Home National News Success Story: पिता कोमा में तो पैरालाइज हुई थी मां, बेटे शिखर ने तीसरे प्रयास में IRS बन हासिल की सफलता

Success Story: पिता कोमा में तो पैरालाइज हुई थी मां, बेटे शिखर ने तीसरे प्रयास में IRS बन हासिल की सफलता

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Success Story: पिता कोमा में तो पैरालाइज हुई थी मां, बेटे शिखर ने तीसरे प्रयास में IRS बन हासिल की सफलता

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Success Story: शेखर कुमार के माता-पिता का गंभीर एक्सीडेंट हुआ, जिसमें पिता कोमा में चले गए और मां को लकवा मार गया। ऐसे में यूपीएससी की तैयारी छोड़ दी थी। प्रयास किया तो फेल हो गए, वहीं दूसरे प्रयास में परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं मिला। पढ़ें शेखर कुमार की पूरी कहानी।

Success Story: संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) सिविल सेवा परीक्षा पास करना आसान नहीं है। यह परीक्षा तब और भी कठिन हो जाती है, जब आप किसी परेशानी का सामना कर रहे होते हैं। हालांकि, यह बात सच है कि कई मंजिलों का मिलना लिखा होता है, बर्शतें कुछ मुश्किलें पास करनी होती हैं और जो उन मुश्किलों में हार गया, वह अपनी मंजिल को भी खो देता है, जबकि कुछ युवा होते हैं, जो संघर्षों से निकलकर अपनी मंजिल को गला लेते हैं। आज हम आपके लिए शेखर की संघर्ष भरी कहानी लेकर आए हैं, जिनके माता-पिता का गंभीर एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें पिता कोमा में चले गए थे, जबकि माता को पैरालाइज हो गया था। वहीं, शेखर पहले प्रयास में फेल हुए, दूसरे प्रयास में उन्हें परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं मिला, लेकिन उन्होंने हार न मानते हुए तीसरे प्रयास में IRS बन सफलता का शिखर प्राप्त कर लिया।

शिखर का परिचय

शिखर ने दिल्ली पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज से पढ़ाई की है। उन्होंने कुछ समय तक इलाहबाद बैंक में प्रोबेशनरी ऑफिसर के रूप में काम किया। उन्होंने कभी भी सिविल सेवा में करियर बनाने की नहीं सोची थी, लेकिन उनके माता-पिता का सपना था कि बेटा बड़ा होकर बड़े पद पर अधिकारी बन नौकरी करे।

पहले प्रयास में हुए फेल

शेखर के माता-पिता 10वीं पास हैं। उन्होंने बेटे को अधिकारी बनने के लिए प्रेरित किया। ऐसे में शिखर ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की और पहला प्रयास किया, लेकिन वह अपने पहले प्रयास में फेल हो गए।

दूसरे प्रयास में परीक्षा केंद्र में नहीं मिला प्रवेश

शेखर ने फिर से तैयारी शुरू की और फिर से परीक्षा दी। इस बार उन्होंने सिविल सेवा की प्रीलिम्स परीक्षा को पास कर लिया। उन्होंने मेंस परीक्षा की तैयारी की और परीक्षा केंद्र पर परीक्षा देने पहुंचे, लेकिन सिर्फ कुछ मिनटों की देरी की वजह से उन्हें परीक्षा केंद्र पर प्रवेश नहीं मिला।

माता-पिता के एक्सीडेंट से टूट गए थे शिखर

शेखर के माता-पिता किसी काम से कहीं जा रहे थे, ऐसे में रास्ते में उनका एक्सीडेंट हुआ। एक्सिडेंट में उनके पिता कोमा में चले गए और माता को पैरालाइज हो गया था। परिवार में आई ऐसी विपत्ती की वजह से शेखर काफी टूट गए थे। उन्होंने अपनी सिविल सेवा की तैयारी भी छोड़ दी थी।

मां ने किया प्रेरित

शेखर की माता जब ठीक हुई, तो उन्होंने अपने बेटे को फिर से परीक्षा देने के लिए प्रेरित किया। मां के प्रेरित करने पर शेखर ने एक बार फिर से परीक्षा की तैयारी शुरू की और दिन-रात एक कर पढ़ना शुरू किया।

तीसरे प्रयास में बने आईआरएस

शेखर ने तीसरे प्रयास में दिन-रात पढ़ाई कर तीसरा प्रयास किया। उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की प्रीलिम्स, मेंस और इंटरव्यू को पास करते हुए फाइनल सूची में जगह बनाई, जिसके बाद उन्हें आईआरएस का पद मिला। इस प्रकार उन्होंने अपने माता-पिता का सपना पूरा किया।

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