्म को सुरक्षित रखना है तो धर्माचार्यों को आगे आना होगा। अगर किसी रचना में महिलाओं, शूद्रों अथवा पिछड़ी जाति के लोगों के लिए अपमानसूचक शब्दों का इस्तेमाल किया गया है तो उसे तुरंत हटाने की कोशिश की जानी चाहिए।
हिम्मत हो तो लोग मोहन भागवत के बारे में बोलेंः स्वामी
स्वामी प्रसाद ने कहा कि हमने सिर्फ रामचरित मानस की कुछ पंक्तियों को निकालने के लिए कहा था, जिसमें शूद्रों और महिलाओं का अपमान किया गया है। इसे लेकर अनेक लोगों ने मेरा सिर, जुबान, नाक, काटने की फरमान जारी किए हैं। क्या आप लोगों में हिम्मत है तो आरएसएस के प्रमुख का भी सिर और जुबान काटने के लिए कहेंगे? यदि ऐसा नहीं है तो अब धर्म के गुरु कहां हैं। आप लोगों की सोच ने हिंदू धर्म को अपमानित किया है।
मोहन भागवत ने दिया था ये बयान
बता दें कि बीते रविवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जाति, वर्ण और संप्रदाय पंडितों के द्वारा बनाए गए थे। उन्होंने कहा, जब हम आजीविका कमाते हैं तो समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी होती है। जब हर काम समाज के लिए होता है तो कोई भी काम छोटा या बड़ा कैसे हो सकता है। भगवान ने हमेशा कहा है कि हर कोई उनके लिए समान है और कोई जाति या वर्ण नहीं है, उसके लिए संप्रदाय नहीं है, यह पंडितों द्वारा बनाई गई थी जो गलत है। वहीं स्वामी ने सवाल पूछा कि जो लोग हिंदू धर्म को छोड़कर अन्य धर्म में गए हैं। उनका क्या होगा? अनुच्छेद 15 के मुताबिक, भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार हैं।
रिपोर्टः संदीप तिवारी
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