मुजफ्फरपुर । आम चुनाव नहीं होने के बावजूद बिहार का राजनीति तापमान दिन-ब-दिन बढ़ता चला जा रहा है। विशेषकर बिहार विधानपरिषद चुनाव 2022 (Bihar Legislative Council elections 2022) को लेकर।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा लेने और एमएलसी चुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी के नामों को अंतिम रूप देने के लिए राजद सुप्रीमो (RJD supremo)दिल्ली से पटना पहुंच गए हैं। बिहार आने से पहले उन्होंने संवाददाताओं से बात करते हुए फिर से सक्रिय चुनावी राजनीति में आने की इच्छा प्रकट की है।
73 वर्षीय लालू प्रसाद (Lalu Yadav Age)ने कहा कि यदि उन्हें कोर्ट से चुनाव लड़ने की अनुमति मिल जाती है तो वे पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi)को जवाब देना चाहते हैं।
चुनावी राजनीति में सक्रिय होने की बात कहने से न केवल मुजफ्फरपुर के राजद कार्यकर्ता वरन राजनीति में रुचि रखने वाले अन्य लोगों के बीच तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। वहीं तेजस्वी को गद्दी सौंपने वाली बात को भी अब नए संदर्भ में देखा और समझा जाने लगा है।
बिहार यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान की पढ़ाई कर रहे राजेश कुमार ने कहा कि यदि ऐसा संभव हुआ तो बिहार के राजनीति की तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी।
लालू प्रसाद यादव न केवल अपने बोलने की शैली की वजह से वरन रणनीति बनाने के लिए भी जाने जाते रहेे हैं। उन्होंने राजनीति को जिस रूप में साधा है, उसके उदाहरण दिए जाते रहे हैं। इससे तेजस्वी यादव को भी मदद मिलेगी।
रविरंजन प्रसाद गुप्ता पेशे से व्यवसायी हैं, किंतु देश-दुनिया की खबरों पर हमेशा नजर बनाए रखते हैं। राजनीति उनका प्रिय विषय है। वे कहते हैं कि बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद की उपस्थिति मात्र से चीजें बदल जाती हैं, लेकिन हाल में प्रदेश और केंद्र दोनों स्तर की राजनीति में बदलाव हुआ है।
वे नैरेटिव सेट करने के लिए जाने जाते रहे हैं, लेकिन बदले हुए माहौल में केवल नैरेटिव के दम पर ही काम चलने वाला नहीं है। ऐसे में उनके लिए वो शिखर हासिल कर पाना अब शायद मुमकिन न हो।
रामपुकार साह लालू प्रसाद के ब्लाइंड सपोर्टर हैं। वे कहते हैं कि यदि लालू प्रसाद फिर से चुनाव मैदान में उतर गए तो एकदम गरदा-गरदा हो जाएगा।
राजनीतिक सलाहकारों की रणनीति के दम पर चुनाव लड़ने वालों को फिर से लाेगों के बीच जाना होगा। उनकी बातें सुननी होंगी। राजनीति फिर से गांव की ओर जा सकेगी।