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एमबीबीएस की शिक्षा प्राप्त संघमित्रा मौर्य (38) ने पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव के चचेरे भाई और बदायूं के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को हराया था। श्रीरामचरितमानस को लेकर अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादास्पद बयान पर सांसद मौर्य ने कहा, ‘सारी चीजें स्पष्ट हो चुकी हैं, इस पर इतना बवाल क्यों हो रहा है? खत्म करिए अब इस मामले को।’उन्होंने कहा, ‘किसी और विषय पर आप बात करना चाहते हों तो करिए। मैं इस विषय पर अब बात नहीं करना चाहती हूं। मेरा इस विवाद से कोई लेना देना नहीं हैं।’
2024 के आम चुनाव में बदायूं से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के सवाल पर सांसद मौर्य ने कहा, ‘अगला लोकसभा बदायूं से ही लड़ेंगे। बदायूं में हम लगातार बने हुए हैं, लगातार काम कर रहे हैं। आप चाहें तो पता भी कर सकते हैं। अब भी मैं बदायूं में काम कर रही हूं और भाजपा से ही अगला चुनाव लड़ूंगी।’ उन्होंने कहा, ‘मैं भाजपा उम्मीदवार के तौर पर अगला लोकसभा चुनाव बदायूं से ही लड़ूंगी।’
इससे पहले भाजपा की सांसद संघमित्रा मौर्य ने 25 फरवरी को बदायूं में पत्रकारों से कहा था कि उनके पिता ने श्रीरामचरितमानस की जिस चौपाई का जिक्र करते हुए उसे आपत्तिजनक बताया है, उस पर विद्वानों के साथ चर्चा की जानी चाहिए।
संघमित्रा के पिता और उत्तर प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने 22 फरवरी को तुलसीदास रचित श्रीरामचरितमानस के कुछ हिस्सों पर यह कहते हुए पाबंदी लगाने की मांग की थी कि इससे समाज के एक बड़े तबके का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता है। मौर्य पिछले साल हुए राज्य विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गये थे। मौर्य ने कुशीनगर जिले की फाजिलनगर सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। हालांकि बाद में सपा ने उन्हें विधान परिषद का सदस्य बना दिया।
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