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अग्निपथ योजना: दिल्ली हाई कोर्ट ने अग्निपथ योजना को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट ने अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
अग्निपथ योजना
अग्निपथ योजना: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा लाई गई अग्निपथ योजना को सही ठहराया है।केंद्र सरकार की योजना के खिलाफ उठाई गई चुनौतियों के संबंध में 27 फरवरी, 2023 को उच्च न्यायालय द्वारा फैसला सुनाया गया था। जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट ने अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली और उस पर सवाल उठाने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
आपको बता दें कि अग्निपथ योजना 2023 से जुड़े मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने की। केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने 15 दिसंबर 2022 को सुनवाई की।
दिसंबर की सुनवाई के दौरान, दिल्ली HC ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और संबंधित पक्षों को 23 दिसंबर तक शीतकालीन अवकाश के लिए अदालत बंद होने से पहले अपनी दलीलें दाखिल करने को कहा था।
15 दिसंबर, 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि सैन्य रणनीति पर कौन सी योजना बेहतर है, इस पर जज टिप्पणी नहीं कर सकते। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, ‘अग्निपथ योजना विशेषज्ञों ने बनाई है, हम विशेषज्ञ नहीं हैं।’
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि अग्निपथ योजना “अवैध और असंवैधानिक” थी। एएसजी ऐश्वर्या भाटी केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुईं और उन्होंने योजना का बचाव करते हुए कहा, अग्निपथ योजना सशस्त्र बलों की भर्ती में सबसे बड़े नीतिगत बदलावों में से एक है और यह एक आदर्श बदलाव लाएगी। उन्होंने आगे कहा, ‘हमारे द्वारा दी गई दो साल की आयु में छूट का लाभ 10 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने उठाया है। आगे कहा कि अग्निपथ योजना राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर बनाई गई है।
केंद्र द्वारा प्रस्तुत तर्कों के अनुसार,भारतीय सशस्त्र बलों में औसत आयु को कम करने के लिए अग्निपथ योजना में संरचनात्मक परिवर्तन किए गए हैं। केंद्र ने कहा कि अग्निपथ योजना का एक उद्देश्य सशस्त्र बलों में भर्तियों की औसत आयु को 32 से घटाकर 26 वर्ष करना था।
अग्निपथ योजना केंद्र सरकार द्वारा 14 जून, 2022 को युवाओं को भारतीय सशस्त्र बलों – सेना,नौसेना और वायु सेना में भाग लेने और शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शुरू की गई थी।
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