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आपको बता दें कि 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में सुनवाई बंद करने से इनकार कर दिया था। पिछली सुनवाई के दौरान अखिलेश की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने मामले की सुनवाई बंद करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि 2019 में सीबीआई हलफनामा दाखिल कर कह चुकी है कि इस मामले की जांच वह बंद कर चुकी है।
2005 में दायर हुआ था केस
वर्ष 2005 में कांग्रेस से जुड़े वकील विश्वनाथ चतुर्वेदी ने मुलायम सिंह यादव, उनके बेटों अखिलेश और प्रतीक, बहू डिंपल यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दायर किया गया था। इस पूरे मामले में इतने सारे मोड़ आए। इससे कई नई कड़ियां जुड़ती चली गई। फिर सुप्रीम कोर्ट में केस की सुनवाई शुरू हो रही है। विश्वनाथ चतुर्वेदी की याचिका में आय के ज्ञात स्रोत से अधिक संपत्ति अर्जित करने के लिए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत मुलायम और उनके परिवार के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी शिकायत में योग्यता पाई।
2007 में सीबीआई जांच का आदेश
वर्ष 2007 में इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया गया। सीबीआई ने जांच शुरू की। वर्ष 2008 में तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर बड़ा संकट आया। अमेरिका के साथ परमाणु समझौते के मुद्दे पर वाम दलों ने तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार से समर्थन वापसी की घोषणा कर दी। मनमोहन सरकार अल्पमत में आ गई। यूपीए सरकार पर संकट के बादल छाने लगे। उस समय मुलायम सिंह यादव ने यूपीए सरकार को समर्थन की घोषणा कर दी। समाजवादी पार्टी के तब 39 सांसद थे। सपा के इस संख्याबल की बदौलत मनमोहन सरकार एक बार फिर बहुमत में आ गई। सरकार बचाने में कामयाबी मिल गई।
2012 में हट गया था डिंपल यादव का नाम
हालांकि, इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने केंद्र में अपना प्रभाव दिखाना शुरू किया। सीबीआई ने वर्ष 2008 में ही सुप्रीम कोर्ट पहुंच कर मुलायम और उनके परिवार के खिलाफ मामले को वापस लेने की मांग की। विश्वनाथ चतुर्वेदी ने इसका विरोध किया। कोर्ट में मामला चलता रहा। जांच की रफ्तार वैसी नहीं रही। इसी दौरान मुलायम सिंह यादव की ओर से सीबीआई जांच के आदेश की समीक्षा याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई। सुप्रीम कोर्ट ने समीक्षा याचिका पर वर्ष 2012 में एक आदेश पारित किया। इसके तहत डिंपल यादव का नाम हटा दिया गया।
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