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सपा मुखिया ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि ऐसी व्यवस्था हो कि सर्दी में कोई बाहर न सोए लेकिन हकीकत में रैन बसेरे कहां हैं? अस्पतालों में बीमारों के साथ आए तीमारदारों को इन दिनों भीषण ठंड में कहीं सिर छुपाने को जगह नहीं मिल रही है। वे खुले में पेड़ों के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं। धुंध और कोहरे के चलते यातायात बाधित हो रहा है। दुर्घटनाएं हो रही हैं। लोगों की मौतें हो रही हैं। स्कूल जाने वाले बच्चों को भारी परेशानी हो रही है।
उन्होंने कहा कि उन्नाव जिले के कोतवाली गंगा घाट में अपने खेतों में फसल की रखवाली करने गए नन्हा लोधी पुत्र छोटेलाल निवासी खेड़ा की ठंड लगने से मौत हो गई। इसी तरह से बांदा में पिछले शुक्रवार को खेत में सिंचाई करने के दौरान ठंड लगने से एक किसान की मौत हो गई। कानपुर देहात के संदलपुर क्षेत्र में भी फसल में पानी लगाने गए किसान की ठंड लगने से मौत हो गई। जिन लोगों की ठंड से मौतें हो रही है, सरकार उन्हें तत्काल आर्थिक मुआवजा दे।
कड़ाके की सर्दी और शीतलहर से प्रदेश के अन्य जिलों में भी इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं। ठंडी बढ़ने के साथ ही हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। पिछले हफ्ते कानपुर में इसी तरह की घटनाओं से चार लोगों की मौत हो चुकी है, आखिर भाजपा सरकार और प्रशासन नींद से कब जागेगा?
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