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डाक टिकट घोटाले केस के आईओ सुनील पंडित ने बताया कि सोनेलाल राम ने एफआईआर में बताया था कि डाक विभाग की ओर से घोटाले की जांच के लिए ऑथोराइज किया गया था। प्रधान डाकघर में सालाना जांच के दौरान फर्जीवाड़ा सामने आया था। 13 दिसंबर 2020 से 20 दिसंबर 2020 तक के डाक टिकटों की बिक्री और स्टॉक की जांच की गई थी। गड़बड़ी सामने आने के बाद स्थाई जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया। जिसमें एएसपीओ पवन कुमार, राजेश कुमार, डाक निरीक्षक आशुतोष कुमार, डॉबिन चंद्रा, पोस्टमास्टर बीएन त्रिवेदी शामिल थे। जांच में कमेटी ने कुल 25 लाख 66 हजार 211 रुपए 25 पैसे के डाक टिकट का घोटाला पकड़ा। डाक टिकटों का स्टॉक या कोई रिकॉर्ड नहीं पाया गया।
अफसरों की तिकड़ी ने लगाया था चूना
आरोपी कृष्णमुरारी को स्टॉक से डाक टिकट जारी करने की जिम्मेवारी थी। डाक सहायक संजय कुमार को काउंटर से डाक टिकट बेचने और बच गए डाक टिकट को स्टॉक में वापस कराने की जिम्मेवारी थी। इन सभी कामों पर पैनी नजर रखने की जिम्मेवारी डेप्युटी पोस्टमास्टर शिशभूषण तिवारी की थी। इस तरह जांच में आए घोटाले के बाद इन तीनों अधिकारियों को दोषी मानते हुए एफआईआर दर्ज कराई गई थी। मुजफ्फरपुर जिले के टाउन थाने की पुलिस ने करीब 26 लाख रुपए के गबन करने और फर्जी तरीके से पोस्टल स्टाम्प बेचने के मामले में डाक सहायक संजय कुमार को गिरफ्तार किया है। जो फिलहाल जिले के कंपनी बाग स्थित प्रधान डाकघर में कार्यरत हैं। इन पर 25 लाख 66 हजार 211 रुपए के गबन का मामला दर्ज हुआ था।
दो साल बाद हुई घेटाला मामले में गिरफ्तारी
टाउन डीएसपी रामनरेश पासवान ने बताया कि गबन के केस में संजय कुमार की गिरफ्तारी हुई है। इस केस में और भी नामजद हैं। उनकी भी तलाश जारी है। साल 2020 में एनुअल ऑडिट के दौरान गबन का मामला पकड़ में आया था। जिसके बाद तत्कालीन डाक विभाग के अधिकारी सोनेलाल राम ने टाउन थाने में FIR दर्ज कराई थी। इसमें संजय के अलावा डाक कर्मी शशिभूषण तिवारी और स्टाम्प ट्रेजरी कृष्णमुरारी को आरोपी बनाया गया था। पुलिस का कहना है शशिभूषण अभी जमानत पर है। वहीं कृष्णमुरारी के संबंध में जांच की जा रही है। दो साल से दबे इस केस में कार्रवाई की समीक्षा के बाद एटीएस के एडीजी रवींद्रन शंकरण ने गिरफ्तारी करने का आदेश दिया था। इसके बाद आईओ ने शनिवार को आरोपी संजय कुमार को गिरफ्तार किया।
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