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IAS Success Story: 6 बार फेल होने के बाद वेटर से IAS बने के. जयगणेश

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IAS Success Story: 6 बार फेल होने के बाद वेटर से IAS बने के. जयगणेश

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IAS Success Story: तमिलनाडु के रहने वाले के जयगणेश ने छह बार सिविल सेवाओं में असफलताओं का सामना किया। वहीं, गुजारा करने के लिए उन्होंने वेटर का भी काम किया और अंत में आईएएस अधिकारी बन गए।

के जयगणेश की सक्सेस स्टोरी

के जयगणेश की सक्सेस स्टोरी

IAS Success Story: संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा कठिन परीक्षा है, जिसे पास करने के लिए हर साल लाखों युवा प्रयास करते हैं, लेकिन सफलता सिर्फ कुछ ही लीगों के हाथ आती है। क्योंकि, इसमें सफलता की संभावना बहुत कम होती है। वहीं, यदि कोई युवा गरीबी से गुजर रहा है, तो उसके लिए यह परीक्षा और भी कठिन हो जाती है। हालांकि, फिर भी कुछ युवा हिम्मत करते हुए गरीबी को पीछे छोड़ इस परीक्षा में शामिल होते हैं और कई बार असफल होने पर भी हार नहीं मानते। आज हम आपको तमिलनाडु निवासी के जयगणेश की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने गरीबी में वेटर का भी काम करना पड़ा और 6 बार फेल होने पर भी हार नहीं मानी। अंत में वह सिविल सेवा पास कर आईएएस अधिकारी बन गए।

के जयगणेश का परिचय

के जयगणेश मूल रूप से तमिलनाडु के रहने वाले हैं। उन्होंने वेल्लोर के ठन्थायी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से बीटेक की पढ़ाई पूरी की। वह अपने चार भाई बहनों में सबसे बड़े थे। ऐसे में उनके ऊपर परिवार की जिम्मेदारी भी थी।

तीन बार फेल होने पर छोड़ा गांव

के जयगणेश ने अपने गांव से ही सिविल सेवा परीक्षा में तीन बार प्रयास किया, लेकिन तीन बार फेल होने पर उन्हें समझ आया कि उन्हें तैयारी के लिए गांव से निकलकर चेन्नई जाना होगा, जहां से वह अपनी तैयारी को धार दे सके। ऐसे में उन्होंने अन्ना नगर में पहुंच एक सरकारी ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आईएएस में दाखिला लिया।

वेटर के रूप में करना पड़ा काम

शहर में रहने के दौरान जयगणेश का अपना खर्च उठाना मुश्किल हो रहा था। ऐसे में उन्होंने शहर के एक सिनेमा हॉल में काम करना शुरू किया। वहीं,  देखते-देखते 8 घण्टे की नौकरी की, लेकिन वह तैयारी पर ध्यान नहीं दे सके और फिर से फेल हो गए। उन्होंने इस दौरान कई नौकरियां बदली और वेटर के रूप में भी काम किया। हालांकि, इस दौरान उन्हें पढ़ने के लिए समय मिल गया था।

दो बार और हुए फेल

के जयगणेश ने फिर से तैयारी की और परीक्षा दी, लेकिन वह फिर से फेल हो गए। उन्होंने  हार नहीं मानी और फिर से तैयारी की, लेकिन वह छठी बार भी फेल हो गए। सिविल सेवा में छह बार फेल होने पर किसी भी व्यक्ति का हौंसला टूट जाता है, लेकिन  जयगणेश ने हार नहीं मानी और फिर से तैयारी शुरू कर दी।

सातवें प्रयास में 156 रैंक

जयगणेश ने अपनी तैयारी को जारी रखते हुए अपनी कमियों पर काम किया। उन्होने पूरी तैयारी के साथ सातवां प्रयास किया और इस बार उन्होंने 156 रैंक हासिल कर आखिरकार सफलता का स्वाद चखा।

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