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IFS Success Story: उत्तराखंड की रहने वाली सदफ चौधरी ने बीटेक करने के बाद आईएफएस के सपने को पूरा करने के लिए मेहनत की। उन्होंने महंगी कोचिंग में दाखिला लेने के बजाय घर पर ही पढ़ाई की और 23 रैंक लाकर IFS(Indian Foreign Service) अधिकारी बन गई।
सदफ चौधरी आईएफएस
IFS Success Story: संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) की ओर से आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा पास कर अधिकारी बनने का सपना लाखों युवा देखते हैं। हालांकि, इस परीक्षा के लिए सपना देखना आसान होता है, लेकिन इसे पास करना बहुत मुश्किल। यही वजह है कि इसके लिए अभ्यर्थियों को एक लंबी यात्रा से गुजरना पड़ता है और इस बीच कई उतार-चढ़ाव भी देखने पड़ते हैं। कुछ युवा महंगी कोचिंग में दाखिला लेते हैं, जबकि कुछ युवा घर पर ही तैयारी कर इस परीक्षा को पास कर अधिकारी बनने तक का सफर पूरा करते हैं। आज हम आपको उत्तराखंड की रहने वाली सदफ चौधरी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने घर में रहकर आईएफस बनने की तैयारी की और 23 रैंक लाकर वह अधिकारी भी बन गईं।
सदफ का परिचय
सदफ मूलरूप से उत्तराखंड के रूड़की के मोहितपुर गांव की रहने वाली हैं। उनकी स्कूली शिक्षा लिटिल स्कोलर्स एकेडमी से पूरी हुई। इसके बाद उन्होंने NIT जालंधर से बीटेक की डिग्री पूरी की। परिवार में पिता मोहम्मद इसरार प्रथम यूपी ग्रामीण बैंक में प्रबंधक हैं। वहीं, परिवार में अन्य सदस्य माता शाहबाज बानो, बहन सायमा और भाई मो. साद हैं।
महंगी कोचिंग के बजाय घर में ही रहकर की तैयारी
सदफ ने अपनी डिग्री पूरी करने के बाद सिविल सेवा में जाने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने कोचिंग में महंगी फीस देने के बजाय घर में ही रहकर तैयारी करना बेहतर समझा। ऐसे में उन्होंने तैयारी के लिए किताबों की सूची बनाई और एक टाइम टेबल का नियमित रूप से पालन किया। इस दौरान उन्होंने पाठ्य पुस्तकों से पढ़ने के साथ-साथ उनका रिविजन भी किया। साथ ही कई किताबों को पढ़ने के बजाय सीमित किताबों के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखते हुए उनका बार-बार रिविजन किया, जिससे सिलेबस पर पकड़ बन सके।
23 रैंक लाकर बन गई IFS
सदफ ने सिलेबस के हिसाब से पढ़ते हुए प्रिलिम्स की परीक्षा दी और उन्होंने सफलता प्राप्त की। इसके बाद वह मेंस की परीक्षा में भी सफल रही और इंटरव्यू तक पहुंची। यहां भी उन्होंने बेहतर प्रदर्शन करते हुए इंटरव्यू और सिविल सेवा परीक्षा पास कर ली। उन्होंने न सिर्फ परीक्षा पास की बल्कि उन्होंने 23 रैंक लाकर टॉपर की सूची में नाम दर्ज कराया और आईएफएस अधिकारी बन गईं।
माता-पिता को देती हैं श्रेय
सदफ अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं। उन्होंने मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में बताया कि उनकी सफलता के पीछे उनके माता-पिता की मेहनत की है। तैयारी के दौरान परिवार का बहुत सहयोग मिला। वह कहती हैं कि कभी भी जीवन में असफलता से निराश नहीं होना चाहिए, बल्कि अपने लक्ष्य की तरफ अग्रसर रहना चाहिए। सदफ के सोशल मीडिया पर भी काफी फॉलोअर्स हैं। सोशल मीडिया पर लोग उनके द्वारा की गई पोस्ट को काफी पसंद करते हैं।
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